शेष जीवन - उपन्यास
Kishanlal Sharma
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
1--प्यार"आप अंदर जा सकते है।"नर्स के कहने पर रमेश अंदर चला गया।इला पलँग पर लेटी थी।उसकी बगल में उसका नवजात शिशु सो रहा था।रमेश बच्चे की तरफ देखते हुए बोला,"इसकी आंखे तुम्हारी जैसी है और होंठ तो---रमेश बच्चे को ...और पढ़ेउसकी तुलना इला से कर रहा था।उसको बच्चे में खोये देखकर इला भी सोचने लगी थी"क्या पर्सनालिटी है।कितना खुशनसीब होगा वह मर्द जिसकी यह जीवन संगनी बनेगी,"रमेश ऑफिस के बाहर खड़ा था तभी उसकी नज़र प्लेटफॉर्म से गुजरती एक युवती पर पड़ी थी।उस युवती को देखकर रमेश अपने सहकर्मी से बोला था।"यह परित्यक्ता है," रमेश की बात सुनकर कमल बोला
1--प्यार"आप अंदर जा सकते है।"नर्स के कहने पर रमेश अंदर चला गया।इला पलँग पर लेटी थी।उसकी बगल में उसका नवजात शिशु सो रहा था।रमेश बच्चे की तरफ देखते हुए बोला,"इसकी आंखे तुम्हारी जैसी है और होंठ तो---रमेश बच्चे को ...और पढ़ेउसकी तुलना इला से कर रहा था।उसको बच्चे में खोये देखकर इला भी सोचने लगी थी"क्या पर्सनालिटी है।कितना खुशनसीब होगा वह मर्द जिसकी यह जीवन संगनी बनेगी,"रमेश ऑफिस के बाहर खड़ा था तभी उसकी नज़र प्लेटफॉर्म से गुजरती एक युवती पर पड़ी थी।उस युवती को देखकर रमेश अपने सहकर्मी से बोला था।"यह परित्यक्ता है," रमेश की बात सुनकर कमल बोला
रमेश कुछ देर तक इला को देखता रहा।जब वह कुछ नही बोली तब वह फिर बोला,"मैं तुम्हे प्रपोज करना चाहता हूँ"।"क्या शादी और मुझसे?"रमेश की बात सुनकर इला चोंक्की थी।"हां।शादी करके मैं तुम्हे अपनी जीवन संगनी बनाना चाहता हूँ।""यह ...और पढ़ेनही।""क्यो?क्या मुझ में कोई कमी है।मेरे खानदान, मेरे बारे में,मेरे चरित्र के बारे में,तुम चाहो जिस बारे में पता कर लो।फिर जवाब दो।""रमेश तुम सोच रहे हो ऐसी कोई बात नही है।तुम मेरा अतीत नही जानते इसलिए मुझसे शादी की बात कर रहे हो।मेरी सुंदर देह को पाना चाहते हो।अगर मेरा अतीत जान लोगे तो मुझ से बात करना भी
2--बदला"साहब है/""नही।गाज़ियाबाद गए है।रात तक लौट आएंगे।कोई काम है?"रचना ने राम दीन से पूछा था।"नही।काम तो कुछ भी नही है।साहब के नाम एक लिफाफा आया था।साहब छुट्टी पर है।मैने सोचा शायद जरूर हो इसलिए देने चला आया।""लाओ मुझे दे ...और पढ़ेदीन, रचना को लिफाफा देकर चला गया।रचना ने लिफाफा उलट पलट कर देखा।भेजने वाली कोई सपना थी।लिफाफे पर भेजने वाले के नाम की जगह औरत का नाम देखकर रचना चोंक्की थी।राहुल की रिश्तेदारी या परिचित में सपना नाम की कोई औरत नही थी।फिर लिफाफा भेजने वाली यह सपना कौन है?औरत स्वभाव से ही शक्की होती है।वैसे रचना पति के नाम
और दोस्ती होने के बाद रचना और राहुल मिलने लगे।दोनो साथ घूमते,पिक्चर देखते,खाते पीते और पार्क के एकांत कोने में बैठकर घण्टो बाते करते।समय गुज़रने के साथ राहुल और रचना एक दूसरे के करीब आते गए।एक दिन पार्क में ...और पढ़ेके नीचे बैठे थे तब राहुल ने रचना का हाथ अपने हाथ मे लेकर कहा," रचना मुझे तुम से प्यार हो गया है।"राहुल की बात सुनकर रचना चुप रही।तब राहुल फिर बोला,"अब घर मे अकेले मन नही लगता।जी चाहता है कोई साथी हो।""शादी कर लो""मैं भी यही चाहता हूँ।""तो कर लो।कौन है वो।""तुम।तुम से शादी करना चाहता हूँ।""मैं तो कब
"तुम किसी सपना को नही जानते?"रचना ने लिफाफा पति की तरफ बढ़ाते हुए कहा,"अगर तुम किसी सपना को नही जानते,तो तुम्हे पत्र भेजने वाली यह सपना कौन है/"राहुल ने पत्नी के हाथ से पत्र लेकर पढा तो सारी घटना ...और पढ़ेचित्र की तरह उसकी आँखों के सामने घूम गयी थी।राहुल के मौसाजी के बेट की शादी थी।उस शादी में जाने का प्रोग्राम राहुल ने रचना के साथ बनाया था।राहुल ने कई दिन पहले ही फर्स्ट क्लास का केबिन बुक करा लिया था।जिस दिन उन्हें जाना था।उस से दो दिन पहले रचना की तबियत खराब हो गयी।उसे बुखार,सर्दी जुकाम हो गया
यह डर उसे सताए जा रहा था।"सर् डिनर?"पेंटीकार के वेटर ने आकर उनके बातो के सिलसिले को तोड़ा था।"नही"वेटर के चले जाने पर राहुल ने टिफिन निकाला और सपना से बोला,"आओ खाना खाते है।""आप खाइये।""नो फॉर्मलटी।खाना कम नही है,"और ...और पढ़ेऔर सपना ने मिलकर खाना खाया था।खाना खाने के बाद राहुल बोला,"मैं कपड़े चेंज करके आता हूँ।तुम भी कपड़े बदल लो।'राहुल टॉयलेट में चला गया।सपना को नीचे की सीट पर लेटना था और राहुल को ऊपर की बर्थ पर।केबिन का दरवाजा बंद करके राहुल ने नाईट लैंप जला दिया और ऊपर की बर्थ पर आ लेटा।सपना नीचे की सीट पर
इलाहाबाद पहुचने पर दोनों अपने अपने रास्ते पर चले गए।राहुल ने ट्रेन में हुई घटना के बारे में रचना को सब कुछ सत्य बता दिया था।पति की बेवफाई के बारे में जानकर रचना बोखला गयी।"तुम अब मुझे अपनी करतूत ...और पढ़ेरहे हो।अगर मैं यह पत्र न पढ़ती तो कभी भी तुम्हारी नीच हरकत के बारे में न जान पाती।तुमने मुझे धोखा दिया है--गुस्से में रचना न जाने क्या क्या उल्टा सीधा बकती रही।राहुल पत्नी से माफी मांगते हुए बोला,"रचना मुझ से बहुत बड़ा अपराध हुआ है।प्लीज मुझे माफ़ कर दो।""मुझे जीवन भर का दुख देकर क्षमा मांग रहे हो?"तुमने मेरे
फिर रमेश ने आगे बढ़कर उसका हुक बन्द कर दिया।रचना का गोरा गदराया अर्धनिर्वस्त्र मॉसाल देह देखकर वह अपने पर काबु नही रख सका।और वह रचना को बहो में भरकर वह .चूमने लगा।रचना ने रमेश की इस हरकत का ...और पढ़ेविरोध नहीं किया तो उसका हौसला बढ गया।राहुल जब रचना के होंठ चूमता तो वह रोमंचित हो जाती।लेकिन रमेश ने उसके होठो को चूमा तो उसे ऐसा लगा मानो उसके होठो को गंदा कर दिया हो।रचना,राहुल से बदला लेना चाहती थी।वह बताना चाहती थी कि अगर पति पत्नी से बेवफाई कर सकता है तो पत्नी भी ऐसा करके दिखा सकती
3--एक औरत का फैसला"यह बच्चा किसका है?"राकेश की नज़र कमरे में घुसते ही पलँग पर लेटे बच्चे पर गयी थी।"मेरा",निशा बोली।"क्यो मजाक कर रही हो,"राकेश ने बच्चे की तरफ देखते हुए निशा से फिर पूछा था,"निशा,प्लीज बताओ यह प्यारा ...और पढ़ेबच्चा किसका है?""अभी बताया तो मनु मेरा बेटा है।'"क्यो झूठ बोल रही हो।मनु तुम्हारा बेटा कैसे हो सकता है।"राकेश अविशनिय नज़रो से निशा की तरफ देखते हुए बोला।"मनु मेरा बेटा क्यो नही हो सकता?"राकेश के प्रश्न का जवाब निशा ने प्रश्न से दिया था।"निशा यह बच्चा करीब छः महीने का लग रहा है।मैं पूरे तीन साल बाद विदेश से आया
निशा वहाँ पहुचने पर हकीकत जानकर दंग रह गयी।राकेश ने ऑस्ट्रेलिया की एक औरत से शादी कर ली थी।निशा का जन्म एक सनातनी संस्कारी परिवार में हुआ था। उसकी माँ धर्मपरायण पतिव्रता स्त्री थी।इसलिए उसे भी बचपन से ही ...और पढ़ेधर्म की शिक्षा मिली थी।आजकल की लड़कियां कालेज के दिनों में ही प्यार के चक्कर मे पड़ जाती है।पर उसकी जिंदगी में शादी से पहले कोई मर्द नही आया था।क्योंकि निशा मानती थी औरत को शादी के बाद प्यार करना चाहिए।वो भी अपने पति से।राकेश उसका पति उसकी जिंदगी में आने वाला पहला मर्द था।निशा ने तन मन कर्म से
और इसका परिणाम यह निकला कि निशा के दिन चढ़ गये।निशा ने गर्भवती होने की बात महेश की बताई थी।महेश खुश होते हुए बोला,"अब हमें शादी कर लेनी चाहिए।""महेश मैं तुमसे शादी नही कर सकती।""क्यो?"निशा की बात सुनकर महेश ...और पढ़ेथा।""मेरा और राकेश का अभी तलाक नही हुआ है।""निशा माना कि तुम्हारा राकेश से तलाक नही हुआ है।लेकिन राकेश ने दूसरी शादी कर ली है।फिर तुम्हे मेरे से शादी करने में ऐतराज क्यो है?""महेश मैं तुमसे शादी जरूर करूँगी।तुम्हे अपना पति जरूर बनाउंगी।लेकिन प्लीज जरा धैर्य तो रखो।""निशा तुम अभी मुझ से शादी करना नही चाहती।इसका मतलब तुम हमारे प्यार
रमेश के कमरे का दरवाजा बंद था।लेकिन ताला नही लगा था।इसका मतलब रमेश घर पर ही था।यह दखकर उमा खुश हुई थी।पर रमेश की जगह एक औरत को देखकर जो अपने को रमेश की पत्नी बता रही थी।उसकी खुशी ...और पढ़ेजाने कहाँ गायब हो गयी।उसका मन उखड़ गया और आफिस न जाकर वापस घर लौट आयी।उमा घर आकर कटे पेड़ की तरह बिस्तर पर पड़ गयी।वह पड़ी पड़ी रमेश के बारे में ही सोचने लगी।रमेश ने शादी कर ली।प्यार का खेल उसके साथ खेलता रहा और शादी सीमा से कर ली।क्यो?क्या रमेश का प्यार झूठा था?क्या वह उसके साथ खेल
रमेश गांव जाने लगा तब उमा उसे छोड़ने के लिए स्टेशन गयी थी।उससे विदा लेते समय रमेश बोला,"अपने रिश्ते की बात करके आऊंगा।"रमेश एक सप्ताह की छुट्टी लेकर गया था।लेकिन लौटा था पुर्र एक महीने के बाद।रमेश के लौटने ...और पढ़ेबाद उमा ने उससे पूछा था,"पिताजी ने तुम्हे तार देकर क्यो बुलाया था?""माँ की तबियत खराब है"।रमेश ने उमा से झूठ बोला था।"अब कैसी है माँ की तबियत?""अब तो पहले से ठीक है।माँ की तबियत खराब होने के कारण अपने रिश्ते की बात नही कर पाया।'"जल्दी क्या है?पहले माँ को ठीक हो जाने दो।फिर बात कर लेना।"और यह बात आई
अपने दो बेटों और एक बेटी की शादी वह कर चुके थे।शादी करने से पूर्व उन्होंने अपने बच्चों की राय जानना भी जरूरी नही समझालेकिन रमेश को विश्वास था कि उसके साथ ऐसा नही होगा।उसके ऐसा सोचने के पीछे ...और पढ़ेभी था।रमेश श्याम लाल का सबसे छोटाऔर लाडला बेटा था।उसे पिता के प्यार के साथ पूरी आजादी भी मिली थी।गांव में इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद पिता ने उसकी आगे पढ़ने की इच्छा जानकर उसे आगे की पढ़ाई के लिए शहर भेज दिया था।पढ़ाई पूरी करने के बाद रमेश ने अपने बड़े भाइयो की तरह पुश्तेनी पैसे खेती
शादी के बाद रमेश अहमदाबाद आने लगा तब उसके माता पिता ने सीमा को उसके साथ भेजना चाहा था।लेकिन वह उसे साथ लेकर नही आया था।पहले वह पिता से पत्र व्यवहार करता रहता था।पर अब उसने यहाँ आने के ...और पढ़ेऐसा करना बंद कर दिया था।रमेश को यह आशा नही थी कि सीमा बाद में भी उसके पास आ सकती है।सीमा को देखते ही वह आग बबूला हो गया था।"मैने तुम्हे सुहागरात को ही बता दिया था मेरी तुमसे जबरदस्ती शादी हुई है।फिर तुम यहाँ क्यो आयी हो?""मैं अपनी मर्जी से नही आयी।मुझे पिताजी छोड़कर गए हैं",सीमा डरी सहमी सी
रमेश ने जब भी चाहा उमा ने समर्पण कर दिया था।लेकिन रमेश की शादी का पता चलने पर एक दिन रमेश ने उमा के शरीर को पाना चाहा तो उमा ने समर्पण करने से साफ मना कर दिया।उमा के ...और पढ़ेकरने पर वह नाराज होकर चला गया था।पहले अगर रमेश नाराज हो जाता तो उमा उसे मनाती थी।पहले वह समर्पण से कभी इनकार भी नही करती थी।पर आज इनकार की वजह थी।उमा जान चुकी थी कि रमेश अब किसी और का हो चुका है।रमेश ने वादा किया था कि वह सीमा को तलाक दे देगा।लेकिन तलाक लेना आसान नहीं था।रमेश,उमा
एक और सावित्री"भाभी इस केस में कुछ नही हो सकता।""तुम यह बात कह रहे हो।इस शहर के माने हुए वकील होकर यह बात कर रहे हो।""भाभी मे कानून की बारीकियां समझता हूँ।इसीलिए यह बात कह रहा हूँ।इस केस में ...और पढ़ेको फांसी की सजा मिलेगी।सारे सबूत उसके खिलाफ है।"रमेश ने विमला को सारी बात समझायी थी।"तुम कैसे देवर हो।अपनी भाभी की मांग उजाड़ कर उसे विधवा बना देना चाहते हो।""भाभी मै क्या करूँ?""कोई तो तरकीब होगी जो मेरी मांग का सिंदूर उजाड़ने से बचा सके?""आपकी मांग के सिंदूर को सिर्फ एक आदमी उजाड़ने से बचा सकता है।"रमेश बोला था।"कौन?जल्दी बताओ,कौन
विमला की बात सुनकर राजन बोला,"इसमें मे क्या कर सकता हूँ।तुम्हारे पति ने गलती की है तो उसे सजा तो मिलेगी ही।""महेश ने गलती की है पर उसकी सजा सिर्फ उसे ही नही मुझे भी मिलेगी"राजन की बात सुनकर ...और पढ़ेबोली,"अगर महेश को फांसी हो गयी तो मैं विधवा हो जाऊंगी।'"तो तुम चाहती हो मैं अपने इकलौते बेटे के हत्यारे को माफ कर दूं?""मेरे पति को फांसी होने से आपका बबलू तो वापस आ नही जाएगा,"विमला झोली फैलाकर बोली,"तुम मेरा सुहाग मत छीनो इसके बदले मे मैं धन दौलत सब कुछ देने के लिए तैयार हूँ।""क्या तुम्हारी धन दौलत मेरे
"तुम दूसरी शादी कर लो"पति की बात सुनकर रचना बोली"मैं दूसरी शादी कर लो"पत्नी की बात सुनकर महेश बोला,'तुम ऐसा क्यों कह रही हो"।"हर मर्द चाहता है उसकी पत्नी वंश को आगे बढ़ाने वाली औलाद पैदा करके दे।डॉक्टर ने ...और पढ़ेसामने ही कहा है कि मैं माँ नही बन सकती।मैं नही चाहती तुम मेरी शारीरिक कमी की वजह से संतान सुख से वंचित रहो।"रचना महेश से बोली थी।'रचना अभी हम एक ही डॉक्टर से मिले है।""तो क्या हुआ।डॉक्टर ने मेरी कमी बता तो दी।""रचना अब पहले वाली बात नही रही।विज्ञान ने बहुत उन्नति कर ली है।हम दूसरे डॉक्टर के पास
यह बात एक दिन उर्मिला की बहू रमा को पता चली।रमा लेक्चरार थी।वह सारी बात सुनकर बोली,"माजी इसमें बुराई क्या है"?"बहू तू कैसी बात कर रही है।सास के गर्भ में दामाद का बच्चा?रमा की बात सुनकर उर्मिला बोली थी।"माँ ...और पढ़ेऔर दामाद का शारीरिक सम्बन्ध अनैतिक है और पाप है'.।लेकिन कोख उधार देने में कोई बुराई नही है।टेस्ट ट्यूब बेबी में होगा क्या?डॉक्टर रचना और महेश के भ्रूण को आपके गर्भाशय में प्रत्यारोपित करेंगे।जब रचना को कोई कोख उधार नही दे रहा तो आप ही बेटी की मदद कर दीजिए।"रमा ने अपनी सास को समझाया था।"बहू मैं तुम्हारी बात समझ
उसके बैठते ही सरदार बोला,"पंडितजी जल्दी से शादी करा दो।"और पंडित ने जल्दी जल्दी अनुपम के उस युवती के साथ फेरे पड़वा दिए।शादी होने के बाद अनुपम को उस युवती के साथ पिपरी गांव लाया गया।कार अनुपम के घर ...और पढ़ेबाहर आकर रुकी थी।अनुपम के पीछे वह युवती भी कार से उतरी थी।उनके उतरने के बाद कार में ड्राइवर के पद बैठा आदमी बोला,"हमारा काम खत्म हुआ।अब आगे तुम जानो।"उनको छोड़कर कार चली गयी।अनुपम उस युवती को बाहर ही खड़ा छोड़कर अंदर चला गया।अंदर आते ही उसने सारे कपड़े उतार फेंके।वह दूसरे कपड़े पहन रहा था तभी कमरे में प्रवेश
अनुपम बिहार का रहने वाला था।उसने सुना ही नही पढ़ा भी था कि बिहार में ऐसे गिरोह सक्रिय है,जो योग्य व अच्छे पद पर कार्यरत युवाओं का अपहरण करके उनकी जबरदस्ती शादी करा देते है।जो मा बाप दहेज के ...और पढ़ेमें अपनी बेटी की शादी नही कर पाते वे ऐसे गिरोह की मदद लेते है।पहले अनुपम ऐसी बात सुनता या पढ़ता तो उसे अविशनिय लगती थी।पर उसके साथ ऐसा हुआ तो उसे विश्वास हो गया जो सुनता या पढ़ता था।वो सब सच था।अनुपम अपने साथ हुए इस हादसे से विचलित था।उसकी समझ मे नही आ रहा था कि वह करे
जहाँ अनुपम रहेगा उसकी छाया वही रहेगी।सिर्फ मौत ही मुझे तुमसे जुदा कर सकती है।इसलिए मुझ से अलग होने का ख्याल मन से निकाल दो।जब तक जिंदा हूँ तुम्हारी हूँ और रहूंगी।"अनुपम छाया की बात का जवाब देता उस्से ...और पढ़ेकंडक्टर आकर बोला,"कहा जाना है?'"पटना के दो टिकट"कंडक्टर की बात का जवाब छाया ने दिया था।कंडक्टर टिकट काटकर अपनी सीट पर चला गया।।अनुपम रात में सोया नही था।इसलिये सीट पर बैठा बैठा ही सो गया।छाया भी उँगने लगी।और दस बजे बस पटना पहुंच गई थी।छाया साये की तरह उसके साथ लगी थी।वह उससे पीछा छुड़ाना चाहता था पर नही छुड़ा
"तो यह भी बताना पड़ेगा,"छाया बोली,"मैं तुम्हारी पत्नी हूँ।"छाया की बात सुनकर अनुपम चीखा,"कितनी बार कह चुका हूँ।तुम मेरी पत्नी नही हो।'अनुपम का गुस्सा देखकर छाया सहम गयी।उसे लगा अगर वह अब एक शब्द भी बोली तो अनुपम न ...और पढ़ेक्या कर बैठे।उसे बात को और बढ़ाना उचित नही लगा।वह चुपचाप सो गयी।चाहे जैसे भी हो अनुपम की उससे शादी हुई थी।उसकी जिंदगी में आने वाला अनुपम पहला मर्द था।छाया ने उसे मन से अपना पति स्वीकार भी कर लिया था।लेकिन अनुपम उसे पत्नी मानने के लिए तैयार नही था।जबरदस्ती की शादी को वह मानने के लिए तैयार नही था।छाया
अचानक एक सांप छाया के आगे से सरसराता हुआ निकला।सांप को देखकर छाया डर गयी।वह चीखते हुए भागी।भागने की बजह से उसका पैर साड़ी में उलझ गया और वह गिर गयी।अनुपम ने चलते हुए पीछे मुड़कर देखा।छाया जमीन पर ...और पढ़ेपड़ी थी।उसे जमीन पर गिरा हुआ देखकर भी वह उसे उठाने के लिए आगे नही बढ़ा।"चला नही जाता तो क्यो आयी हो?जल्दी आओ वरना मैं जा रहा हूँ।"अनुपम को अपनी तरफ आता न देखकर छाया ने उठने का प्रयास किया पर वह फिर लड़खड़ा कर गिर पड़ी।"क्या आफत है?"अनुपम गुस्से में छाया की तरफ बढ़ा।उसने छाया का हाथ पकड़कर उठाया।छाया
लेकिन आज अनुपम ने छाया के हाथ की बनी चाय पी ली थी।चाय पीने से शरीर मे गर्मी जरूर आयी लेकिन वह इतना भीग चुका था कि उसे बार बार छींक आने लगी।उसके शरीर और हाथ पैरों में दर्द ...और पढ़ेलगा।छाया विक्स की डिब्बी ले आयी।उसने विक्स की डिब्बी खोलकर लगाने के लिये हाथ बढ़आया।अनुपम उसके हाथ को झटकते हुए बोला,"दूर हटो।""क्यो हतु।तुम्हारी पत्नी हूँ।तुम्हारी सेवा करना मेरा धर्म है"मैं कितनी बार कह चुका हूँ।तुम मेरी पत्नी नही हो।"""तुम मुझे अपनी पत्नी नही मानते तो कोई बात नही,"छाया बोली,"तुम्हारे साथ रहती हूँ।तुम्हारी सेवा करना मेरा हक है"छाया ने जबरदस्ती अनुपम
फिर मुझे देखा गया।मैं नीचे कही नही मिला।तब सब बोले कहा गया।किसी ने बताया ऊपर की छत पर हूँ।कोई बोला,"बुला लाओ।"लेकिन मेरे स्वभाव से सब डरते थे।सबने मुझे जगाने से मना कर दिया तब सुशीला बहनजी मुझे ऊपर से ...और पढ़ेलायी थी।मैं बैठना नहीं चाहता था।इसलिए बड़ी मुश्किल से आया था।मेरी नवब्याहता पत्नी कमरे में बैठी सब सुन रही थी।"बहु के पास बैठ जा"वह मूझे कमरे में छोड़कर चली गयी थी।मैं खड़ा रहा तब पहली बार वह बोली,"बैठ जाओ।"मैं फिर भी नही बैठा तब उसने फिर कहा था,"बैठ जाओ"क्यो?"मैं कह रही हूँ।"और मै बैठ गया।उसने घूंघट निकाल रखा था।पर उसकी
शेष जीवन--------------ट्रेन का रूट आगरा होकर नही था।लेकिन जयपुर खण्ड में रेल दुर्घटना होने के कारण इस ट्रेन को इधर होकर गुजारना पड़ा था।जब उसे पता चला कि ट्रेन आगरा होकर जाएगी।तब भी उसके मन मे यह विचार नही ...और पढ़ेथा कि वह आगरा उतर जाए।इस शहर में उसने वर्षो गुजारे थे।यहां ही पैदा हुआ और पला बड़ा हुआ था।उसने इस शहर में आये परिवर्तनों को देखा था।उतरने का इरादा नही था लेकिन आगरा स्टेशन पर ट्रेन खड़ी हुई तो वह अपने को रोक नही सका और ट्रेन से उतर गया था।उसने अपना सामान क्लॉकरूम में जमा कराया और फिर
तपन बैठा हुआ सोचने लगा।कालेज में तपन का सायरा से परिचय हुआ था।तपन हिंदी साहित्य का छात्र था जबकि सायरा कॉमर्स की स्टूडेंट थी।तपन को कविताएं लिखने का शौक था।उसकी एक कविता को अखबार में पढ़कर ही वह तपन ...और पढ़ेतरफ झुकी थी।तपन और सायरा दोस्त बन गए।सायरा तपन के व्यक्तित्व से प्रभावित थी।तपन सायरा की सादगी और सुंदरता पर मोहित था।दोस्ती होने के बाद तपन और सायरा का काफी समय कालेज के बाहर भी साथ गुजरने लगा।धीरे धीरे समय गुजरने के साथ वे एक दूसरे को चाहने लगे।प्यार करने लगे।और एक दिन जब वे ताज गार्डन में बैठे थे।तपन
सायरा अपना कप उठाते हुए बोली,"आजकल तुम कहाँ हो?""तीस साल पहले पोर्ट ब्लेयर गया था।वही हूँ।""तो क्या इधर आने का इरादा नही है?""नही सायरा।अब तो मै वहाँ का होकर ही रह गया हूँ,"चाय पीते हुए तपन बोला,"अगर में आना ...और पढ़ेचाहूँ तो वहाँ के लोग मुझे नही आने देंगे"।तपन और सायरा बाते करते रहे।बातों ही बातों में तपन ने पूछा था,"तुमने शादी की?""निकाह भूल गए।मैंने तुमसे क्या कहा था।"सायरा ने अपनी अम्मी को समझाने का भरपूर प्रयास किया था लेकिन जमीला अपनी बेटी का निकाह तपन से करने के लिए तैयार नही हुई थी।एम ए करने के बाद तपन की
"सायरा एक बात पूछू?""क्या?"तुम्हारी अम्मी के न रहने पर तो हमारे एक होने में कोई बाधा नही थी?""नही ""फिर तुम मेरे पास क्यों नही आई?न आती तो मुझे बुला सकती थी।""यह बात मेरे मन में भी आई थी।लेकिन सायरा ...और पढ़ेकहते हुए रुक गई थी।"लेकिन क्या?"तपन बोला,"तुम कहते हुए रुक क्यों गई। कहो जो कहना चाहती थी।""मैने सोचा था।तुम मुझ से नाराज होकर गए थे।इसलिए मुझे भूल गए होगे और तुमने शादी कर ली होगी।""तो तुम्हे अपने प्यार पर भरोसा नहीं था।""ऐसी बात नही है""ऐसी बात न होती तो तुम ऐसा हरगिज न सोचती,"सायरा की बात सुनकर तपन बोला,"तुमसे दूर