हंसी के महा ठहाके - 7 - रविवार की छुट्टी Dr Yogendra Kumar Pandey द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

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हंसी के महा ठहाके - 7 - रविवार की छुट्टी

मौजी मामा और रविवार की छुट्टी


आज रविवार का दिन है।मामा मौजीराम रविवार को इस तरह से मनाते हैं कि जैसे यह कोई त्यौहार हो।अन्य दिनों के अनुशासित मौजीराम उस दिन देर तक सोते हैं। उस दिन सुबह- सुबह मामी के हाथ से बेड टी पीकर ही वे बिस्तर छोड़ते हैं। अन्यथा अन्य दिनों में तो वे मामी के जागने से पहले ही दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर अपना प्राणायाम शुरू कर चुके होते हैं।

आज मामी ने चाय की ट्रे उनके बिस्तर पर रखते हुए कहा- अजी!अब रविवार को एक दिन आप इतनी फुर्सत में रहने की कोशिश क्यों करते हैं? जब कहीं न कहीं आप स्वयं को उलझा ही लेते हैं।

मामा ने चाय का कप उठाते हुए कहा -इसीलिए तो देर से सोकर उठता हूं ताकि एक दिन के लिए तो भी मुझे भी अपनी नौकरी के उस दबाव से मुक्ति मिले और मैं इस एक दिन में अलग तरह से जिंदगी जी लूं। मैं रविवार के दिन खुद को बादशाह समझता हूं।

मामी ने मुस्कुराते हुए कहा,"और मुझे!"

मामा ने हंसते हुए कहा,"मेरे छोटे से घर रूपी साम्राज्य की मलिका।"

मामी ने कहा- तभी तो सुबह से वही रसोई वाला काम, क्या कोई मलिका करती होगी? ऊपर से रविवार के दिन कोई स्पेशल डिश बनाने की आपकी और बच्चों की फरमाइश।मेरे लिए तो यह रविवार कभी-कभी जी का जंजाल बन जाता है।शहंशाह जी!रविवार को मेरा तो और काम बढ़ जाता है।

मामा ने कहा- ठीक कहती हो लेकिन मैं भी तो तैयार होने के बाद सबसे पहले घर के जाले साफ करता हूं। और कभी-कभी रविवार को काम वाली नहीं आई तो झाड़ू पोछा का भी काम।

मामी -शायद उसे पता चल जाता है कि आप छुट्टी पर घर में ही रहेंगे और इसीलिए वह रविवार को ही छुट्टी कर देती है।वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि वह आज नहीं आ रही है। उसने अभी फोन किया है

मामा -लो हो गई आज की छुट्टी बराबर। आज तो मुझे भी आपकी ही तरह डबल काम हो जाएगा। नहीं तो मैंने सोच रखा था कि आज घर में ही एक काव्य गोष्ठी का आयोजन कर लूं।बहुत दिनों से मित्रगण मिले नहीं हैं।

मामी ने झिड़कते हुए कहा- अब आप ऐसा कह रहे हैं, जैसे मैंने आपको साहित्य साधना और आपके मित्रों से मिलने से रोक रखा है,इसलिए मैंने कामवाली को रविवार को आने से मना कर दिया है।

मामा ने सफाई देते हुए कहा- ऐसा नहीं है भागवान! अब काम करने वाले लोग भी तो इंसान होते हैं ।हम लोगों को आकस्मिक अवकाश, अर्जित अवकाश और न जाने क्या-क्या अवकाश की सुविधा रहती है। उन लोगों को भी तो सप्ताह- पखवाड़े में एक दिन के लिए कुछ जरूरत पड़ सकती है।वे भी कभी बीमार हो सकते हैं।

मामी -ठीक है तो फिर हो जाइए तैयार। एक सिरे से आप काम शुरू कीजिए और दूसरे से मैं। अब आपको फायदा यह हो जाएगा कि आज के दिनभर की घटनाओं में आपकी साप्ताहिक हास्य रचना अखबार में भेजने के लिए शाम तक तैयार हो जाएगी।

मौजी मामा को रविवार के दिन का छुट्टी वाला टाइम टेबल आज सुबह बिस्तर पर ही मिल गया।वे आज घर में आयोजित होने वाली काव्य गोष्ठी को स्थगित करने के लिए अपना मोबाइल फोन हाथ में लेकर अपने शागिर्द सवाली राम का नंबर ढूंढने लगे।

डॉ. योगेंद्र कुमार पांडेय