Ram Mandir Praan Pratishtha - 9 books and stories free download online pdf in Hindi

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा - 9

गुफा का द्वार बंद करके सुग्रीव वापस लौट आया था।उसने रोते हुए सारा समाचार मंत्री व सभा के अन्य लोगो को बताया था।उसकी बात सुनकर दरबारीबोले
राज सिघासन खाली नही रह सकता।अगर राजा बाली नही रहे तो सुग्रीव को राजगद्दी पर बैठना चाहिए
औऱ सुग्रीव का राजभिसेक करके गद्दी पर बैठा दिया गया।
उधर राक्षस को मारने के बाद बाली गुफा के दरवाजे पर आया तो दरवाजा विशाल पत्थर से बंद था ।उसने जैसे तैसे पत्थर को हटाया औऱ गुफा से बाहर आया था।
बाली गुफा से निकलकर राजधानी पहुंचा था।गद्दी पर सुग्रीव को बैठा हुआ देखकर समझ गया कि सुग्रीव उसे मरने के लिए गुफा का दरवाजा बंद कर आया था।
छोटे भाई को गद्दी पर देखकर वह आग बबूला हो गया।सुग्रीव ने भाई को समझाने का बहुत प्रयास किया।पर यवर्थ।जान बचाने के लिए सुग्रीव को भागना पड़ा।बाली ने अपने भाई की पत्नी को भी अपने पास रख लिया.।
सुग्रीव अपनी जान बचाने के लिए ऋषयुमुक पर्वत पर चला गया।जैसा पहले बताया था।ऋषि मतंग ने श्राप दिया था कि अगर बाली इस पर्वत की तरफ आया तो मारा जाएगा। श्राप के डर से बाली उस पर्वत की तरफ नही
जाता था।
रामायण के एक प्रमुख पात्र हनुमान है।या दूसरे शब्दों में हनुमान के बिना रामायण अधूरी है।हनुमान की माँ अंजना जिसे अंजनी भी कहा जाता है और पिता केसरी थे।हनुमान का जन्म ही राम की सहायता के लिए हुआ था।
हनुमान के गुरु सूर्य थे।सूर्य के मित्र सुग्रीव थे।सूर्य ने हनुमान से सुग्रीव की सहायता करने के लिए कहा था।और सूर्य के कहने पर हनुमान सुग्रीव के पास आ गए थे।
कबन्ध ने जब सीता का अपहरण हो गया तब सुग्रीव से मिलने की सलाह दी।राम और लक्ष्मण उस पर्वत के पास चले आये जिसकी गुफा में सुग्रीव अपने वफादार हनुमान,जामवंत जैसे विश्वासपात्र लोगो के साथ रहते थे।सुग्रीव की नजर वन में घूमते दो युवकों पर पड़ी।उन धनुष धारी युवकों को देखकर सुग्रीव, हनुमान से बोले
मुझे लगता है, बाली ने मुझे मारने के लिए उन्हें भेजा है।
"मुझे ऐसा नही लगता।ये दोनों युवक शायद रास्ता भटक गए हैं
"नही हनुमान।ये युवक हमारे राज्य के नही लग रहे।ये बाहर से बुलाये गए हैं।बाली ऋषि के श्राप कि वजह से यहां नही आ सकता।इसलिए उसने इन्हें बुलाया है
"क्या करे?
"तुम एक काम करो हनुमान
"क्या महाराज
"पता करो हनुमान कौन है ये लोग
"जरूर
हनुमान ने साधु का भेष धारण कर लिया था।औऱ चल दिये
जब राम लक्ष्मण सीता को खोजते हुए वन में भटक रहे थे।तब वह सबरी की कुटिया पर जा पहुंचे थे।सबरी राम को अपनी कुटिया में देखकर बहुत खुश हुई थी।उसने राम व लक्ष्मण को बेर खिलाये थे।उसी ने प्रभु राम को दक्षिण दिशा में जाने की सलाह दी थी।राम ने कबन्ध का भी उद्धार किया था।उसी ने राम को सुग्रीव से मित्रता करने की सलाह दी थी
और सुग्रीव खोज में वे जंगलों में भटक रहे थे।
"हनुमान जरा तुम देख कर आओ आखिर ये दो लोग कौन है और इस जंगल मे किस कारण से आये हैं।"सुग्रीव कि बात का समर्थन जामवंत व अन्य लोगो ने भी किया था।
और हनुमान साधु का भेष धारण करके उन दो युवकों के पास जा पहुंचे
"क्या आप दोनों रास्ता भटक गए है?"हनुमान ने उनसे पूछा था

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