शेष जीवन (कहानियां पार्ट 11) Kishanlal Sharma द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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शेष जीवन (कहानियां पार्ट 11)

और इसका परिणाम यह निकला कि निशा के दिन चढ़ गये।निशा ने गर्भवती होने की बात महेश की बताई थी।महेश खुश होते हुए बोला,"अब हमें शादी कर लेनी चाहिए।"
"महेश मैं तुमसे शादी नही कर सकती।"
"क्यो?"निशा की बात सुनकर महेश बोला था।
""मेरा और राकेश का अभी तलाक नही हुआ है।"
"निशा माना कि तुम्हारा राकेश से तलाक नही हुआ है।लेकिन राकेश ने दूसरी शादी कर ली है।फिर तुम्हे मेरे से शादी करने में ऐतराज क्यो है?"
"महेश मैं तुमसे शादी जरूर करूँगी।तुम्हे अपना पति जरूर बनाउंगी।लेकिन प्लीज जरा धैर्य तो रखो।"
"निशा तुम अभी मुझ से शादी करना नही चाहती।इसका मतलब तुम हमारे प्यार की निशानी को इस संसार मे आने देना नही चाहती हो।'
"महेश मैं अपने बच्चे को जन्म जरूर दूंगी।इसके पिता तुम हो और तुम ही रहोगे,"निशा बोली,"मैं राकेश को दिखाना चाहती हूँ कि आज की औरत मर्द के हाथ की कठपुतली नही है।पति अगर पत्नी के साथ बेवफाई कर सकता है तो आज की औरत उसे सबक सिखाना भी जानती है।'
"इसका मतलब यह मेरा बच्चा नही है।मतलब तुम्हारे दूसरे मर्द से शारीरिक सम्बन्ध है।"राकेश की बात सुनकर निशा अतीत से वर्तमान में लौटते हुए बोली,"तुम सही कह रहे हो।इस बच्चे के पिता तुम नही हो।इस बच्चे का पिता महेश है।""
"निशा यह तुम क्या कह रही हो।पति के रहते दूसरे मर्द से शारीरिक सम्बन्ध।यह पाप है।"
"ओहो।यह नियम औरत पर ही लागू होता है,"निशा तंज कसते हुए बोली,"पत्नी के रहते तुमने दूसरी शादी क्यो की?"
"निशा मैं ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाना चाहता था।वहाँ रहने के लिए मुझे लूसी से शादी करनी पड़ी।"
"वहां रहना कोई मजबूरी नही थी।दो साल बाद लौट आते।यहां तुम जो भी कमाते उस मे गुज़रा कर लेते।'
"निशा मैं मानता हूँ ,मैने भूल की है।लेकिन मैने अब अपनी भूल सुधार ली है।लूसी को तलाक देकर मैं लौट आया हूँ।तुम भी जो कुछ हुआ उसे भूल जाओ।हम फिर से अपनी जिंदगी शुरू करेंगे,"राकेश निशा से बोला,"तुम महेश का बच्चा लौटा दो।"
"मैने अपना रास्ता चुन लिया है।अब मैं महेश के साथ ही अपना जीवन गुज़ारूँगी।"
निशा ने अपना फैसला सुना दिया था
4--सच यही है
"रमेश है?"दरवाजा खुलने पर रमेश के घर मे अपरिचित युवती को देखकर उमा ने चोंकते हुए पूछा था।
"आफिस गए है।"
"आपको पहले तो मैने नही देखा।आपका परिचय?"रमेश अजेल रहता था।उस के घर मे अपरिचित युवती को देखकर उमा पूछे बिना नही रह सकी।
"मेरा नाम सीमा है।मैं रमेश की पत्नी हूँ।"उस युवती का परिचय जानकर सीमा स्तब्ध रह गयी।रमेश ने शादी कर ली और उसे कानो कान खबर तक नही।अगर सीमा की आवाज उसके कानों में न पड़ती तो वह खड़े खड़े न जाने क्या सोचने लग जाती।
"आपको कोई काम गए?अब तो वह आपको शाम को ही मिलेंगे।"
"मरा नाम उमा है।मैं रमेश के साथ ही काम करती हूँ।आफिस ही जा रही हूँ।'
उमा सीमा की प्रतिक्रिया का इन्तजार किये बिना ही चली गयी।
उमा रोज की तरह घर से दफ्तर जाने के लिए निकली थी।वह जिस बस से जा रही थी।वो बस रास्ते मे अचानक खराब हो गयी।उमा ने घड़ी में समय देखा।अभी दस बजने में बीस मिनट थे।यहाँ से रमेश का घर पास ही था।शायद वह अभी घर से न निकला हो।यह सोचकर वह आयी थी