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यादों के कारवां में - उपन्यास
Dr Yogendra Kumar Pandey
द्वारा
हिंदी कविता
प्रेम के विविध रूप हैं।यह दुनिया का सबसे खूबसूरत एहसास है।रात्रि में अंबर के चंद्र,तारे, बादल,आकाशगंगा की धवल पट्टिका,पूरी पृथ्वी में पसरी निस्तब्धता और चारों ओर फैली चांदनी........ये सब उस विराट सत्ता की ओर संकेत करते हैं जो प्रेम का उत्कर्ष है।अपने घर परिवार और आसपास से शुरू जीवन पथ के विभिन्न बिंदुओं से होती हुई हर प्रेमगाथा अंततः ईश्वर से प्रेम की आत्मिक ऊंचाई तक ही जा पहुंचती है, तो पढ़िएगा अवश्य,प्रेम पर लिखी विविध कविताओं के मेरे इस मौलिक काव्य संकलन यादों के कारवां में को …
काव्य संग्रह:यादों के कारवां में :भाग 1 प्रेम के विविध रूप हैं।यह दुनिया का सबसे खूबसूरत एहसास है।रात्रि में अंबर के चंद्र,तारे, बादल,आकाशगंगा की धवल पट्टिका,पूरी पृथ्वी में पसरी निस्तब्धता और चारों ओर फैली चांदनी........ये सब उस विराट सत्ता ...और पढ़ेओर संकेत करते हैं जो प्रेम का उत्कर्ष है।अपने घर परिवार और आसपास से शुरू जीवन पथ के विभिन्न बिंदुओं से होती हुई हर प्रेमगाथा अंततः ईश्वर से प्रेम की आत्मिक ऊंचाई तक ही जा पहुंचती है, तो पढ़िएगा अवश्य,प्रेम पर लिखी विविध कविताओं के मेरे इस मौलिक काव्य संकलन यादों के कारवां में को ….️ तुमसे बढ़कर है तुम्हारी
यादों के कारवां में :अध्याय 2 (3) प्रेम की तरंगें प्रेम की तरंगें होती हैं विशिष्ट रेडियो प्रसारण सी पर उससे थोड़ी भिन्न, एक एकदम अलग फ्रीक्वेंसी की, इसीलिए इसे आम रेडियो प्रसारण की तरह सब डीकोड नहीं कर ...और पढ़ेऔर यह पहुँचती है इसे डीकोड कर पाने वाले दुनिया के शायद किसी एक के पास ही, और शायद केवल वही महसूस कर पाता है इन अदृश्य तरंगों को, और भेज पाता है फीडबैक इसी तरह। सचमुच ये दो लोगों से बनी एक अलग ही दुनिया होती है और मीलों दूर से भी वे दोनों एक हो जाते हैं और
अध्याय 3: (6) शापित हो गया है चांद,(7)प्रेम, (8)प्रेम होता है केवल प्रेम (6) शापित हो गया है चांद (1) सचमुच शापित हो गया है चाँद, मानव के लोभ,स्वार्थ के स्याह धब्बों से। कांक्रीट के जंगलों में तब्दील होते ...और पढ़ेकी, प्रदूषित हवाओं ने इसे कर दिया है धुंधला और मलिन। (2) प्लेटफार्म पर लंबी प्रतीक्षा कराती ट्रेन हो गया है चाँद, प्रिया के लिए, जब उस शाम नदी के किनारे पूछने पर, प्रिय ने कहा था उससे- "हो तो तुम खूबसूरत चाँद से भी बढ़कर, लेकिन अभी का समय है नहीं, तुम्हें कहने को यह,कि "तुम हो दुनिया में
यादों के कारवां में: अध्याय 4 (9) ध्रुव तारे से अटल आषाढ़ की इस ढलती अँधेरी शाम और गहराती निशा के बीच आसमान में छाए हैं हर कहीं गहरे काले बादल और बारिश की आंख-मिचौली के बीच क्षितिज में ...और पढ़ेचांद भी है छिपा, दुबका हुआ सा और तभी फूट पड़ती है उजाले की एक रेख आसमान के किसी कोने से और दूर हो जाता है मेरे अंतर्मन का समूचा तम कि घोर निराशा और घोर अंधियारे के बीच भी है आशा की यह एक किरण और इसने भर दिया है मेरे पूरी अस्तित्व को एक दिव्य रोशनी से और
यादों के कारवां में :अध्याय 5 पुरानी यादें ..... जैसे डायरी के पन्ने पलटते हुए अतीत में पहुंच जाना.............. जैसे एल्बम देखते हुए पुरानी तस्वीरों का वर्तमान में सजीव हो उठना....... और कुछ पाने की खुशी तो कुछ खो ...और पढ़ेकी कसक..... पर पुरानी यादों की रील में कुछ डिलीट करनी की नहीं होती कोई सुविधा... इसीलिए ये आंखें भिगो जाती हैं कई बार कभी खुशी में तो कभी अफ़सोस में..... (14) चाय और इंतजार चाय के दो प्यालों में आकर जैसे ठहर जाती है सारी दुनिया जैसे रोज की भागदौड़ और जद्दोजहद के बीच कहीं मिल जाता है एक