सव्यसाची - अंतिम भाग DINESH DIVAKAR द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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सव्यसाची - अंतिम भाग

मुम्बई लगभग पूरी तरह तबाह हो चुका था लोग हैरान थे कि अचानक ऐ सब क्या हो गया और किसने किया सरकार द्वारा बचावकर्मी लोगों के मदद के लिए पहुंच गए थे लेकिन हालात इतना खराब था कि पुरा भारतवर्ष शोक में डूबा हुआ था कुछ लोगों का मानना था कि ये सब किसी विदेश संगठन की चाल है लेकिन हकीकत तो कुछ और ही था।

इसके साथ ही सुरक्षा के लिए पुरी पुलिस फोर्स और आर्मी का इंतजाम किया गया था और गोला बारूद के साथ हमारे रक्षक अपने देश की रक्षा के लिए तैयार थे सभी चीजों का बारिकी से जांच किया जा रहा था कि तभी...

एक बहुत बड़ा तुफान आया सभी लोग इधर-उधर भागने लगे चारों ओर कोलाहल मच गया तभी उस तुफान से बड़े बड़े परछाई दिखाई देने लगे जो कुत्ते इतने देर से भौंक रहे थे वे अचानक शांत हो गए और वहां से भागने लगे पुलिस फोर्स भी हैरत में पड़ ग‌ए की ये सब क्या हो रहा है!

तभी उस तुफान से कुछ शैतान बाहर आ‌ए जिनका शरीर भीमकाय था नाखून नुकीले आंखें बिल्कुल लाल लाल और मुंह से खून टपक रहा था जिसे देखकर सभी डर ग‌ए वे शैतान खूंखार आवाज करते हुए आगे बढ़ रहें थे!

पुलिस और जवान अपने आप को मजबूत कर उन्हें रोकने के लिए आगे बढे और उन शैतानों पर गोलियों की बौछार होने लगा लेकिन उन शैतानों पर इसका कोई असर नहीं हो रहा था। हा लेकिन थोड़े कमजोर जरूर हो रहे थे वे शैतान गुस्से से उनको चिडने फाड़ने लगे और उनका मांस खाने लगे।

वही कुछ दूर पर मैं और अमृता इस खौफनाक नजारे को देख रहे थे मैं बेचैन होकर बोला "अमृता इन्हें रोकने का कोई तो रास्ता होगा..??"

अमृता "पता नहीं उनको रोकने का कोई रास्ता है भी या नहीं लेकिन..!!"

"लेकिन क्या.?" मैंने सवाल किया

अमृता "शायद मेरे डैड को इन शैतानों को मारने का उपाय मालुम था वे बचपन में एक बार इसका जिक्र किए थे लेकिन मुझे याद नहीं आ रहा..!"

"याद करने की कोशिश करो क्या बताया था तुम्हारे पापा ने ये पुरी पृथ्वी के लोगों के अस्तित्व का सवाल है।"

अमृता सोचते हुए बोली "वे बस उनके बारे में बताएं थे इसके बाद का नहीं।"

"इसका मतलब हमारे पास कोई रास्ता नहीं है उन शैतानों को रोकने का..!! क्योंकि तुम्हारा ग्रह तो तबाह हो चुका है और सभी मारे जा चुके है..!!" मैंने निराश होता हुआ बोला।

तभी वहां एक विशालकाय पक्षी उड़कर आता है जिसे देखकर मुझे लगा शायद यह उन शैतानों का साथी है "भागों ये हमें मार डालेगा..!!"

मैं भागने की कोशिश कर रहा था लेकिन लेकिन मेरे पैर वही जम गया था मैंने अमृता से कहा "अमृता ये क्या कर रही हो! भागो नहीं तो वो हमें भी मार डालेगा..!!"

अमृता "अरे नहीं ये उन शैतानों का साथी नहीं है ये मेरा वाहन है ये हमारे साथ हैं।"

वो पक्षी हमारे पास आता है अमृता उस पर बैठ गई यानी मैं उसके उपर बैठ गया और वो पक्षी आसमान की ऊंचाइयों पर पहुंच गया वो देखकर मैं हैरानी से पूछा "अमृता हम कहां जा रहे हैं आखिर तुम क्या करना चाहती हो..?"

अमृता "हम ऐसेड जा रहे हैं यानी मेरे ग्रह पर, मुझे यकीन है वहां कुछ ना कुछ समाधान जरूर मिलेगा।"

कुछ ही पल में हम पृथ्वी से बाहर आ गए वहां का नजारा किसी जन्नत से कम नहीं था आकाशगंगा सूर्य चंद्र सब बिल्कुल सपने जैसा दिख रहा था थोड़ी दूर आगे जाने पर मैं उन सब को देखकर मोहित होने लगा।

तभी अमृता बोली "दिवाकर ये एक मायाजाल है ये तुम्हे मोहित कर रहा है इससे बाहर निकलो नहीं तो हम दोनों मारे जाएंगे!"

यह सुनकर मैं होश में आया और तब तक वे ऐसेड ग्रह पहुंच चुके थे। हम वहां उतरे और आगे बढ़ने लगे तभी सामने अमृता का महल जो खंडहर बन चुका था वहां पहुंच गए।

अमृता बोरी "शायद उन शैतानों को मारने का रास्ता इसी महल में छुपा हो हमें उसे ढूंढना होगा।"

हम उस महल के सभी जगह को बारिकी से जांचने लगे लेकिन कोई भी रास्ता नहीं मिला फिर हम अमृता के पापा के कमरे में ग‌ए कुछ देर तक अमृता उस कमरे को यूं ही देखती रही फिर उन्हें उस कमरे के अंदर एक और कमरा मिला वो उसके अंदर गए वहां एक दिव्य भाला जैसा हथियार था जो चमक रहा था जैसे ही उसे मैंने अपने हाथ में लिया तो उसमें से अपने आप में एक अंजान शक्ति का मुझे अनुभव हुआ।

यह देखकर अमृता बोली "इसको तो पिता जी ने पृथ्वी से ला‌ए थे शायद यह हमारे कुछ काम आ जाए।"

उसके बाद हम दोनों जाने लगें तभी मैं किसी चीज से टकराया देखा तो वह अमृता के पापा का शरीर था अमृता उसे देखकर रो पड़ी और उन्हें जगाने की कोशिश करने लगी लेकिन वो जागे नहीं। मैंने उसे समझा कर शांत किया फिर उसके पापा के नब्ज को छू कर देखा तो वह बहुत धीमे-धीमे चल रहा है।

मैंने अमृता से कहा "यह तो जिंदा है इन्हें इलाज की जरूरत है"

अमृता "हमारे वाहन में एक अस्पताल है जिसमें ये जल्दी ठीक हो जाएंगे"

"हा और अगर जाग ग‌ए तो उन शैतानों का अंत करने का रास्ता भी पता चल जाएगा" यह जानकर मुझे थोडी‌ खुशी हुई।

हम उन्हें लेकर वापस पृथ्वी पर आ गए। वहीं उन शैतानों ने सभी जगह कहर मचा रखा था! हम उन्हें सुरक्षित जगह पर रखकर मुम्बई शहर का हाल देखने लगे वहां क‌ई घर टुट चुके थे लाशों का ढेर लगा था यह देखकर मैं सिहर उठा और अमृता से बोला "उस हथियार का राज जानने के लिए हमें एक महागुरु से मिलना चाहिए वे बता सकते हैं उसके बारे में"

अमृता भी मान गई जिसके बाद हम दोनों एक गुफा के अंदर गए वहां एक पत्थर के दो फिट ऊपर एक साधु ध्यान लगाए हुए थे उनके चेहरे पर एक तेज था हम दोनों का आभास होते ही वे ध्यान से बाहर आए।

मैंने कहा "गुरु जी...."

वे बीच में ही बोल पड़े "मुझे पता है तुम उन शैतानों को मारने का उपाय जानने यहां आ‌ए हो"

"हां गुरु जी" मैंने हाथ जोड़ कर कहा।

गुरु जी बोले "पुराने जमाने में यहां के गुरूओ ने एक दिव्य भाले आकार का हथियार तैयार किए थे वो बहुत शक्तिशाली थे अगर वो मिल जाए तो उन शैतानों को मारा जा सकता है लेकिन उसे दूसरे ग्रह के लोगों ने चुरा लिया बहुत पहले"

कहीं वो हथियार यह तो नहीं यह कहकर मैंने अपने हाथ में रखा वो भाला उन्हें दिखाया।

"अरे यही तो है इससे उन शैतानों का अंत हो सकता है" गुरु जी बोले।

अमृता "तो फिर मैं अपने हाथों से उनका अंत करूंगी ऐसा कहकर वो मेरे शरीर से बाहर निकल गई और जाने लगी तब मैंने उसे रोकते हुए बोला "रूको अमृता मैं भी तुम्हारे साथ जाउंगा"

अमृता "नहीं उन शैतानों ने मेरे परिवार वालों को मारा है तो मैं ही उनका अंत करूंगी"

अमृता तेजी से वहां से चली गई मैं भी उसके पीछे पीछे जाने लगा। अमृता उन शैतानों को मारने के लिए आगे बढ़ी लेकिन थोड़ी ही देर के बाद उन शैतानों ने अपने काली शक्तियों से अमृता पर वार किया जिससे अमृता दूर जाकर गिर गई और बेहोश हो गई।

यह देखकर मैं घबराता हुआ उसके पास जाकर उसे होश में लाने की कोशिश करने लगता हूं लेकिन वह होश में नहीं आ रही थी।

तब वह साधु बोले "अब क्या होगा उन शैतानों को कौन रोकेगा..!!"

तभी वहां एक आदमी बडी मुश्किल से चलता हुआ आता है और अमृता को देखकर जोर से बोलता है "अमृता तुम्हें क्या हुआ मेरी बच्ची..!!"

वे अमृता के पापा थे मैंने उनसे सवाल किया "उन शैतानों को कैसे मार सकतें हैं..!!"

उनको मारना मुश्किल है क्योंकि उन्हें केवल वही आदमी मार सकता है जिसके शरीर में दो आत्माओं का वास हो मतलब एक शरीर में दो आत्मा वो उस हथियार (भाला) से उन शैतानों में से एक, जो सबसे बड़ा है उसके सीर पर वार करना होगा जिससे उसके साथ वे सभी शैतान मर जाएंगे। लेकिन समस्या यह है कि कोई भी शरीर दो आत्माओं को धारण नहीं कर सकता इसलिए उन शैतानों को मारना तब तक असम्भव है जब तक वो मिल नहीं जाता!

यह सुनकर मैं थोड़ी देर के लिए सोचता रहता हूं फिर अचानक से मेरे चेहरे पर खुशी छा जाती है "मिल गया वो जिसे हम खोज रहे हैं.... तो हम ही हैं मतलब मैं और अमृता हम एक ही शरीर में दो आत्मा है और वो दिव्य भाला भी हमारे पास है।

"अरे हा तुम... तुम दोनों ही उनका अंत कर सकते हो" अमृता के पापा बोले।

मैं अमृता के सर पर उस दिव्य भाले को स्पर्श किया जिससे वह होश में आ गई मैंने उसे सब समझा दिया जिसके बाद अमृता मेरे शरीर में प्रवेश हो गई और एक बार फिर हम उन शैतानों का अंत करने के लिए आगे बढ़े। काफी देर तक फाइट करने के बाद मैंने वह दिव्य भाला उस बड़े शैतान के सिर पर फेंक दिया वह शैतान वही गिर पड़ा और थोड़ी ही देर में वे सब शैतान खाक हो गए।

®®®Ꭰɪɴᴇꜱʜ Ꭰɪᴠᴀᴋᴀʀ"Ᏼᴜɴɴʏ"✍️

यही पर इस कहानी का द एंड होता है कमेंट करके जरूर बताइएगा कि यह कहानी आपको कैसी लगी