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भानगढ़ - 2

अमन कुर्सी पर बैठते हुए बोला “तुम दोनों बेवजह डर रहे हो | ये किला और इसके बारे में फैली सारी कहानियाँ झूठी लगती हैं | हम पिछली बार जहाँ गये थे उससे तो लाख दर्जे अच्छी और सुंदर जगह है और साथ ही साथ डरावनी और खौफनाक भी नहीं है |

एक जमाने में भानगढ़ का किला सुंदरता और नक्काशी के लिए बहुत मशहूर था | भानगढ़, अलवर जिले में है और यह किला चारो तरफ से पहाड़ीयों से घिरा हुआ है | यही इस किले का आकर्षण है | सिरिसका टाइगर रिज़र्व यहाँ से कुछ ही दूरी से शुरू होता है | खैर, अब यहाँ के बारे में फैली बेसिर-पैर की कहानी सुनो.........”, कह अमन दोनों को भानगढ़ की सारी कहानी सुना कर बोला “अब तुम ही बताओ कि एक तांत्रिक के शाप देने से किले में मरने वाले आज भी वहाँ घूम रहे हैं | कौन विश्वास करेगा इन बेफिजूल की बातों पर”, कह कर अमन चुप कर जाता है |

कमरे में काफी देर चुप्पी छाई रहती है | काफी देर बाद जतिन बोला “मान लिया कि इस कहानी में कोई दम नहीं है | लेकिन ये बात तो तू भी मानेगा कि राजस्थान तन्त्र विद्या के लिए काफी मशहूर है | यहाँ पर आज भी एक से बढ़ कर एक तांत्रिक हैं” | अमन हँसते हुए बोला “अबे साले, साइंस का स्टूडेंट हो कर भी इन बातों पर विश्वास करता है | ये तंत्र-मन्त्र सब बकवास होता है | ये सब पागल बनाने के हथियार हैं | इन बातों में कोई दम नहीं है” |

ईशान जो अभी तक चुप बैठा उन दोनों की बातें सुन रहा था | वह कुर्सी से उठते हुए अमन को देख कर बोला “भाई एक बात बता | तू आत्मा को मानता है कि नहीं | अगर आत्मा हमारे शरीर में होती है तो बिना शरीर के क्यों नहीं हो सकती | बिना शरीर की आत्मा को हम लोग भूत कहते हैं | माना कि भूत हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते लेकिन अगर वह हमारी सोच-समझ शक्ति पर कण्ट्रोल पा ले तो हम वही करेंगे जो वो चाहेगा” |

अमन गंभीर भाव से बोला “मैं तेरी बात से सहमत हूँ | लेकिन भाई आजतक न तो मुझे और न ही किसी और को भूत का कोई ठोस सबूत मिला है | सब हवा में तीर मार रहे हैं” | अमन की बात सुन ईशान और जतिन एक सुर में बोले “मतलब तू ये कहना चाह रहा है कि जब तक कोई ठोस सबूत न मिले तब तक इन खंडहरों में जाकर अपनी ऐसी तैसी करवाते रहो | और जिस दिन आमना-सामना हो जाए तब उस आत्मा से अपनी वाट लगवाओ” |

अमन कुर्सी से उठते हुए बोला “तुम लोगों को नहीं जाना तो सीधे-सीधे क्यों नहीं बोलते | बेफिजूल की बातें क्यों बना रहे हो | कोई बात नहीं | मैं अकेला ही चला जाऊंगा | मैं छुट्टियों को यूँ बर्बाद नहीं होने दूंगा | मुझे ऐसी जगह जाने की सनक है | और मैं तब तक जाता रहूँगा जब तक मेरा आमना-सामना किसी भूत से न हो जाए | मैं परसों यानी होली वाले दिन सुबह निकलूंगा और सन्डे को वापसी करूँगा | तुम लोगों का कोई प्रोग्राम यदि बाद में भी बने तो आप लोग आमंत्रित हैं”, कह कर अमन अपना बैग उठा कर जैसे ही कमरे से निकलने लगता है |

ईशान बोला “भाई नाराज क्यों हो रहा है | हमारा दिल वहाँ जाने का नहीं है तो नहीं है | इसमें नाराज होने वाली क्या बात है | बैठ तो सही | तुझे एक मजेदार बात बतानी है | अगर सच हो गई तो तेरे बल्ले-बल्ले हो जाएंगे” |

अमन बेदिली से वापिस आकर बैठते हुए बोला “बोल क्या बात है”? ईशान उसके पास आकर बैठते हुए बोला “भाई पता नहीं क्यों मेरा वहाँ जाने को दिल नहीं कर रहा है | हो सकता है इसके पीछे मेरे डरावने सपने हों | भाई, जब से तूने वहाँ जाने की बात बताई है | उस दिन से मुझे एक सपना बार-बार आ रहा है | जिसमें एक सफ़ेद साड़ी पहने औरत अपने बच्चे के साथ दिखती है | वह बारिश में पूरी तरह से भीग हुई हम लोगों को अपने पास बुलाती है | हम जैसे ही उसके पास जाते हैं वह चुड़ैल बन जाती है | ये सपना तो मुझे अच्छी तरह से याद है | बाकि सपने मुझे सुबह तो याद होते हैं लेकिन बाद में भूल जाता हूँ” |

अमन हँसते हुए बोला “ऐसा सपना तो मुझे कई बार आ चुका है | आज सुबह भी आया था | ये सब हमारे अपने अंदर का डर है जो सपना बन कर....”, वह अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाता है कि उससे पहले ही जतिन जोर से बोला “हर बात को डर मर बताया कर | ये भी तो सोच एक ही सपना हम तीनो को एक ही समय में कैसे आ सकता है” |

काफी देर की चुप्पी के बाद अमन बोला “पता नहीं ? खैर, मुझे ये बताने के लिए रोका था” | ईशान, अमन के गले में बाहें डालते हुए बोला “तुझे याद है मेरी बहन की शादी में तुझे एक लड़की बहुत पसंद आई थी” | अमन अपनी यादाश्त पर जोर डालते हुए बोला “कौन-सी लड़की” ?

ईशान बोला “जिसने गहरे नीले रंग की घागरा-चोली पहनी हुई थी | जब तूने उसके बारे में पूछा तो मैंने बताया था कि वो लड़की मेरी दूर की बहन लगती है | तब तूने कहा था कि दूर-पास की बहन क्या होती है | तब मैंने बोला था कि वो मेरे पिता जी के कजिन भाई की लड़की ‘समायरा’ है | तब तूने बोला था कि यार तेरी बहन भी सुंदर है और इसका नाम भी” |

अमन काफी सोचने के बाद बोला “हाँ ! नाम तो कुछ-कुछ याद आ रहा है | खैर, आगे बोल” | ईशान मुस्कुराते हुए बोला “मेरी कजिन सिस्टर सॉफ्टवेयर इंजिनियर है और चंडीगढ़ रहती है | वह परसों अपनी मौसी के पास नॉएडा इंटरव्यू के लिए आई है | मेरी कल उससे बात हुई थी | वो होली पर हमारे घर आने की बात कह रही थी | लेकिन जब मैंने अपने प्रोग्राम के बारे में बताया तो वो बहुत खुश हुई | वह बोली ‘मैं ऐसी जगहों पर जाती रहती हूँ | और मैं कब से भानगढ़ जाने की सोच रही थी लेकिन कोई साथ नहीं मिल रहा था | अगर तुम लोग जा रहे तो मैं भी साथ चलूंगी’ | अब बोल क्या बोलता है” |

अमन बेमन से ईशान के हाथ अपने कंधे से हटाते हुए बोला “मुझे ये बात क्यों सुना रहा है | अब जब तुम लोग नहीं जा रहे तो तो वो अकेली मेरे साथ क्यों जायेगी” | ईशान, अमन के गाल खींचते हुए बोला “भाई वो भी तेरी तरह सनकी है | हम जाएँ या न जाएँ वो जरूर जायेगी” |

अमन नाराज होते हुए बोला “ठीक है | मुझे बता देना”, कह कर वह उठता है और उन दोनों के देखे बिना कमरे से निकल जाता है |

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