Bikharte Sapne book and story is written by Goodwin Masih in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Bikharte Sapne is also popular in बाल कथाएँ in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
बिखरते सपने - उपन्यास
Goodwin Masih
द्वारा
हिंदी बाल कथाएँ
बिखरते सपने उपन्यास के बारे में बिखरते सपने, एक ऐसी लड़की स्नेहा की कहानी है, जिसके पापा आधुनिक युग में भी निहायत ही रूढंीवादी और संकुचित विचारों के थे। वह स्नेहा को सिर्फ एक लड़की ही मानते थे। वह यह विश्वास नहीं करते थे कि एक लड़की भी लड़कों की बराबरी कर सकती है। उन्होंने स्नेहा को सख्त हिदायत दे रखी थी कि वह कोई भी ऐसा काम न करे, जो लड़के करते हैं, विशेषकर उन्हें लड़कियों के खेलने-कूदने से बेहद चिढ़ थी। वह नहीं चाहते थे कि उनकी स्नेहा कोई खेल, खेले, जबकि स्नेहा को बचपन से ही बैडमिन्टन
बिखरते सपने उपन्यास के बारे में बिखरते सपने, एक ऐसी लड़की स्नेहा की कहानी है, जिसके पापा आधुनिक युग में भी निहायत ही रूढंीवादी और संकुचित विचारों के थे। वह स्नेहा को सिर्फ एक लड़की ही मानते थे। वह ...और पढ़ेविश्वास नहीं करते थे कि एक लड़की भी लड़कों की बराबरी कर सकती है। उन्होंने स्नेहा को सख्त हिदायत दे रखी थी कि वह कोई भी ऐसा काम न करे, जो लड़के करते हैं, विशेषकर उन्हें लड़कियों के खेलने-कूदने से बेहद चिढ़ थी। वह नहीं चाहते थे कि उनकी स्नेहा कोई खेल, खेले, जबकि स्नेहा को बचपन से ही बैडमिन्टन
बिखरते सपने (2) मुन्ना को उसके पापा ने प्यार से समझाया तो मुन्ना डेªेस चेंज करने चला गया और सपना उसके लिए खाना परोसने लगी। खाना परोसते समय सपना ने मिस्टर गुप्ता से कहा, ‘‘तुम्हारे लिये भी निकाल दूं...?’’ ...और पढ़ेमुन्ना को खा लेने दो, हम लोग स्नेहा के साथ खा लेंगे।’’ मिस्टर गुप्ता ने कहा। ‘‘ठीक है, स्नेहा डेªस चेंज करके आ जायेगी तो हम लोग उसी के साथ खा लेंगे। कहकर वह और मिस्टर गुप्ता स्नेहा के आने का इन्तजार करने लगे। मुन्ना को बहुत तेज भूख लगी थी, इसलिए वह हमेशा की तरह खाना खाने बैठ गया।
बिखरते सपने (3) उस दिन मुन्ना अपने ट्यूशन वाले सर से ट्यूशन पढ़ रहा था। स्नेहा ने कमरे में प्रवेश करते ही देखा कि मुन्ना का रैकिट और चिड़िया अलमारी में रखा हुआ है। चिड़िया और रैकिट देखकर स्नेहा ...और पढ़ेचेहरा खुशी से ताजे फूल की तरह खिल उठा। उसका खिलाड़ी मन हिचकोले लेने लगा और वह खुद को रोक नहीं पायी। वह मन में बोली,‘‘अरे वाह, मुन्ना का रैकिट और चिड़िया.....बहुत बनता है अपने आपको। कहता है मुझे अपना रैकिट खेलने को नहीं देगा। अब देखती हूं कि मुझे कौन रोकता है। बच्चू जब तक तुम ट्यूशन पढ़ोगे, तब
बिखरते सपने (4) ‘‘मम्मी!....पापा.....कहां हो आप...?’’ घर में घुसते ही स्नेहा ने खुशी से चीखते हुए अपने मम्मी-पापा को पुकारा। ‘‘क्या हुआ स्नेहा, क्यों पागलों की तरह चीख रही हो...हयं...? उसके पापा ने उसके पास आकर कहा। ‘‘पापा, देखिए ...और पढ़ेस्कूल से यह मिला है। उसने खुशी से अपने पापा को स्कूल से मिला प्रमाण-पत्र और ट्राॅफी दिखाते हुए कहा।’’ ‘‘क्या है यह...?’’ पापा ने पूछा। आज हमारे स्कूल में डिबेट काॅम्पिटिशन था। मैंने उसमें हिस्सा लिया और फस्र्ट आ गयी। यह उसी का प्रमाण-पत्र और ट्राॅफी है।’’ ‘‘...तो मैं इसका क्या करु...हयं...? मैंने तुमसे कितनी बार कहा है, कि
बिखरते सपने (5) ‘‘ओ के, बाय मम्मी, बाय पापा...’’ दोनों ने एक साथ कहा। ‘‘बाय बेटा, बेटा ठीक से जाना...और हां, स्नेहा भईया का ध्यान रखना...बस में ठीक से चढ़ाना और ठीक से उतारना।’’ ‘‘ठीक है पापा।’’ कहकर दोनों ...और पढ़ेजाते हैं। मिस्टर गुप्ता ध्यान से उन्हें जाता हुआ देखते हैं तो सपना कहती है, ‘‘क्या हुआ, इतने ध्यान से क्या देख रहे हैं...? ‘‘तुम्हें क्या लगता है सपना, बड़े होकर हमारा मुन्ना बैडमिन्टन का बड़ा खिलाड़ी बनेगा न...?’’ ‘‘मुन्ना जब बड़ा होगा, तब-की-तब देखी जायेगी। अभी उसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता।’’ ‘‘तुम नहीं समझोगी सपना, मुन्ना