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राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा - उपन्यास
Kishanlal Sharma
द्वारा
हिंदी पौराणिक कथा
22 जनवरी2024
इतिहास के पन्ने में दर्ज एक तारीख ही नही है।सनातन के पुनर्जागरण के श्री गणेश का दिन भी है।और राम के14 वर्ष के वनवास से लौटने के बाद त्रेता युग मे दिवाली मनाई गई थी।कलयुग में500 साल बाद राम लला के पुनः स्थापित होने के बाद यह अवसर आया है।
राम कोई नाम नही है।यह हमारे जीवन का आधार है।कण कण में व्यावपत है।जीवन की शुरुआत से अंत तक राम ही राम है।बिना राम के जीवन की कल्पना नही की जा सकती।राम सर्वत्र व्याप्त है।यह सारा ब्रह्मांड राम की ही कल्पना है।
राम का अवतरण त्रेता युग मे हुआ था।राजा दशरथ के तीन रानिया थी।तीनो ही निसन्तान।तब ऋषि के आशीर्वाद से तीनों रानियों के कौशल्या से राम, कैकयी से भरत और सुमित्रा से लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ।
22 जनवरी2024इतिहास के पन्ने में दर्ज एक तारीख ही नही है।सनातन के पुनर्जागरण के श्री गणेश का दिन भी है।और राम के14 वर्ष के वनवास से लौटने के बाद त्रेता युग मे दिवाली मनाई गई थी।कलयुग में500 साल बाद ...और पढ़ेलला के पुनः स्थापित होने के बाद यह अवसर आया है।राम कोई नाम नही है।यह हमारे जीवन का आधार है।कण कण में व्यावपत है।जीवन की शुरुआत से अंत तक राम ही राम है।बिना राम के जीवन की कल्पना नही की जा सकती।राम सर्वत्र व्याप्त है।यह सारा ब्रह्मांड राम की ही कल्पना है।राम का अवतरण त्रेता युग मे हुआ था।राजा दशरथ
"कहां है राम?सारथी को देखकर व्यग्रता से दसरथ ने पूछा थासारथी राजा दशरथ की बात सुनकर चुप रहा तब वह फिर बोले,"तुम बोलते क्यो नही।कहां है मेरे रामजब सारथी सुमन्त फिर भी नही बोला तो राजा दशरथ बाहर गए ...और पढ़ेऔर रथ को खाली देखकर बोले मैने कहा था,राम को लौटकर लाना"महाराज राम ने मना कर दिया।उन्होंने कहा है वह पिता को दिया वचन झूठा नही पड़ने देगे।वह14 वर्ष का वनवास पूरा करके ही वापस लौटेंगे"कहा छोड़कर आये हो मेरे राम को"चित्रकूट दंडकारण्य वनमें"मुझे ले चलो ।मैं वापस लाऊंगा राम को"महाराज कोई फायदा नही है"सारथी बोला"राम ने कहा है वह14
राम ने 11 वर्ष सीता और लक्ष्मण के साथ चित्रकूट के पास दंडकारण्य वन में गुजारे थे।गोस्वामी तुलिदास ने भी रामचरित मानस कि रचना चित्रकूट में ही कि थी।हनुमानजी की कृपा से उन्हें भगवान राम के दर्शन हुए थेचित्रकूट ...और पढ़ेघाट पर हुई सन्तन की भीड़तुलसीदासचंदन घिसे तिलक करें रघुवीरराम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 11 साल तक चित्रकूट में रहे।वे ऋषि अगस्त्य के आश्रम में भी रहे थे।फिर वहा से पंचवटी चले गए।पंचवटी भी दंडकारण्य वन के अंदर ही आता है।पंचवटी में पांच वट व्रक्ष पास पास है इसलिए इस पंचवटी कहा जाता है।पंचवटी गोदावरी नदी
"कौन है रामऔर उसने रावण को राम के बारे में बताया था"एक वनवासी ने खर दूषण को सेना सहित मार डालाऔर जब सूपर्णखा के भाई भी सेना सहित राम लक्ष्मण के हाथों मारे गए तो वह और ज्यादा उग्र ...और पढ़ेगयी और प्रतिशोध की आग में जलने लगी।अब उसके पास कोई चारा नही था और वह रावण के दरबार मे लंका पहुंची थी"अरे तुझे जरा भी मेरी फिक्र नही है।उन दोनों ने एक औरत के चक्कर मे मेरी यह दुर्दशा कर डाली।मेरी नाक काटकर मुझे तो बदसूरत बना ही दिया तेरे को भी ललकारा है।बहुत बड़ा वीर बना फिरता है
राम हिरन के पीछे चले गए।मारीच राम को जंगल मेदुर तक ले गया था।फिर उसने राम की आवाज में जोर से पुकारा थाहै सीतेहै लक्ष्मणउस आवाज को सुनकर सीता,लक्ष्मण से बोली,"लगता है तुम्हारे भाई मुसीबत में है"भाभी भैया पर ...और पढ़ेआ ही नही सकती"लक्ष्मण मेरा दिल कह रहा है राम पर कोई संकट हैराम,लक्ष्मण से कहकर गए थे कि सीता को अकेली मत छोड़ना लेकिन सीता के धिक्कारने और आज्ञा देने के बाद लक्ष्मण क्या करते।वह जाने को तैयार हो गए।लेकिन बोले,"भाभी मैं जा तो रहा हूँ लेकिन आप कुटिया से बाहर मत निकलनाअब यहाँ सवाल दूसरा उठता है।जनश्रुति है