Jaadu Jaisa Tera Pyar book and story is written by anirudh Singh in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Jaadu Jaisa Tera Pyar is also popular in प्रेम कथाएँ in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
जादू जैसा तेरा प्यार - उपन्यास
anirudh Singh
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
रात के आठ बजे भी गोवा के सेंट मरियम ऑडिटोरियम में आज जबरदस्त चहल पहल थी,आखिर हो भी क्यों न...दौर था यूथ्स 'आइकॉन ऑफ इंडिया' अवार्ड्स प्रोग्राम का....देश भर के सैकड़ो युवा उधोगपतियों को इस कार्यक्रम के व्यवस्थापकों द्वारा यहां आमंत्रित किया गया था, और उनमें से कुछ टॉप बिजिनेसमैन्स को उनके अचीवमेंट के अनुसार विभिन्न कैटेगिरीज में पुरुस्कृत किये जाने की घोषणा एंकर द्वारा स्टेज से की जा रही थी.....और फिर कुछ छोटे छोटे अनाउंसमेंट के बाद बारी आई इस प्रोग्राम के सबसे बड़े अवार्ड की घोषणा करने की.......उस एक यूथ बिजिनेसमैन का नाम सुनने के लिए ऑडिटोरियम में मौजूद हर एक शख्स बेताब था......और फिर जल्द ही वो समय आया जब एंकर ने पूरे जोश के साथ उस अवार्ड के विनर की घोषणा की....
"एन्ड द अवार्ड ऑफ यूथ्स आइकॉन ऑफ इंडिया 2022 गोज टू ........मिस्टर वैभव खन्ना......सीईओ ऑफ द 'एम्पायर डॉट कॉम'........काँग्रेचुलेशन मिस्टर वैभव एन्ड प्लीज कम ऑन द स्टेज"
सीटियों की आवाज और तालियों की गड़गड़ाहट से वह सारा ऑडिटोरियम गूंज उठा था......और फिर कुछ ही क्षणों बाद एक सामान्य सी कद काठी वाला लगभग अठ्ठाइस उनतीस साल का गेहुंए रंग वाला युवक स्टेज पर था.....युवक ने व्हाइट कलर का कोट पेंट एवं ब्लैक शूज पहन रखे थे.......चेहरे पर जबरदस्त कॉन्फिडेंस और आंखों में स्वाभिमान लिए हुए इस युवा बिजिनेसमैन ने पहले तो स्टेज एवं ऑडिटोरियम में मौजूद जबरदस्त भीड़ का अभिवादन किया....और फिर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद गोवा के चीफ मिनिस्टर से ट्रॉफी एवं प्रशस्ति पत्र प्राप्त किया.....इस दौरान ऑडिटोरियम के चप्पे चप्पे पर बिजिनेसमैन वैभव खन्ना की चर्चा हो रही थी......मात्र छह सालों में एक स्टार्टअप के तौर पर शुरू की गई बेव साइट ने कैसे खुद को एक 30 मिलियन डॉलर का टर्नओवर देने वाले बिजिनेस के रूप में स्थापित कर लिया,इसके बारे में लोग अपनी अपनी कहानियाँ,गॉशिप और फैक्ट सुनाने में व्यस्त थे......तो वही आयोजको के अनुरोध पर वैभव माइक अपने हाथ मे थाम कर लोगो को सम्बोधित करने लगा।
रात के आठ बजे भी गोवा के सेंट मरियम ऑडिटोरियम में आज जबरदस्त चहल पहल थी,आखिर हो भी क्यों न...दौर था यूथ्स 'आइकॉन ऑफ इंडिया' अवार्ड्स प्रोग्राम का....देश भर के सैकड़ो युवा उधोगपतियों को इस कार्यक्रम के व्यवस्थापकों द्वारा ...और पढ़ेआमंत्रित किया गया था, और उनमें से कुछ टॉप बिजिनेसमैन्स को उनके अचीवमेंट के अनुसार विभिन्न कैटेगिरीज में पुरुस्कृत किये जाने की घोषणा एंकर द्वारा स्टेज से की जा रही थी.....और फिर कुछ छोटे छोटे अनाउंसमेंट के बाद बारी आई इस प्रोग्राम के सबसे बड़े अवार्ड की घोषणा करने की.......उस एक यूथ बिजिनेसमैन का नाम सुनने के लिए ऑडिटोरियम में
अवार्ड्स विनिंग के ठीक एक हफ्ते बाद कनाड़ा से एक फ्लाइट दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लैंड होती है.....अन्य पैसेंजर्स के साथ साथ इसमें से वैभव खन्ना भी अपने पीए बलबीर संधू के साथ बाहर निकलता है,जो ...और पढ़ेगोवा से सीधा अपने बिजिनेस के सिलसिले में यूरोप के कुछ देशों की यात्रा के लिए निकल गया था। एयरपोर्ट के बाहर उसे रिसीव करने प्रिया स्वंय आई हुई थी, प्रिया .....5.5 हाइट,परफेक्ट फिगर,लंबे बाल,गोरा रंग, पिंक साड़ी में चेहरे पर मुस्कान के साथ उसकी झील जैसी नीली आंखों में एक हफ्ते से वैभव के इंतजार की बेसब्री लिए हुए
और फिर कुछ देर बाद वैभव और प्रिया घर के एक आलीशान से गेस्ट रूम में दिव्या के साथ कॉफी पीते नजर आते है......दिव्या बहुत ही ज्यादा खुश थी,उसने दिल से कई बार वैभव और प्रिया को इस इंटरव्यू ...और पढ़ेलिए थैंक्स किया था......ट्राईपॉड पर लगा कर अपने कैमकॉर्डर को रिकॉर्डिंग मोड़ पर लगाने के बाद दिव्या ने एक्साइटमेंट के साथ उन दोनों से रिक्वेस्ट की......"प्लीज मैम,प्लीज सर.....स्टार्ट कीजिये" "अरे...पर स्टार्ट करना कहां से है....और हम में से किसको करना है....?." दिव्या की उत्सुकता देखते हुए वैभव ने हंसते हुए उस से सवाल किया। पर जबाब दिव्या से पहले प्रिया
प्रिया पढ़ाई में एक औसत पर काफी सिंसियर स्टूडेंट् थी. .......और मैं एकदम किताबी कीड़ा....... फिर एक दिन अचानक से लाइब्रेरी में फर्स्ट टाइम मेरी बात प्रिया से हुई थी......जब उसने अपनी एक सब्जेक्ट रिलेटेड कन्फ्यूजन को दूर करने ...और पढ़ेलिए मुझसे डिस्कशन किया था। बस फिर क्या था..लाइब्रेरी में पहली बार शुरू हुआ बातचीत का वह दौर....कॉलेज का पहला साल खत्म होने तक अच्छी खासी फ्रेंडशिप में बदल चुका था। हम चार-पांच फ्रेंडस का एक ग्रुप बन चुका था ,मैं,अनिकेत,मिहिर,सौम्या और प्रिया......क्लास में साथ बैठने से लेकर लाइब्रेरी में पढ़ाई और खाली समय मे थोड़ा बहुत कैंटीन में साथ
प्रिया अब सामान्य हो चुकी थी, पर अभी भी उसने किसी को कुछ नही बताया था.....अनिकेत,सौम्या और मिहिर क्लास में जा चुके थे पर मैं अभी भी प्रिया के पाया ही था.....उसके रोने का कारण पूंछने की हर सम्भव ...और पढ़ेकरने के बाद असफल होकर यूं ही उसके पास बैठा हुआ कभी उसको,तो कभी बास्केटबॉल के उस खाली पड़े कोर्ट को निहार रहा था......तभी अचानक से प्रिया ने अपना मौनव्रत तोड़कर बोलना शुरु किया प्रिया- "पता है वैभव.....मैं बहुत अकेला फील कर रही हूँ खुद को......" मैं- "आख़िर ऐसा भी क्या हुआ?" प्रिया- "वैभव ,सिर्फ तुम पे ट्रस्ट करके अपने