Hansi ke maha thahake book and story is written by Dr Yogendra Kumar Pandey in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Hansi ke maha thahake is also popular in हास्य कथाएं in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
हंसी के महा ठहाके (हास्य - व्यंग्य धारावाहिक) भाग 1 प्रस्तुत हास्य व्यंग्य के धारावाहिक में एक आम नागरिक मामा मौजी राम और उनके शिष्य सवालीराम के किस्से हैं।अपने पास-पड़ोस में बिखरे हास्य के प्रसंगों को एक दीर्घ कथा ...और पढ़ेमें पिरो कर हंसाने गुदगुदाने वाली रचना के रूप में यहां मातृभारती के आप सुधि पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने का एक प्रयास है। आज प्रस्तुत है इसका पहला भाग: भाग 1: क्या-क्या जरूरी है नए साल 2023 में चीन से आने वाले कोरोना की गंभीर स्थिति की खबरों से मौजी मामा भी बेचैन हो गए हैं।वे बीच-बीच में अपने
तैयारी धूम धड़ाके कीमौजी मामा का मोहल्ला अपने आप में लघु भारत है।यहां की एक मुख्य गली के चारों ओर घर बने हुए हैं और वह गली भी एक बंद रास्ते में खत्म हो जाती है।इसका लाभ यह होता ...और पढ़ेकि मौजी मामा के मोहल्ले के लोग कोई भी छोटा आयोजन गली में ही दरी बिछाकर या कुर्सियां लगाकर कर लेते हैं।ऐसे आयोजनों के समय घरों के सामने दुपहियों की जो पार्किंग होती है,वह गली के प्रवेश द्वार के पास ही एक साथ हो जाती है और भीतर का पूरा रास्ता एक बड़े गलियारे के रूप में प्रोग्राम हाल की
मामा जा पहुंचे मेला खंड 1मौजीराम का शहर नदी तट पर है।यहां हर साल मेले का आयोजन होता है।यूं तो मौजीराम जी को भीड़भाड़ और शोर-शराबा पसंद नहीं है, लेकिन त्यौहारों और मेलों के अवसर पर वे लोकदर्शन के ...और पढ़ेसे वहां अपनी उपस्थिति जरूर दर्ज कराते हैं।इस बार श्रीमतीजी जाने के पक्ष में नहीं थीं। उन्होंने मौजी राम से कहा,"क्या करेंगे भीड़ भाड़ में जाकर?आपकी दुपहिया रखने की भी तो जगह नहीं मिलती।" "आप चिंता क्यों करती हो भगवान?गाड़ी को ऐसी जगह रखूंगा,जहां वापसी के समय सीधे गाड़ी उठाएंगे और निकल पड़ेंगे घर की तरफ। मतलब कोई असुविधा नहीं।"मौजी
भाग 4: मामा जा पहुंचे मेला :समापन भाग (पिछले अंक से आगे) ........मौजी मामा की स्कूटी नदी के तट पर बने मंच के पास पहुंची।सामने ही मंदिर था और इससे लगा हुआ नदी का तट। मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों ...और पढ़ेआयोजन करने के लिए मंच बना हुआ था।सबसे पहले मामा परिवार ने मंदिर में पूजा अर्चना की और नदी के दर्शन किए।अब इस नदी के तट पर भी आरती की परंपरा शुरू हुई है।मामा खड़े होकर सोचने लगे,यह बहुत अच्छा है कि प्रकृति के पूजन, संरक्षण और संवर्धन के प्रयत्न से प्रकृति और मानव का माता पुत्र वाला संबंध मजबूत
भाग 5 :इश्क़ का चक्कर भाग 1 आजकल इश्क़ के तौर-तरीके बदल गए हैं। पहले प्रेम तो विवाह के बाद ही होता था। शादियां इस तरह की होती थीं कि माता पिता ने जहां विवाह निश्चित कर दिया; लड़का ...और पढ़ेलड़की उसे ईश्वर आज्ञा समझकर स्वीकार करते थे और ऐसी शादियां टिकती भी जीवन भर थीं। संयुक्त परिवार में बड़ों की उपस्थिति में एक दूसरे से मिलना भी मुश्किल काम होता था। एक कठोर अनुशासन और मर्यादा का स्वबंधन हर जगह दिखाई देता था। यह जमाना चिट्ठी- पत्री का था।आंखों ही आंखों में इशारों का था ।पति पत्नी एक दूसरे