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भानगढ़ - उपन्यास
Anil Sainger
द्वारा
हिंदी डरावनी कहानी
सुबह से तेज बारिश हो रही थी | अमन ने कई बार जतिन और ईशान को फ़ोन मिलाने की कोशिश की लेकिन फ़ोन मिलते ही कट रहा था | अमन परेशान हो कर दोनों को मेसेज भेज कुछ देर इन्तजार करता है | काफी देर तक जब मेसेज डिलीवर नहीं होता है तो वह मौसम को गालियाँ देते हुए सामान पैक करने लगता है|
वह सामान पैक करते हुए बुदबुदा रहा था ‘साले पहले ही जाने को तैयार नहीं थे | ऊपर से ये मौसम भी उनकी मदद करने में लग गया है | अभी तो मैंने इन दोनों को भानगढ़ के किले और उसके बारे में फैली भूतिया कहानियों के बारे में कुछ नहीं बताया है | अगर वो बता देता तो शायद दोनों जाने को तैयार ही नहीं होते | भूत और खंडहर देख कर तो वैसे भी जतिन की जान निकल जाती है | अच्छा ही हुआ | मेरा भी मजा किरकिरा कर देते | अकेले में ऐसी जगह जाने का मजा ही कुछ और है | ऐसी जगहों में साथ ऐसा होना चाहिए जो मुसीबत में साथ दे | डर कर भागे नहीं | चलो जो होता है अच्छा ही होता है | मुझे नहीं लगता कि मेरे जाने के बाद ये लोग वहाँ आएंगे’, बैग बिस्तर पर रख वह गुस्लखाने की ओर चल देता है |
सुबह से तेज बारिश हो रही थी | अमन ने कई बार जतिन और ईशान को फ़ोन मिलाने की कोशिश की लेकिन फ़ोन मिलते ही कट रहा था | अमन परेशान हो कर दोनों को मेसेज भेज कुछ देर ...और पढ़ेकरता है | काफी देर तक जब मेसेज डिलीवर नहीं होता है तो वह मौसम को गालियाँ देते हुए सामान पैक करने लगता है| वह सामान पैक करते हुए बुदबुदा रहा था ‘साले पहले ही जाने को तैयार नहीं थे | ऊपर से ये मौसम भी उनकी मदद करने में लग गया है | अभी तो मैंने इन दोनों को
अमन कुर्सी पर बैठते हुए बोला “तुम दोनों बेवजह डर रहे हो | ये किला और इसके बारे में फैली सारी कहानियाँ झूठी लगती हैं | हम पिछली बार जहाँ गये थे उससे तो लाख दर्जे अच्छी और सुंदर ...और पढ़ेहै और साथ ही साथ डरावनी और खौफनाक भी नहीं है | एक जमाने में भानगढ़ का किला सुंदरता और नक्काशी के लिए बहुत मशहूर था | भानगढ़, अलवर जिले में है और यह किला चारो तरफ से पहाड़ीयों से घिरा हुआ है | यही इस किले का आकर्षण है | सिरिसका टाइगर रिज़र्व यहाँ से कुछ ही दूरी से
सुबह से निकली धूप दोपहर तक अपने पूरे शबाब पर थी | अचानक हुए गर्म मौसम को देख यकीन नहीं हो पा रहा था कि अभी पिछले हफ्ते तक आधी बाँह के स्वेटर कि जरूरत पड़ रही थी | ...और पढ़ेविभाग का जरूर कहना था कि अगले दो-तीन दिन मौसम सुहावना रहेगा | बारिश भी हो सकती है लेकिन सुबह से आसमान बिलकुल साफ़ था और बादलों का दूर-दूर तक कोई नामोनिशान तक नहीं था | अमन सुबह ही भानगढ़ के लिए निकल जाता है | वह रास्ते भर ये सोचता रहा कि जैसा उसे सपने में दिखा था वह
अमन को करवट पलटते हुए एहसास होता है जैसे कोई उसे भर्राई आवाज में पुकार रहा हो | वह झट से आँखें खोल कर इधर-उधर देखता है | कहीं कोई नहीं था | खिड़की से आती रौशनी देख वह ...और पढ़ेकर बेड के साथ रखी टेबल से घड़ी उठा कर देखता है | समय देखते ही वह एक झटके से उठ कर बैठ जाता है | वह आँखें मल कर एक बार फिर से घड़ी देखता है | सुबह के दस बजने को थे | वह इतनी देर सो चुका था लेकिन अभी भी उसका सिर भारी था | ऐसे
सुबह समायरा को अलवर के बस अड्डे से बस में चढ़ा कर अमन दिल्ली की ओर निकल पड़ता है | अमन को गाड़ी चलाते हुए कई बार लगा कि समायरा अभी भी उसके साथ है | समायरा की साँस ...और पढ़ेकी आवाज और उसके शरीर से आती मादक गंध वह अभी भी महसूस कर रहा था | समायरा का आँसू से भरा चेहरा बार-बार अमन के सामने कौंध रहा था | वह गाड़ी चलाते हुए बुदबुदाया ‘वो जाना नहीं चाह रही थी | लेकिन मजबूरी थी | वरना वो मेरे साथ ही दिल्ली चलती | साथ होती तो मजा आ