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कांट्रैक्टर - उपन्यास
Arpan Kumar
द्वारा
हिंदी लघुकथा
सब अपने-अपने हिसाब से नौकरी करने आए थे। सब अपने-अपने हिसाब से नौकरी किए जा रहे थे। अगर देखा जाए तो आख़िरकार कोई ऑफिस भला क्या होता है! राजनीति और कार्यनीति का अखाड़ा ही तो। एन.आई.सी.एल. भी कुछ वैसा ही ऑफिस था। बड़े पदों वाले बॉस आते-जाते रहते थे मगर कुछ स्थानीय लोग छोटे और मंझोले पदों पर वहीं जमा रहा करते थे। बॉस को भी आने से पहले हर बात की पूरी जानकारी रहा करती थी।
सब अपने-अपने हिसाब से नौकरी करने आए थे। सब अपने-अपने हिसाब से नौकरी किए जा रहे थे। अगर देखा जाए तो आख़िरकार कोई ऑफिस भला क्या होता है! राजनीति और कार्यनीति का अखाड़ा ही तो। एन.आई.सी.एल. भी कुछ वैसा ...और पढ़ेऑफिस था। बड़े पदों वाले बॉस आते-जाते रहते थे मगर कुछ स्थानीय लोग छोटे और मंझोले पदों पर वहीं जमा रहा करते थे। बॉस को भी आने से पहले हर बात की पूरी जानकारी रहा करती थी।
राकेश सोचने लगा। अच्छे फँसे। आज लगता है जैसे केबिन-केबिन का म्यूजिकल चेयर खेल रहा हूँ। कभी बिग बॉस के केबिन में जा रहा हूँ तो कभी एच.आर. हेड की केबिन में। लगता है कि आज का दिन इसी ...और पढ़ेमें बीत जाएगा। और फिर चाहे कितनी ही देर हो, अपनी सीट का काम तो ख़ैर पूरा करना ही है। मरता क्या न करता, वह हरिकिशन के केबिन में गया।
हरिकिशन की साँस में साँस आई। वे एक नवयुवक अधिकारी के आगे अपनी महत्ता पूरी तरह गँवाने से बच गए थे। कम से कम खाने के मेनू का अधिकार उनके पास था। उनके चेहरे पर तसल्ली के भाव स्पष्ट ...और पढ़ेरहे थे।
राकेश हल्का सा मुस्कुराता हुआ चुप ही रहा। वह कुछ संकोच में भी आ रहा था। चरणजीत ने बिकास की बात को पूरी शिद्दत से आगे बढ़ाते हुए और पहले राकेश एवं बाद में बिकास चटर्जी की ओर देखते ...और पढ़ेकहा, आप बिल्कुल दुरुस्त कह रहे हैं दादा। सोलह आना सच। एकदम किसी खरे सोने के माफ़िक।
जिस दिन सांस्कृतिक संध्या का आयोजन था, सुबह से ही गहमागहमी शुरू हो चुकी थी। टीसीएस अपनी आदत के मुताबिक ऑफिस में इधर-उधर घूमता फिर रहा था। राकेश भी अपने कार्यालयी कार्यों के साथ नीचे की जा रही तैयारी ...और पढ़ेमॉनीटर कर रहा था। दोनों दो दिशाओं में व्यस्त थे। मामूली से दुआ सलाम के बाद दोनों अपने-अपने काम में व्यस्त थे। राकेश ने दो दिन पहले ही बैनर वाले वेंडर चंदर कश्यप को अपनी सीट पर बुलाकर बैनर बनाने से लेकर माला, चंदन, कपूर, पोस्टर आदि कई सामग्री लाने के कुछ छोटे-मोटे काम दे दिए थे।