राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा - 11 Kishanlal Sharma द्वारा पौराणिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा - 11

और बाली बाण लगते ही गिर पड़ा
"राम तुंमने मुझे धोखे से मारा है।
बाली ने राम को काफी कुछ कहा था।राम ने लक्ष्मण को बाली के पास राजनीति की शिक्षा लेने के लिए भेजा था।बाली की मौत के बाद राम ने सुग्रीव का राज्याभिषेक किया था।राजा बनने के बाद सुग्रीव बोला,"अब मेरा सबसे पहला कर्तव्य है।माँ सीता की खोज करना
सीता की खोज के लिए चार दल बनाये गए थे।ऐसा इसलिए किया गया ताकि सीता का पता जितनी जल्दी हो सके लगया जा सके। और इन चारों दलों को चार दिशा में भेजा गया था।दक्षिण दिशा में जामवंत, हनुमान व अंगद को भेजा गया था।
वे लोग सीता की तलाश करते हुए अंतिम छोर पर चले आये
"यहाँ तो अथाह समुद्र है।लंका कहाँ है
"पूछते हैं
और उन्हें किसी ने बताया था।लंका बीस मील दूर समुद्र में है
"वहाँ कैसे जायेगे?हनुमान ने कहा था
"समुद्र को पार करके"जामवंत बोले
"इसे पार कौन करेगा?"
"तुम
"मैं?"जामवंत की बात सुनकर हनुमान बोले,"मैं कैसे करूंगा
"हनुमान तुम में शक्ति है।तुंमने सूरज को भी वश में कर लिया था
जामवंत ने हनुमान को उनकी शक्ति याद दिलाई जो वह भूल चुके थे।औऱ शक्ति याद आने पर हनुमान में बल लौट आया और उन्होंने विशाल रूप धरकर छलांग लगाई और समुद्र को लांघ गए थे।
हनुमानजी लंका तो पहुंच गए लेकिन वह एक किले के रूप में थी।उस किले की रक्षा लंकनी नाम कि राक्षशी के नेतृत्व में राक्षश करते थे।किले कि अभेध सुरक्षा को भेदने के लिए हनुमान ने रात का समय चुना।
हनुमान रूप बदलने के साथ अपने शरीर का आकार बदलने में भी माहिर थे। रात का समय उन्होंने इसलिए चुना था कि रात में लोग सोते है और सुरक्षा कर्मी भी आलस्य की मुद्रा में होते हैं।किसी की पकड़ में न आये इसलिए उन्होंने मचक्षर का रूप धारण किया और किले की चार दिवारी को पार किया लेकिन लंकनी की नजरों से न बच पाए।उसने उन्हें पकड़ ही लिया
जब लंकनी ने हनुमान को रोक दिया तो विवाद हो गया और गुस्से मे हनुमानजी ने लंकनी के एक घूंसा जड़ दिया घूंसे का प्रहार इतना शक्तिशाली था कि उसका चेहरा बिगड़ गया और वह बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ी।इस अवसर का फायदा उठाकर हनुमानजी लंका में प्रवेश कर सकते थे।लेकिन उन्होंने ऐसा नही किया।वह वही पर खड़े रहे और लंकनी के होश में आने का ििनतजार करते रहे।
औऱ काफी देर बाद उसे होश आया था।होश में आने पर वह हाथ जोड़कर बोली
राक्षसों के अंत का समय आ गया है
बस एक घूंसे में तुम पूरी राक्षस जाति के सर्वनाश कि बात करने लगी
मैं नही कर रही।यह बात तो ब्रह्माजी ने मुझे बतायी थी
क्या
ब्रह्माजी ने मुझसे कहा था।जब तुम किसी वानर के प्रहार से गिर जाओगी तब समझ लेना राक्षस जाति का अंत हो जाएगा
लंकनी से बेबाक बाते सुनकर हनुमानजी को आश्चर्य हुआ था।साफ शब्दों में उसने अपनी जाति की नष्टहोने की बात कबूल ली थी।
हनुमानजी ने वेश बदलकर लंका का भृमण किया और वहाँ की सिथति का आकलन किया था।वहाँ की सुरक्षा का जायजा लिया।और एक घर देखकर वह उसमे चले गए।वह घर रावण के भाई विभीषण का था।
आंखे खुलने पर विभीषण की नजर एक अजनबी पर पड़ी
"कौन हो तुम?