राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा - 16 Kishanlal Sharma द्वारा पौराणिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा - 16

नल व नील ने  समुद्र पर पुल बनाया था।असल मे धनुष कोटी से लंका तक सात टापू है।इनको आधार के रूप में इस्तेमाल किया गया था।पुल बनाने के लिये पूरी वानर सेना  लगी थी।पुल बनाने के लिये लकड़ी, पत्थर व अन्य सामग्री का उपयोग किया गया था।समुद्र पर पुल का निर्माण कराने के लिये पूरी सेना लगी थी।और अथक प्रयास के बाद आखिर मै समुद्र पर पुल का काम पूरा हो गया था।यायाऔर इस पुल का उपयोग करके सेना ने समुद्र को पार किया और लंका जा पहुंची थी।

और यह खबर लंका पहुंच गई।मंदोदरी घबरा रही थी।

"हमे युद्ध कब शुरू करना है?सुग्रीव ने राम से पूछा था।

"अभी नही।हमे अभी युद्ध टालने का प्रयास करना चाहिये

"वो कैसे प्रभु?"सुग्रीव हाथ जोड़कर बोले।

"हम शांति का प्रस्ताव लेकर शांतिदूत भेजेंगे।"

"रावण अहंकारी हैं वह कभी नही मानेगा

"मैं जानता हूं लेकिन  हमे शांति का प्रयास जरूर करना चाहिये।

उधर राम की सेना के लंका आने पर मंदोदरी बहुत चिंतित थी।उसने अपने पति रावण को समझाने का भरसक प्रयास किया था।लेकिन अहंकार से चूर रावण कहाँ मानने वालों में से था।रावण के दरबार मे सभी सभासद मौजूद  थे।विचार विमर्श चल रहा था।सेना आने पर क्या किया जाए।रावण के नाना ने सलाह दी थी,"वह वनवासी कुछ नही कर पायेगा

और तभी रावण के भाई विभीषण दरबार मे आ गए थे।रावण बोला,"तुम्हारी क्या राय है?"

"अगर आप मुझसे पूछ रहे हैं तो मैं मति सम्मत बात ही करूंगा।पराई स्त्री पर नजर रखना मति सम्मत नही है।सीता को आप लौटा दे और युद्ध को टाल दे।इसी में लंका की भलाई है।"

"तुम चाहते हो हम उस वनवासी से डर जाए।"

"भैया पराई स्त्री का अपहरण ही करना गलत था।अब आप उस गलती को सुधार लो1

रावण अपने भाई की सलाह सुनकर इतना गुस्सा हो गया कि उसने लात मारकर विभीषण को द दरबार से निकाल दिया।विभीषण बाहर जाते हुए बोला,"यह राक्षस जाति के सर्वनाश का कारण बनेगी

और भाई से अपमानित होकर विभीषण ने काफी सोच विचार किया और फिर राम की शरण मे जाने का फैसला किया।और विभीषण को आते देखकर तुरन्त राम को सूचना दी गई।लक्ष्मण बोले,"लगता है, विभीषण हमारे यहाँ का भेद लेने के लिये आया है।हमें उन्हें नही आने देना चाहिये।"

"शरणागत की रक्षा औऱ शरण देना सबसे बड़ा धर्म है।"

और राम ने रावण के भाई को अपने पास बुलाया था।विभीषण को आदर पूर्वक राम के पास लाया गया।

"प्रभु, मैं रावण का भाई विभीषण हो

और राम और विभीषण में बातचीत होने लगी।और राम ने विभीषण को लंका का राजा घोषित कर दिया।

"हनुमान को शांतिदूत बनाकर भेजा जाए।"

"नहीं,"राम बोले,"हम हनुमान को भेजेंगे, तो रावण समझेगा हमारे पास, वीर पुरषों की कमी है।हम किसी दूसरे को भेजेंगे।"

"किसे प्रभु?"

"इस बार हम वीर अंगद को शांति दूत बनाकर भेजेंगे।"

 कुछ देर सोचने के बाद राम बोले,"हम इस बार अंगद को भेजेंगे।"

प्रभु राम की बात सुनकर सुग्रीव और सभी ने प्रशंसा की थी।और अंगद राम के शांति दूत बनकर  लंका गए थे।रावण का दरबार लगा हुआ था।तभी एक द्वारपाल ने आकर सूचना दी"महाराज श्री राम के दूत अंगद कोई प्रस्ताव लेकर आये हैं।""

"अच्छा उस वनवासी का दूत आया है।क्या प्रस्ताव लाया है?"रावण बोला2,"उस दूत को सभा मे लेकर आओ हम भी सुने।"

और द्वारपाल चला गया था