Garibi ke aachran book and story is written by Manjeet Singh Gauhar in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Garibi ke aachran is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
ग़रीबी के आचरण - उपन्यास
Manjeet Singh Gauhar
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
इस संसार में सभी तरह के प्राणी रहते हैं। इन सभी प्राणियों में से एक प्राणी इन्सान भी है। जो भगवान द्वारा बनाई गयी सभी चीज़ों में बहुत ही ज़्यादा खूबसूरत है। इंसान से जुड़ी कुछ ख़ास चीज़ें मैं आपको इस उपन्यास के द्वारा समझाने की कोशिश करूँगा। हर इंसान के जीवन में बहुत-सी चीज़ें होती हैं। जैसे कि हमारे पड़ोसी श्रीकान्त अंकल जी के जीवन में थी। ये घटना सन् 1967 के क़रीब की है जब श्रीकान्त अंकल जी अपने परिवार के साथ एक छोटे से किराए के मकान में रहते थे।
इस संसार में सभी तरह के प्राणी रहते हैं। इन सभी प्राणियों में से एक प्राणी इन्सान भी है। जो भगवान द्वारा बनाई गयी सभी चीज़ों में बहुत ही ज़्यादा खूबसूरत है। इंसान ...और पढ़ेजुड़ी कुछ ख़ास चीज़ें मैं आपको इस उपन्यास के द्वारा समझाने की कोशिश करूँगा। हर इंसान के जीवन में बहुत-सी चीज़ें होती हैं। जैसे कि हमारे पड़ोसी श्रीकान्त अंकल जी के जीवन में थी। ये घटना सन् 1967 के क़रीब की है जब श्रीकान्त अंकल जी अपने परिवार के साथ एक छोटे से किराए के मकान में रहते थे।
जैसे ही श्रीकान्त अंकल जी ने अपने बेटे रोहन के साथ अपने उस किराए के मकान में पैर रखा, जहॉं वो अपने परिवार के साथ रहते थे। तो घर के दरवाज़े ठीक सामने श्रीकान्त अंकल जी की मॉं चारपाई ...और पढ़ेबैठी हुई थीं। और उनका छोटा लड़का सोहन जिसकी उम्र क़रीब ग्याराह या फिर बारह वर्ष होगी, अपनी दादी माँ के पीछे खड़े होकर उनके बालों में सरसों के तेल से चम्पी कर रहा था। ऊपर छत वाला पंखा हल्की-सी आवाज़ करते हुए धीरे-धीरे घूम रहा था। जो शायद काफ़ी पुराना हो चुका था। जहॉं दादी चारपाई पर बैठकर सोहन
श्रीकान्त अंकल जी की पत्नि जिनका नाम शान्ति था, और जो अपने परिवार के सभी सदस्यों से बहुत प्यार करती थीं। जैसे ही उन्होने अपनी पति को उस हालत में देखा, वो बहुत बुरी तरह घबरा गयीं। और आव ...और पढ़ेना ताव सीधा श्रीकान्त अंकल जी की ओर दौड पड़ी। उनकी तरफ़ दौडते समय उनके मुँह से एक ही आवाज़ निकली, और वो ये कि ' हाय रे भगवान, ये इन्हें क्या हो गया।' वो तुरन्त उनके पास पहुँच गयीं। और बिना श्रीकान्त अंकल जी की तरफ़ देखे, सीधा उनके बालों में हाथ फेरने लगीं। जहाँ श्रीकान्त अंकल जी को चोट
श्रीकान्त अंकल जी के परिवार के सभी सदस्य उनकी अच्छे से देख-भाल करने लगे। कुछ समय के बाद श्रीकान्त अंकल जी को आराम लगने लगा। उनकी सिर की चोट ठीक हो गई। और धीरे-धीरे वो पहले जैसे स्वस्थ हो ...और पढ़ेऔर इसी बीच श्रीकान्त अंकल जी की नौकरी छूट गयी, क्योंकि उनके चोट लगने के कारण उन्हें काफी दिनों के लिए अवकाश पर रहना पड़ा। और घर में बहुत ही ज़्यादा पैसों की तंगी रहने लगी। जिसके कारण श्रीकान्त अंकल जी और उनकी मॉं को छोड़ कर बाकि घर के सभी लोग छोटे-मोटे काम करने लगे। यहाँ तक की श्रीकान्त
श्रीकान्त अंकल जी का अपना घर अब उन्हीं को खाने को दौड़ता था। क्योंकि अब उनके उस किराये के बड़े से मकान में पूरे दिन कोई भी नही रहता था। सिवाय श्रीकान्त अंकल जी और उनकी बूढ़ी मॉं को ...और पढ़ेक्योंकि उनकी पत्नि और बच्चे सुबह काम पर जाते थे, और शाम के समय ही घर में पाँव रखते थे।लेकिन शान्ति आंटी सुबह जल्दी उठकर अपने और घर वालो के लिए खाना बना लेती थीं। और फिर शाम को काम पर से थोड़ा जल्दी आकर शाम के खाने की तैयारी करती थीं।श्रीकान्त अंकल जी सोचते थे कि ' अगर मेरे