शेष जीवन (कहानियां पार्ट 10) Kishanlal Sharma द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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शेष जीवन (कहानियां पार्ट 10)

निशा वहाँ पहुचने पर हकीकत जानकर दंग रह गयी।राकेश ने ऑस्ट्रेलिया की एक औरत से शादी कर ली थी।
निशा का जन्म एक सनातनी संस्कारी परिवार में हुआ था। उसकी माँ धर्मपरायण पतिव्रता स्त्री थी।इसलिए उसे भी बचपन से ही पतिव्रता धर्म की शिक्षा मिली थी।आजकल की लड़कियां कालेज के दिनों में ही प्यार के चक्कर मे पड़ जाती है।पर उसकी जिंदगी में शादी से पहले कोई मर्द नही आया था।क्योंकि निशा मानती थी औरत को शादी के बाद प्यार करना चाहिए।वो भी अपने पति से।राकेश उसका पति उसकी जिंदगी में आने वाला पहला मर्द था।निशा ने तन मन कर्म से पूर्णतया अपने आप को पति को समर्पित कर दिया था।
निशा की पति में अटूट आस्था थी।वह उस पर पूर्ण विश्वास करती थी।लेकिन पति ने उसके विश्वास को तोड़ा था।उसे धोखा दिया था।उसके साथ बेवफाई की थी।उसने विदेश में आकर दूसरी शादी कर ली और उसे बताया तक नही।अगर वह यहां नही आती तो यह रहस्य रहस्य ही रहता।उसे सत्य जानकर गहरी ठेस लगी थी।वह पति से बोली थी,"म तुम्हे देवता मानकर पूजती रही।तुम पर विश्वास करती रही।तुम्हारी बातो पर आंख मूंदकर विश्वास करती रही।और तुमने मुझे इतना बड़ा धोखा दिया।मेरे साथ विश्वासघात किया।"
"निशा यहां अच्छे पैसे मिल रहे थे।म दो साल के कॉन्ट्रैक्ट पर यहां आया था।मेरा कॉन्ट्रेक्ट खत्म हो गया था।मैं यहां तभी काम कर सकता था।जब यहां की नागरिकता लूं।इसके लिए यहाँ की औरत से शादी करना जरूरी था।निशा मैने यह सब खुशी से नही किया।पैसे कमाने के लिए मजबूरी में करना पड़ा।"राकेश पत्नी को समझाते हुए बोला
,"निशा मैं कुछ साल ही यहाँ रहूंगा।ढेर सारा पैसा कमाकर लाऊंगा।मेरी असली पत्नी तो तुम ही हो।यह तो अस्थायी है।इसे मैं तलाक देकर तुम्हारे पास चला आऊंगा।"
निशा ने पति की बात सुनकर कोई प्रतिक्रिया नही दी।वह वापस दिल्ली लौट आयी।पहले वह आम भारतीय ग्रहणी की तरह यह सोचकर घर मे रहती थी।उसका पति विदेश में है और उसके लिए पैसे कमा रहा है।राकेश उसका पति है।सिर्फ उसी का है।इसी भरम में कई साल गुजर गए थे।लेकिन अब पति की असलियत उसके सामने आ चुकी थी।राकेश अब सिर्फ उसका पति नही रहा था।उसने उससे बेवफाई करके विदेशी औरत से शादी कर ली थी।मात्र औपचारिकता का निर्वाह करने वह भारत आता।
दिल्ली लौटने पर निशा कई दिनों तज सोच विचार करती रही औऱ फिर उसने अपने पैरों पर खड़े होने का निर्णय लिया।वह नौकरी के लिए प्रयास करने लगी।कुछ दिनों के प्रयास के बाद उसे नोएडा की एक कम्पनी में जॉब मिल गयी थी।पहले उसके पास घर मे रहकर टी वी देखने या घूमने के अलावा कोई काम नहीं था।अब वह व्यस्त हो गयी थी।निशा की कम्पनी में ही महेश काम करता था।वह उसके सम्पर्क में आयी थी।
महेश कानपुर का रहने वाला था।वह इस संसार मे अकेला था।महेश और निशा में दोस्ती हुई और वे धीरे धीरे एक दूसरे के करीब आने लगे।आफिस के बाद भी दोनो का काफी समय साथ गुज़रने लगा।वे साथ घूमने,खाने पीने और पिक्चर देखने लगे।निशा,महेश के घर और महेश,निशा के घर जाने लगा।साथ रहते रहते वे एक दूसरे के इतने करीब आ गए कि उनके बीच शारीरिक सम्बन्ध स्थापित हो गए।