Ibne Safi लिखित उपन्यास शकराल की कहानी

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शकराल की कहानी द्वारा  Ibne Safi in Hindi Novels
(1) लाल और सफेद गुलाबों का जंगल ढोल और तुरहियों की आवाजों से गुज रहा था। गुलतरंग के मेले की अन्तिम रात थी। तीर्थस्थान के...
शकराल की कहानी द्वारा  Ibne Safi in Hindi Novels
(2) "हमारे बम से बाहर है-" शहवाज ने ऊंची आवाज में कहा । "तुन लोगों के लिये हवाई जहाज भिजवा रहा हूँ" राजेश ने हाथ हिलाकर...
शकराल की कहानी द्वारा  Ibne Safi in Hindi Novels
(3) "दो-" शहबाज ने उत्तर दिया । "अगर वह बस्ती में मौजूद न हुये तो?" "देखा जायेगा—” शद्बाज ने लापरवाही से कहा...
शकराल की कहानी द्वारा  Ibne Safi in Hindi Novels
(4) "यह क्या कर रहे हो--?" राजेश बोला । "अगर उसने छिन कर कोई हरकत की तो तुम जिन्दा नहीं रहोगे।" "उस बेचारे को पता ही न ह...
शकराल की कहानी द्वारा  Ibne Safi in Hindi Novels
(5) "तुम मेरा वह सूटकेस मंगवा दो जिसके ऊपर दो काली धारियाँ पड़ी हुई हैं— ” राजेश ने शकराली सरदार से कहा । "अ...