अवार्ड्स विनिंग के ठीक एक हफ्ते बाद कनाड़ा से एक फ्लाइट दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लैंड होती है.....अन्य पैसेंजर्स के साथ साथ इसमें से वैभव खन्ना भी अपने पीए बलबीर संधू के साथ बाहर निकलता है,जो कि गोवा से सीधा अपने बिजिनेस के सिलसिले में यूरोप के कुछ देशों की यात्रा के लिए निकल गया था।
एयरपोर्ट के बाहर उसे रिसीव करने प्रिया स्वंय आई हुई थी,
प्रिया .....5.5 हाइट,परफेक्ट फिगर,लंबे बाल,गोरा रंग, पिंक साड़ी में चेहरे पर मुस्कान के साथ उसकी झील जैसी नीली आंखों में एक हफ्ते से वैभव के इंतजार की बेसब्री लिए हुए प्रिया एयरपोर्ट के बाहर लगी हुई स्ट्रीट लाइट्स की दूधिया रोशनी में बेहद खूबसूरत लग रही थी ।
और फिर सामने वैभव को खड़ा देख उसकी आँखों मे खुशी के आंसू झलक आते है, वैभव भी मुस्कुराते हुये तुरन्त ही प्रिया को गले से लगा लेता है।
"लव यू प्रिया.....बहुत मिस किया तुझको यार"
वैभव भी प्रिया से गले लग कर इमोशनल हो गया था।
"झूठा कही का.....बीबी से पीछा छूटने पर फ्रीडम एन्जॉय कर रहा होगा 😀"
प्रिया ने अब एक विशुद्ध भारतीय पत्नी की तरह तंज कसते हुए,वैभव की चुटकी ली।
दोनो ठहाका लगा कर हंस पड़े....
और फिर कुछ ही देर में उनकी ब्लैक कलर की ऑडी ए 8 कार शहर के सबसे पॉश एरिया लुटियंस दिल्ली में बने हुए एक भव्य और आलीशान बंगले के गेट पर पहुंचती है...ड्राइविंग सीट पर प्रिया बैठी हुई थी,...बंगले के मेंन गेट पर खड़े दोनो गार्ड्स उनको सैल्यूट ठोकने के साथ ही गेट को खोलते है......और उनकी कार बंगले में दाखिल हो जाती हैं.......किसी राजा महाराजा के महल की तरह बना हुआ एक बेहद खूबसूरत,संगमरमर की तरह सफेद रंग का विशालकाय बंगला,और उसके साथ कई एकड़ में फैला हुआ फॉर्म हाउस......जिसमे बने हुए लॉन, हरा भरा बगीचा,स्वीमिंगपूल आदि इस बंगले की खूबसूरती को चार चांद लगा रहे थे........सच मे बड़ी प्यारी सी दुनिया बना रखी थी वैभव और प्रिया ने।
घर पहुंचते ही ड्रॉइंगरूम में आया के पास अपने टैडी के साथ खेल रही उनकी दो साल की बेटी 'अहाना' डैडी को सामने देख कर खुशी से झूम कर वैभव की ओर दौड़ने लगी ......वैभव ने भी घुटनो पर बैठ कर पास आई अपनी बेटी को सीने से लगा लिया.....
वैभव अपनी बेटी के साथ खेलने में व्यस्त था तभी पीछे से प्रिया की आवाज़ सुनाई दी।
"नाश्ता रेडी है.....आ जाइए...और हां मैने आपको कॉल पर बताया था न अपनी स्कूल फ्रैंड की कजिन दिव्या के बारे में,जो जर्नलिस्ट है......उसको दोपहर 12 बजे का टाइम दे दिया है....तो कुछ देर उसके साथ व्यस्त रहना पड़ेगा हमें।"
"यार....तुम भी.....कहाँ इन जर्नलिस्टो के चक्कर मे पड़ जाती हो.....आज दोपहर लोकल क्लाइंट्स के साथ मीटिंग्स थी,तुम्हारी इस जर्नलिस्ट के चक्कर मे शाम के लिए रीशेड्यूल कराई वह .....क्या इतना जरूरी है यह इंटरव्यू" वैभव ने जबाब दिया
"वैभव.....वह हमारी कहानी पर एक डॉक्यूमेंट्री बनाना चाह रही है....वह एक स्ट्रगलिंग मीडिया पर्सन है,शायद हमारी वजह से उसके कैरियर में भी कुछ अच्छा हो सके, उसके लिए मेरी बचपन की फ्रेंड ने सिफारिश की और मैं मना न कर सकी.....और फिर वह हम पर बनी मीनिंग फूल डॉक्यूमेंट्री से यूथ्स को एक मैसेज भी देना चाहती है....कि लव और कैरियर दोनो को एक साथ स्टेबलिश किया जा सकता है,यदि आपकी रिलेशनशिप में अंडरस्टैंडिंग हो तो.....ये तो अच्छी बात है न.......अब प्लीज जल्दी से नाश्ता करके रेडी हो जाओ. ..... वो आने ही वाली होगी।"
हम सभी इंडियंस पैदा ही जुगाडू प्रवृत्ति के साथ होते है......इक्कीस साल की युवा जर्नलिस्ट दिव्या शिंदे में भी यह गुण साफ झलक रहा था......तभी तो एक हफ्ते के अंदर ही उसने अपनी किसी दूर की रिलेटिव्स कजिन से,(जो कि प्रिया की स्कूल फ्रैंड भी रही है) अपनी डॉक्यूमेंट्री के लिए इंटरव्यू की जुगाड़ भी लगवा ली थी।
.........कहानी आगे भी जारी रहेगी.......