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प्रेम मोक्ष - उपन्यास
Sohail K Saifi
द्वारा
हिंदी डरावनी कहानी
दुर्घटना संध्या समय की चंचलता अपने मोहक वातावरण मे सूर्य की लाली संग एक अद्धभुत नजारे मे ढल रही हैँ इस समय एक खामोश सडक पर सुभाष अपनी मंजिल की ओर बेखौफ बड़े जा रहा हैँ वो अपनी गाड़ी मे अपनी ही धुन मे मग्न था और उसकी तेज रफ़्तार उसका जोश बढ़ाए जा रही थी सड़क के दोनों छोरो पर दूर तक फैला घना जंगल समय से पहले ही अंधकार मे डूबा हुआ मालूम हो रहा था अचानक सुभाष को एक सुन्दर कोमल युवती दिखी वो सुंदरी एक विशाल वृक्ष से टेक लगा
दुर्घटना संध्या समय की चंचलता अपने मोहक वातावरण मे सूर्य की लाली संग एक अद्धभुत नजारे मे ढल रही हैँ इस समय एक खामोश सडक पर सुभाष अपनी मंजिल की ओर बेखौफ बड़े जा रहा हैँ वो अपनी गाड़ी ...और पढ़ेअपनी ही धुन मे मग्न था और उसकी तेज रफ़्तार उसका जोश बढ़ाए जा रही थी सड़क के दोनों छोरो पर दूर तक फैला घना जंगल समय से पहले ही अंधकार मे डूबा हुआ मालूम हो रहा था अचानक सुभाष को एक सुन्दर कोमल युवती दिखी वो सुंदरी एक विशाल वृक्ष से टेक लगा
सुभाष के कानो मे जैसे ही ये शब्द पड़े वो दुविधा और शंका को अपनी आँखों मे भर उस सुंदरी की और घूरने लगा सुंदरी भी सुभाष को एक रहस्यमय मुस्कान के साथ देखने लगी और अगले ही क्षण ...और पढ़ेमिस बैलेंस हो कर एक चट्टान से जा भिड़ी और बुरी तरहा तहस नहस हो गई उसको देख के कोई भी बोल सकता था के गाड़ी मे सवार लोगों का जिन्दा बचना असंभव हैँ ............... गाड़ी का बोनट बुरी तरह से एक मजबूत पेड़ मे जा धसा, अगले दिन कुछ यात्रियों ने पुलिस को खबर कर दी,दुर्घटना स्थल पर
इस लड़की के कपडे और गहने बेहद प्राचीन हैँ बल्कि ये समझिये इनकी गिनती चुनिंदा चीजों मे होती हैँ विशेषज्ञों की माने तो ये 16 सदी के राजा महाराजाओ के हैँ अब इस लड़की को ये कहाँ ...और पढ़ेमिले ये कहना मुश्किल हैँ इन कपड़ो पर एक विशेष किस्म का पाउडर लगा हैँ ताकि समय का इन पर कोई दूरप्रभाव ना पड़े इसलिए ये कपडे आज भी सुरक्षित हैँ ये 16 सदी का एक गुप्त रूप से उपयोग होने वाला बड़ा ही अनूठा तरीका हुआ करता था खेर अब ये पता लगाना आपका काम हैँ के आखिर ये इसके पास आये कहाँ
कैसे तैसे कर के अविनाश अपनी वीरान हवेली पर पंहुचा अभी रास्ते मे घटी अद्धभुत घटना से वो उभरा भी नहीं था | के हवेली पर पहुंच उसको एक और झटका लगा, हवेली बरसो से खाली ...और पढ़ेथी, इसकी देख भाल के लिए कई बार नौकर रखे थे मगर कोई टिक ना पाता, लेकिन आज हवेली विचित्र रूप मे ढली पड़ी थी? उसकी दीवारे एक दम साफ, ना कोई जाला ना ही कही धूल,हवेली के बाग़ की अच्छे से छटाइ करदी गई थी | हवेली अब वीरान खण्डर नहीं थी, बल्कि उसमे एक नई जान एक नई सुंदरता एक विरला आकर्षन
अजाब सिंह ने जी तोड़ मेहनत कर नेहा के माता पिता के बारे मे बहूत कुछ पता लगा लिया था, जैसे की जब उसने नेहा के आस पड़ोस मे पूछताछ करवाई तो सबने नेहा के माता पिता के गुणगान ...और पढ़ेमगर कोई भी उनको नेहा के जन्म से पहले से नहीं जनता था कियोकि उस जगह वो नेहा के जन्म लेने के 2 वर्ष पश्चात आये थे, और ताज्जुब की बात ये थी के पुरे मोह्हले मे कोई नहीं जनता था के यहाँ आने से पहले वो कहाँ से थे, बस इसी बात ने अजाब को अपनी और विशेष रूप से आकर्षित कर