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अतृप्त आत्मा - उपन्यास
pratibha singh
द्वारा
हिंदी डरावनी कहानी
ग्वालियर का किला अपने में बेजोड़ है , इसे भारत का जिब्राल्टर भी कहते हैं । आज हमने ग्वालियर किले पे जाने का प्लान बनाया था , मैं और युवी करीब दोपहर के तीन बजे किले के मुख्य दरवाजे पर पहुँचे , अब यहां से आगे की चढ़ाई हमे पैदल ही चढ़नी थी । किले की चढ़ाई काफी ऊँची और सीधी है , चढ़ते चढ़ते मेरा दम फूलने लगा , तो युवी को चिढ़ाने का मौका मिल गया कहने लगा "लो तुम्हारी सांस तो इतने में ही फूलने लगा केसी राजपूत हो" मैं कोई जवाब ना दे आगे बढ़ती रही
ग्वालियर का किला अपने में बेजोड़ है , इसे भारत का जिब्राल्टर भी कहते हैं । आज हमने ग्वालियर किले पे जाने का प्लान बनाया था , मैं और युवी करीब दोपहर के तीन बजे किले के मुख्य दरवाजे ...और पढ़ेपहुँचे , अब यहां से आगे की चढ़ाई हमे पैदल ही चढ़नी थी । किले की चढ़ाई काफी ऊँची और सीधी है , चढ़ते चढ़ते मेरा दम फूलने लगा , तो युवी को चिढ़ाने का मौका मिल गया कहने लगा "लो तुम्हारी सांस तो इतने में ही फूलने लगा केसी राजपूत हो" मैं कोई जवाब ना दे आगे बढ़ती रही
मुझे होश कब आया मैं कितनी देर बेहोश रही कुछ नही पता पर जब मेरी आँख खुली तो रात हो चुकी थी ,क्योंकि आसमान में तारे दिख रहे थे , पर तभी अचानक मुझे याद आया कि मैं तो ...और पढ़ेनीचे वाले हॉल में बेहोश हुई थी फिर ये आसमान कैसे दिख रहा है। मैंने अपने आस पास नजर दौड़ाई तो पाया कि मै उस झरोखों वाले आंगन में हूं और युवी अभी भी मुझे कही नही दिखा पता नही वो कहा गया था , मुझे कुछ समझ नही आ रहा था क्या वो मुझे अकेला छोड़ के भाग गया
वो चुड़ैल अपनी भयानक शक्ल लिए मेरे सामने खड़ी थी , और डर के मारे मेरी घिग्घी बंधी हुई थी न तो मैं आगे बढ़ पा रही थी न ही पीछे , कहते है न की डर में भी ...और पढ़ेसम्मोहन होता है। मैं अपनी सारी इच्छा शक्ति को समेट के आगे बढ़ी बस एक छोटा सा कदम आगे रखा , और फिर चुड़ैल को देखा उसने कोई हरकत नही की , मेरी थोड़ी हिम्मत बढ़ी मैंने एक कदम और आगे बढ़ाया और मेरे कदम बढ़ाते ही चुड़ैल गायब हो गयी अब मुझे थोड़ी हिम्मत और बढ़ी और मैं हॉल