राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा - 10 Kishanlal Sharma द्वारा पौराणिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा - 10

"नही साधु महाराज हम रास्ता नही भटके है
"रास्ता नही भटके तो इस जंगल मे कोमल शरीर के बालक नंगे पैर क्यो भटक रहे हैं।
"हम रास्ता नही भटके है?
"फिर इस जंगल मे क्या कर रहे हैं?
"हम किसी की तलाश में यहाँ आये है?
"किसकी?
",सुग्रीव की
सुग्रीव का नाम सुनते ही हनुमान के कान खड़े हो गए"आपको बाली ने भेजा होगा
"नही तो
"फिर सुग्रीव की तलाश क्यो
"हम उनकी सहायता लेने आये हैं
"सहायता क्यो
"असल मे मेरी भाभी को रावण उठा कर ले गया है।वह उन्हें किधर ले गया है।"लक्ष्मण ने सारी बात बताई थी
"आप दोनों है कौन?"हनुमान ने पूछा था
"मैं लक्ष्मण हूँ"लक्ष्म न अपना परिचय देते हुए बोले,"औऱ ये मेरे भाई राम है
"प्रभु
राम का नाम सुनते ही हनुमान उनके चरणों मे गिर पड़े।हनुमान का जन्म ही राम की सहायता के लिए हुआ था।
"आप दोनों मेरे कंधे पर बैठ जाये
राम और लक्ष्मण दोनों भाई हनुमान के कंधों पर बैठ गए।हनुमान उन्हें सुग्रीव के पास ले गए।
"यह प्रभु राम है और ये उनके भाई लक्ष्म न
हनुमान ने राम की मित्रता सुगरिव से कराई थी।
"राजा होने के बाद आप इस पहाड़ी पर छिप कर क्यो रह रहे है
तब सुग्रीव ने पूरी बात बताई थी।राम,सुग्रीव की आपबीती सुनकर बोले,"छोटे भाई का राज ही नहीं पत्नज को भी हड़प लिया।मैं तुम्हे तुम्हरी पत्नी ही नही राज भी वापस दिलाऊंगा
राम ने सुग्रीव को बाली से उसका राज और पत्नी वापस दिलाने का वादा किया था।सुग्रीव ने राम से वादा किया था कि वह सीता की खोज में उनकी पूरी मदद करेगा।
और हनुमान ने दोनों को मिलवाने और दोस्ती कराने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
एक दिन राम ने सुग्रीव से कहा,"तुम बाली को द्वंद युद्ध के लिए ललकारो
"बाली बहुत बलवान है।मैं उससे नही जीत पाऊंगा।दुश्मन का आधा बल वह हर लेता है
"चिंता मत करो।मैं तुम्हारे साथ हूँ
औऱ राम के कहने पर सुग्रीव ने बाली को ललकारा था।उसकी ललकार सुनकर बाली बोला,"तुझ्रे तो मैं पहले ही मारकर भगा चुका हूँ
"हिम्मत नही है क्या मुझसे लड़ने की।कायर औरतों की तरह छिप कर बैठा है
सुग्रीव के ललकारने पर बाली उससे युद्ध करने के लिए ततपर हो गया और दोनों का जंगल मे दुंद युद्ध होने लगा।राम एक पेड़ के पीछे छिप कर दोनों भाई का युद्ध देखने लगे।दोनों भाई कद काठी और शक्ल से एक से लगते थे।इसलिय राम पहचान नही पाए औऱ बाली ने सुग्रीव को दुंद युद्ध मे हरा दिया।सुग्रीव अपनी जान बचाकर भागा
आप तो कह रहे थे मैं बाली को मार दूँगा।लेकिन मेरी ही जान के लाले पड़ गए थे।
सुग्रीव तुम दोनों भाई एक से लगते हो इसलिए मैं पहचान नही पाया
राम अपने गले की माला सुग्रीव को पहनाते हुए बोले
इस बार बाली बच कर नही जा पायेगा
और राम के समझाने पर सुग्रीव ने फिर से बाली को जाकर ललकारा था।
तू फिर आ गया।अभी तो मैने तुझ्रे मारकर भगाया था।मेरे हाथों क्यो मरना चाहता है
बक बक मत कर हिम्मत है तो आ जा
औऱ बार बार ललकारने पर बाली फिर आ गया।फिर दोनों भाई लड़ने लगें।राम एक पेड़ के पीछे छिपकर दोनों का युद्ध देखने लगें।
बाली सामने वाले का आधा बल हर लेता था।बाली ने सुग्रीव की बुरी गत बना दी।जब राम को लगा।बाली उसे मार डालेगा तब उन्होंने बाली पर अपना बाण चला दिया