जादू जैसा तेरा प्यार - (भाग 01) anirudh Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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जादू जैसा तेरा प्यार - (भाग 01)

रात के आठ बजे भी गोवा के सेंट मरियम ऑडिटोरियम में आज जबरदस्त चहल पहल थी,आखिर हो भी क्यों न...दौर था यूथ्स 'आइकॉन ऑफ इंडिया' अवार्ड्स प्रोग्राम का....देश भर के सैकड़ो युवा उधोगपतियों को इस कार्यक्रम के व्यवस्थापकों द्वारा यहां आमंत्रित किया गया था, और उनमें से कुछ टॉप बिजिनेसमैन्स को उनके अचीवमेंट के अनुसार विभिन्न कैटेगिरीज में पुरुस्कृत किये जाने की घोषणा एंकर द्वारा स्टेज से की जा रही थी.....और फिर कुछ छोटे छोटे अनाउंसमेंट के बाद बारी आई इस प्रोग्राम के सबसे बड़े अवार्ड की घोषणा करने की.......उस एक यूथ बिजिनेसमैन का नाम सुनने के लिए ऑडिटोरियम में मौजूद हर एक शख्स बेताब था......और फिर जल्द ही वो समय आया जब एंकर ने पूरे जोश के साथ उस अवार्ड के विनर की घोषणा की....
"एन्ड द अवार्ड ऑफ यूथ्स आइकॉन ऑफ इंडिया 2022 गोज टू ........मिस्टर वैभव खन्ना......सीईओ ऑफ द 'एम्पायर डॉट कॉम'........काँग्रेचुलेशन मिस्टर वैभव एन्ड प्लीज कम ऑन द स्टेज"

सीटियों की आवाज और तालियों की गड़गड़ाहट से वह सारा ऑडिटोरियम गूंज उठा था......और फिर कुछ ही क्षणों बाद एक सामान्य सी कद काठी वाला लगभग अठ्ठाइस उनतीस साल का गेहुंए रंग वाला युवक स्टेज पर था.....युवक ने व्हाइट कलर का कोट पेंट एवं ब्लैक शूज पहन रखे थे.......चेहरे पर जबरदस्त कॉन्फिडेंस और आंखों में स्वाभिमान लिए हुए इस युवा बिजिनेसमैन ने पहले तो स्टेज एवं ऑडिटोरियम में मौजूद जबरदस्त भीड़ का अभिवादन किया....और फिर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद गोवा के चीफ मिनिस्टर से ट्रॉफी एवं प्रशस्ति पत्र प्राप्त किया.....इस दौरान ऑडिटोरियम के चप्पे चप्पे पर बिजिनेसमैन वैभव खन्ना की चर्चा हो रही थी......मात्र छह सालों में एक स्टार्टअप के तौर पर शुरू की गई बेव साइट ने कैसे खुद को एक 30 मिलियन डॉलर का टर्नओवर देने वाले बिजिनेस के रूप में स्थापित कर लिया,इसके बारे में लोग अपनी अपनी कहानियाँ,गॉशिप और फैक्ट सुनाने में व्यस्त थे......तो वही आयोजको के अनुरोध पर वैभव माइक अपने हाथ मे थाम कर लोगो को सम्बोधित करने लगा।
"हैल्लो....लेडीज एन्ड जेंटलमैन.....दिस इज वैभव खन्ना......इस खुशी के पल को आप सभी के साथ शेयर करते हुए बहुत अच्छा फील कर रहा हूँ........आप में से बहुत से लोग मुझसे परिचित है,और बहुत से लोग नही भी है........तो आप सबको मैं खुद से इंट्रोड्यूस करा दू.......मैं हूँ 'एम्पायर डॉट कॉम' का सीईओ.....हमारी कम्पनी दुनिया के दस से अधिक देशों में लैंड एवं प्रॉपर्टी को सोल्ड एवं पर्चेज करने का काम करती है....छह साल पहले एक स्टार्टअप के रूप में शहर में स्टूडेंट्स को रेंट पर रूम्स एवं फ्लैट उपलब्ध कराने की वेबसाइट के साथ मैने काम स्टार्ट किया था......अपनी ईजी एन्ड सेफ पॉलिसीज के चलते आप सबके सपोर्ट एवं प्यार से आज हमने यह मुकाम हासिल किया है.......इसके लिए हमारे सभी कस्टमर्स एवं शेयर होल्डर्स को भी इस मंच से दिल से थैंक्स बोल रहा हूँ.......मेरा मानना है कि यदि हम पूरी ईमानदारी के साथ किसी भी काम को दिल मे यह ठान कर करें कि इसका मनचाहा लक्ष्य हमें हर हाल में चाहिए है.....तो फिर हम लड़खड़ा कर ही सही,गिर कर ही सही,रेंग कर ही सही उस लक्ष्य तक पहुंच ही जाते है.......आप सभ भी अपनी लाइफ में अपने सभी गोल्स अचीव करें इसी विशेज के साथ ऑल द बेस्ट, गुड़ बाय आप सभी को।"

वैभव के द्वारा जोशीले अंदाज में इस सम्बोधन के समाप्त करते ही एक बार फिर से तालियों की गड़गड़ाहट से चारो दिशाएं गूंज उठी।

पर एंकर भी वैभव से इस कदर प्रभावित था कि इतनी आसानी से उसे जाने नही देना चाहता था....

"वैभव सर,वन लास्ट क्वेश्चन.......इतनी कम एज में आपने इतना बड़ा एम्पायर खड़ा किया....इस सक्सेस के पीछे किसका सहयोग रहा.....आपके पेरेंट्स, फैमिली, फ्रेंडज......कौन?"

एंकर की बात सुन कर वैभव पहले थोड़ा सा मुस्कुराया, फिर इमोशनल भी हो गया.....

"तीन साल का था,जब पेरेंट्स की एक सड़क हादसे में मौत हो गयी थी..चेहरा भी ढंग से याद नही उनका..थोड़ी बहुत जो थी,वह पुस्तैनी प्रोपर्टी हथियाने के चक्कर मे रिश्तेदारों ने जान से मारने का प्रयास किया.....ईश्वर की कृपा थी कि हमारे यहां झाड़ू पोछा करने वाली अम्मा जान बचा कर ले आई और एक अनाथालय में आश्रय दिला दिया.......फिर वहां से संघर्ष करते करते आज यहां आया हूँ.........और इस संघर्ष में जिसने मेरे साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया,मोटिवेट किया और मेरी कैपेसिटी से मुझे रूबरू कराया.....वह है प्रिया........मेरी सबसे अच्छी दोस्त,मेरा प्यार और अब मेरी वाइफ भी..........शी इज वन ऑफ द मोस्ट प्रीशियस पार्ट्स ऑफ माय लाइफ.....मैं आज जो कुछ भी हूँ उसके पीछे की वजह दिवंगत माँ पापा का आशीर्वाद, मेरे कुछ अपनो का प्यार और मेरी प्रिया का साथ ही है।"

ऑडिटोरियम में मौजूद सभी लोगो के साथ साथ एंकर भी वैभव के द्वारा दिल को छू लेने वाले इस पहलू को जानकर खुद को खुश महसूस कर रहे थे।

"ग्रेट वैभव सर, जैसा कि हम सुना करते थे कि एक सफल पुरुष के पीछे हमेशा ही एक महिला का हाथ होता है......आपके केस में इसका प्रत्यक्ष उदाहरण देखने को।मिल गया।"

और फिर इस ऑडिटोरियम में पार्टी,म्यूजिक और डिनर का दौर भी चालू हो गया.........
यहां मौजूद हर कोई वैभव के साथ सेल्फी लेने एवं बात करने को उतावला था......और साथ ही बहुत सारे पत्रकार भी अपने अपने स्तर से वैभव का पर्सनल इंटरव्यू लेने की कोशिश में लगे हुए थे..........इन्ही पत्रकारों में से एक थी जर्नलिस्ट दिव्या शिंदे......जो कि एक न्यूज चैनल्स की न्यूकमर जर्नलिस्ट थी.........दिव्या वैभव की पर्सनल लाइफ से इस कदर इम्प्रेस हुई थी.....कि उसने हर हाल में ही उसके संघर्ष,उसके प्यार और उसकी सफलता के ऊपर एक डॉक्यूमेंट्री बनाने की ठान ली थी...उसे वैभव की कहानी में एक जबरदस्त मसालेदार डॉक्यूमेंट्री बनती नजर आ रही थी...हालांकि लाख कोशिशों के बावजूद यहाँ पर तो अन्य पत्रकारों की तरह उसको भी वैभव से बात करने का थोड़ा सा ही समय मिल सका....और फिर धीरे धीरे एक बड़े मीडिया कवरेज के साथ यह अवार्ड्स प्रोग्राम समाप्त हुआ.........पर दिव्या अब हर हाल में वैभव और प्रिया की पूरी कहानी जान कर एक शानदार डॉक्यूमेंट्री कम्पलीट करने का प्रॉमिस खुद से कर चुकी थी।

कहानी आगे जारी रहेगी।