Muskan ek adhuri prem kahani book and story is written by DINESH DIVAKAR in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Muskan ek adhuri prem kahani is also popular in प्रेम कथाएँ in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मुस्कान एक अधूरी प्रेम कहानी - उपन्यास
DINESH DIVAKAR
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
हर दिन की तरह आज भी मैं अपने सभी कामों को पूरा करके सोने जा रहा था कि तभी मेरा मोबाइल बज उठा...
मैं सोच में पड़ गया कि आखिर यह महान प्राणी कौन है जो रात के 11:00 बजे फोन कर रहा है मैंने मोबाइल उठाया और स्क्रीन पर देखा तो मेरे एक अजीज दोस्त दिनेश दिवाकर का फोन था मेरे चेहरे पर हल्की सी स्माइल आ गई दरअसल जब से मैं कॉलेज के बाद मेडिकल लाइन में घुसा हूं तब से किसी को भी ठीक से टाइम नहीं दे पा रहा था, खैर जिंदगी का शायद यही दस्तूर है या उनका कोई पिछले जन्म का कोई पाप......
मैं यही सब सोच रहा था कि कॉल कट हो गया मैं अपने सपनों की दुनिया से बाहर आया और तुरंत दिनेश के नंबर पर कॉल किया घंटी जा रहा था बट वह रिसीव नहीं कर रहा था फिर थोड़ी देर घंटी जाने के बाद कॉल रिसीव हुआ
मैंने हेलो दिनेश बोला लेकिन सामने से कोई आवाज नहीं आया मैं थोड़ा सोच कर बोला- हेलो दिनेश.. आर यू देयर.. कुछ बोलो भी मेरे भाई.... नाराज हो क्या मुझसे...?
उधर से हल्की सी आवाज आई- भैइया.......
उसके बाद दिनेश जोर जोर से रोने लगा मैं परेशान हो गया कि दिनेश को क्या हुआ वह रो क्यों रहा है
क्या हुआ मेरे छोटे भाई तुम ऐसे रो क्यों रहे हो....? सब ठीक तो है ना... मेरे भाई प्लीज रोना बंद करो और मुझे बताओ सब ठीक तो है ना....!
हर दिन की तरह आज भी मैं अपने सभी कामों को पूरा करके सोने जा रहा था कि तभी मेरा मोबाइल बज उठा... मैं सोच में पड़ गया कि आखिर यह महान प्राणी कौन है जो रात के 11:00 ...और पढ़ेफोन कर रहा है मैंने मोबाइल उठाया और स्क्रीन पर देखा तो मेरे एक अजीज दोस्त दिनेश दिवाकर का फोन था मेरे चेहरे पर हल्की सी स्माइल आ गई दरअसल जब से मैं कॉलेज के बाद मेडिकल लाइन में घुसा हूं तब से किसी को भी ठीक से टाइम नहीं दे पा रहा था, खैर जिंदगी का शायद यही दस्तूर
मुस्कान- क्या आप पागल हो ? हे भगवान अब मैं क्या करूं ! आपको ऐसे आने के लिए किसने कहा था ? दिनेश हंसते हुए बोला- डोंट वरी मुस्कान जी आज 1 अप्रैल है... अप्रैल फूल बन गए आपमुस्कान ...और पढ़ेनाराज होते हुए बोली- हे भगवान मैं तो डर ही गई थी आप भी ना.. ऐसे कोई मजाक करता है भला दिनेश- हम तो ऐसे ही हैं बच्चा अगले दिन दिनेश- गुड मॉर्निंग मैडम जी मुस्कान- गुड मॉर्निंग बाबाजी... मुस्कान कल की बात याद करते हुए बोली- कल प्लेन स्टेशन पर उतरा था आपका दिनेश- हां स्टेशन पर उतरा
दिनेश- कोई बात नहीं मैं जोड़ दूंगा फिर से हैप्पी- इतना आसान है क्या दिनेश- आसान तो नहीं पर अपने हैप्पी की हैप्पी के लिए कुछ भी करूंगा हैप्पी- आपकी यही बातो से तो दिल घायल हैं दिनेश- अच्छा ...और पढ़ेजरा हमें भी हैप्पी- धत्त बदमाश दिनेश- हैप्पी- मुझे कुछ बोलना है आपको दिनेश- हां बोलिए ना हैप्पी- कल मेरा बर्थडे है दिनेश- वाह जन्मदिन मुबारक हो एडवांस में हैप्पी- ना कल ही विश करना दिनेश- जो हुकुम मेरे आका हैप्पी- और मुझे गिफ्ट चाहिए आप से दिनेश- बताइए क्या गिफ्ट चाहिए आपको हैप्पी- नहीं रहने दीजिए
दिनेश- पागल शादी तो जिंदगी का एक अहम हिस्सा है आप ऐसे निराश क्यूं होते होहैप्पी- छोड़ो यार जब किस्मत में होगी तो हो जाएगी नहीं तो ना सही मैं खुश हूंदिनेश- हां कल तो देखने आ रहे हैं ...और पढ़ेक्या करता है वह लड़काहैप्पी- मैंने नहीं पूछा, जब से पता चला है रोए जा रही हूंदिनेश- पागल कहीं की ऐसा थोड़ी ना होता है उसे जाने भी नहीं आप उसे जज कर रही हो। कोई फोटो है उसकीहैप्पी- हमारे यहां ऐसा नहीं होता लोग बताते कुछ है होता कुछ और हैंदिनेश- लो और मैडम बिना बात के ही रोए
दिनेश- ऐसा क्यों सोच रहे हो जब आपका मन करेगा तब मैसेज करना मैं यही मिलूंगा हमेशाहैप्पी- पक्कादिनेश- हां बाबाहैप्पी- दिनेश- कल देखने आने वाले हैं नाहैप्पी- हां पर मैं उनके सामने नहीं जाउंगीदिनेश- क्या करता है कुछ पत ...और पढ़ेवह लड़काहैप्पी- नहीं कुछ भी नहीं जानती बस मम्मी पापा ने बोला कि लड़का अच्छा है दिनेश- मम्मी पापा ने बोला है तो अच्छा ही होगा हैप्पी- यार आपको नहीं पतादिनेश- मैं आता हूं रात को अभी क्लास चल रही है हैप्पी- नाइट में बात नहीं हो पाएगी बाय.. आई लव यू सो मच जानरात 7 बजेहैप्पी- आ गए आप