Three Girlfriend book and story is written by Jitin Tyagi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Three Girlfriend is also popular in लघुकथा in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
थ्री गर्लफ्रैंड - उपन्यास
Jitin Tyagi
द्वारा
हिंदी लघुकथा
भट्टी में डाली गई लकड़ी कोयला बनकर अंगारों का रूप धारण कर चुकी हैं। थोड़ी देर पहले तक इसमें कल की जली हुई लकड़ियों की राख बिखरी थी। पर अब ये आग का कुआँ बन चुकी हैं। इस कुएँ के मुहाने पर कढ़ा में रखा दूध खुद को धीरे-धीरे समेटने की तैयारी कर रहा हैं। उसी दूध में पड़े पलटे को पकड़े और आग की लपटों से निकलते धुँए से अपने चेहरे को बचाते हुए सुनील चुप होकर अपने दोस्त विकास की बातें लगातार सुने जा रहा हैं।
एक घंटे पहले
इस बार यार फिर वेलेंटाइन बीत गया। पिछले दो सालों से लगातार ये वेलेंटाइन नाम का दिन ऐसे ही बीत रहा हैं। पिछली साल जब आया था मुझे लगा था। कि कुछ अच्छा होगा मेरे साथ, पर मुझे क्या पता था। पिछली बार तो पिछली बार, इस बार वाला भी नीरज का शेर “अबके सावन ये शरारत हमारे साथ हुई हमारा घर छोड़कर सारे शहर में बरसात हुई” की पैरवी करता बीत जाएगा।
यार तू सुन भी रहा हैं। सब दोस्त अब मुझे चिढ़ाने लगे है। कि तुझसे सही तो हम ही हैं। ना ज्यादा सुंदर, ना ज्यादा होशियार, ना ज्यादा पैसे वाले, फिर भी लड़की को लेकर घूमते हैं। और एक तू हैं। जिसके पास से कोई गुज़रती तक नहीं। और कुछ तो ज्यादा ही आगे बढ़कर कहते हैं। भाई किसी साइकेट्रिस्ट से सलाह लेले। कही शरीर से मर्द हो और ख़यालों से लड़की; यार साफ तौर पर वे मुझे नपुंसक कहने लगे हैं। इस चक्कर में कई बार मेरा झगड़ा भी हो गया हैं।
20 Feb 2015Time: 13:25भट्टी में डाली गई लकड़ी कोयला बनकर अंगारों का रूप धारण कर चुकी हैं। थोड़ी देर पहले तक इसमें कल की जली हुई लकड़ियों की राख बिखरी थी। पर अब ये आग का कुआँ बन चुकी ...और पढ़ेइस कुएँ के मुहाने पर कढ़ा में रखा दूध खुद को धीरे-धीरे समेटने की तैयारी कर रहा हैं। उसी दूध में पड़े पलटे को पकड़े और आग की लपटों से निकलते धुँए से अपने चेहरे को बचाते हुए सुनील चुप होकर अपने दोस्त विकास की बातें लगातार सुने जा रहा हैं।एक घंटे पहलेइस बार यार फिर वेलेंटाइन बीत गया। पिछले
कोचिंग वाली लड़कीबकरा ईद थी। उस दिन, वो दिन जिस दिन नालियों में पानी का रंग लाल होता हैं। ये वो दिन होता हैं। जिस दिन आस्था में विश्वास के लिए मासूमों को बेरहमी से काटा जाता हैं। पर ...और पढ़ेलिए उस दिन इसके कुछ और मायने थे। मुझे आने वाले वक्त में जैसे कोई रास्ता मिल गया था। जिस पर मुझे चलना था। यूँ तो मैं उसे पिछले दो महीनों से लगातार देख रहा था। पर उस दिन उसको देखने में कुछ था।, कुछ ऐसा जो पहले नहीं था। कभी नहीं था। पर उस दिन तो मेरा पूरा जिस्म
भाग- 3उस दिन जो प्यार को लेकर बातें हुईं लगा था। आगे की मुलाकातों में बात आगे बढ़ सकती हैं। पर अफ़सोस बात आगे बढ़ने की बजाय पीछे चली गयी थी। सोचकर भी कितना अजीब लगता है। दो जवान ...और पढ़ेकी दोस्ती की शुरुआत में होने वाली ज़्यादातर बातें बैग में बंद किताबों में छपी थी। हमारी दोस्ती पूरे दिन में अपना व्यवहारिक रूप केवल पंद्रह से बीस मिनट के लिए ही लेती थी। वो भी तब, जब बस घड़ी में बनी सुइयों के अस्तित्व को नकार दें। और दोस्ती अपनी दोस्ती का हवाला देकर साथ चलने के लिए ना
ग्रेजुएशन की सेकंड ईयरफर्स्ट ईयर पास करके जब हम दोनों सेकंड ईयर की फिजिक्स पढ़ने के लिए कोचिंग क्लास में मिलें। तो हमारे बीच कोई भी गीले शिकवे नहीं थे। हम पहले की तरह ही बात करने लगे थे। ...और पढ़ेजो चीज़ हमारे बीच आ गई थी। वो थी। अमन शर्माअमन शर्मा की हम दोनों से बढ़ती नज़दीकी में, मैं दुनियाभर की कोशिशें करता था। कि इस बंदे को हम दोनों के बीच ना आने दूँ। पर मेरी लाख कोशिश के बाद भी वो हमारे बीच आने से नहीं रुका। जिसका सीधा सा मतलब था। रुचि उसे निमंत्रण देती थी।
फेसबुक वाली लड़कीये फेसबुक वाली लड़की, इसका किरदार मैं अपनी ज़िंदगी में अब तक समझ नहीं पाया किस तरह का था, पर जितना था, वो आज तक मिली हुई लड़कियों में सबसे बेहतर था। इसलिए शायद इससे भी मुझे ...और पढ़ेतरह का प्यार……जिसे क्रश भी कह सकते हैं। 'हो गया था।इससे मेरी बात शुरू हुई थी, बीएससी फर्स्ट ईयर के एग्जाम के बाद और रिजल्ट आने से पहले, यानि कि तकरीबन दो महीने लगातार; बात मेरी भले ही इससे दो महीने हुई हो, पर मैं जानता था, इसे तकरीबन पिछले तीन सालों से, ये मेरी सहपाठी रह चुकी थी।, ग्यारहवीं