Sabyasachi book and story is written by DINESH DIVAKAR in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Sabyasachi is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
सव्यसाची - उपन्यास
DINESH DIVAKAR
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
जैसे ही मेरी आंखें खुली तो मैंने अपने आप को अपने कमरे में नहीं बल्कि एक अलग दुनिया में पाया..!! वह दुनिया हमारी दुनिया से परे था वह सबसे अलग और बेहद खूबसूरत था ऐसा लग रहा था जैसे मैं स्वर्ग में आ गया हूं।
एक मिनट स्वर्ग...! इसका मतलब मैं स्वर्ग में हूं कहीं मेरी मृत्यु तो नहीं हो गया! मैं इस डर से वही गिर पड़ा थोड़ी देर बाद जब मुझे होश आया मैं अपने आप को चिकोटी काटा आह मुझे दर्द हुआ... इसका मतलब मैं जिंदा हूं। हे भगवान तुम्हारा शुक्रिया लेकिन अगर ये स्वर्ग नहीं है तो ये आखिर है क्या!
मैं यह सोचते सोचते आगे बढ़ रहा था। उस जगह की सुंदरता मुझे मोहित कर रहा था बहुत देर यूं ही चलते रहने से भी कुछ पता नहीं चला तो मैं वहीं थक कर बैठ गया।
तभी कुछ लोगों की आवाजें मेरे कानों पर पड़ी मैं खुश हो गया चलो कुछ लोग तो है यहां। मुझे मदद मिल जाएगा मैं उस तरफ मुड़कर देखने लगा वहां एक छोटा सा गांव जहां कुछ लोग काम कर रहे थे।
मैं उनके तरफ बढ़ने लगा एक आदमी के पीछे ही पहुंच गया था कि किसी ने मुझे अपनी ओर खींचा जैसे वो मुझे बचा रही हो.. उसने मेरा मुंह अपने हाथों से बंद कर दिया।
जैसे ही मेरी आंखें खुली तो मैंने अपने आप को अपने कमरे में नहीं बल्कि एक अलग दुनिया में पाया..!! वह दुनिया हमारी दुनिया से परे था वह सबसे अलग और बेहद खूबसूरत था ऐसा लग रहा था जैसे ...और पढ़ेस्वर्ग में आ गया हूं।एक मिनट स्वर्ग...! इसका मतलब मैं स्वर्ग में हूं कहीं मेरी मृत्यु तो नहीं हो गया! मैं इस डर से वही गिर पड़ा थोड़ी देर बाद जब मुझे होश आया मैं अपने आप को चिकोटी काटा आह मुझे दर्द हुआ... इसका मतलब मैं जिंदा हूं। हे भगवान तुम्हारा शुक्रिया लेकिन अगर ये स्वर्ग नहीं है तो
इस आवाज को सुनकर मै बुरी तरह डर गया मै डरते हुए बोला "क..... कौन..??""मैं हूं अमृता" मेरे अंदर से आवाज आई।अमृता... लेकिन तुम तो सपने में थी फिर, नहीं नहीं... मैं सपना देख रहा हूं...??"अमृता "तुम सपना नहीं ...और पढ़ेरहे हो ये हकीकत है और वो भी हकीकत ही था जिसे तुम सपना समझ रहे थे...!!""जो भी हो लेकिन तुम मेरे शरीर में क्या कर रही हो बाहर निकलो मेरे शरीर से...!!" मैंने डरते हुए बोला।अमृता "नहीं निकलूंगी जब तक मेरा प्रतिशोध पुरा नही हो जाता तब तक मैं तुम्हारे शरीर में ही रहूंगी और तुम्हें मेरा साथ देना
मुम्बई लगभग पूरी तरह तबाह हो चुका था लोग हैरान थे कि अचानक ऐ सब क्या हो गया और किसने किया सरकार द्वारा बचावकर्मी लोगों के मदद के लिए पहुंच गए थे लेकिन हालात इतना खराब था कि पुरा ...और पढ़ेशोक में डूबा हुआ था कुछ लोगों का मानना था कि ये सब किसी विदेश संगठन की चाल है लेकिन हकीकत तो कुछ और ही था।इसके साथ ही सुरक्षा के लिए पुरी पुलिस फोर्स और आर्मी का इंतजाम किया गया था और गोला बारूद के साथ हमारे रक्षक अपने देश की रक्षा के लिए तैयार थे सभी चीजों का बारिकी