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भानगढ़ - 4

अमन को करवट पलटते हुए एहसास होता है जैसे कोई उसे भर्राई आवाज में पुकार रहा हो | वह झट से आँखें खोल कर इधर-उधर देखता है | कहीं कोई नहीं था | खिड़की से आती रौशनी देख वह पलट कर बेड के साथ रखी टेबल से घड़ी उठा कर देखता है | समय देखते ही वह एक झटके से उठ कर बैठ जाता है | वह आँखें मल कर एक बार फिर से घड़ी देखता है | सुबह के दस बजने को थे | वह इतनी देर सो चुका था लेकिन अभी भी उसका सिर भारी था | ऐसे लग रहा था जैसे उसके सिर को किसी चीज ने जकड़ रखा है |

अचानक उसे रात की घटना याद आ जाती है | वह उठते हुए बुदबुदाया “मुझे समायरा के लक्षण ठीक नहीं लगते हैं | वह समायरा है या फिर कोई चुड़ैल | इस समय जा कर उससे बात करता हूँ | सब साफ़ हो जाएगा”, बुदबुदा कर वह दरवाजा खोल साथ वाले कमरे का दरवाजा खड़काने लगता है | अचानक उसकी नजर दरवाजे पर पड़ती है | दरवाजे पर बाहर से ताला लगा हुआ था | इस समय समायरा कहाँ गई होगी सोचते हुए वह रिसेप्शन की ओर चल देता है |

वह रिसेप्शन पर पहुँच वहाँ बैठे युवक से पूछता है “मेरे साथ वाले कमरे में जो लेडी ठहरी हुई थी वह कहीं बाहर गई है क्या” ? वह युवक उससे उसका कमरा नंबर पूछता है | जब अमन अपना कमरा नंबर बताता है तो वह युवक रजिस्टर खोल कर देखते हुए बोला “आप किस कमरे की बात कर रहे हैं” ?

अमन गुस्से से बोला “रूम नंबर तीस की बात कर रहा हूँ” | यह सुन वह युवक खड़े होकर नम्र भाव से बोला “साहिब वहाँ तो कोई नहीं ठहरा है” | अमन का गुस्सा और बढ़ जाता है | वह दांत भीचते हुए बोला “मैं समायरा मैडम की बात कर रहा हूँ | वो मेरे साथ वाले कमरे में ठहरी हुई थीं | लेकिन अब उनका कमरा बंद है | मुझे सिर्फ इतना पूछना है कि वह कहीं बाहर गई हैं या फिर यहीं कहीं हैं” |

वह युवक कुछ बोल पाता इससे पहले ही दूर से आता हुआ कमल बोला “सर क्या हुआ ? मुझे बताइए” | अमन ने सारी बात कमल को बता दी | कमल जैसे-जैसे अमन की बात सुनता जा रहा था उसकी आँखें फटती जा रही थीं | वह पूरी बात सुन कर अमन से बाहर चलने का इशारा करते हुए बोला “सर आपको कोई गलतफहमी हुई है | समायरा मैडम ने रूम जरूर बुक करवाया था और उन्होंने कल शाम सात बजे तक पहुँचने की बात भी कही थी | लेकिन सर वो आई नहीं” |

अमन गुस्से से बोला “तुम लोग पागल हो क्या ? यहाँ किसी को कुछ पता ही नहीं लगता | सब दारु पी कर बैठते हो क्या ? कल तुम्हारा चौकीदार भी दारु पी कर पूरा टुन्न था” |

कमल शांत भाव से बोला “सर, हमारे यहाँ कोई दारु नहीं पीता | और आप जिस गार्ड की बात कर रहे हैं | उसने आजतक दारु को हाथ तक नहीं लगाया है | खैर, आपके साथ वाला कमरा पिछले सात महीने से बंद है | असल में उसमें रहने वाले तीन लोग रात को किले में गये थे लेकिन वापिस नहीं लौटे | पुलिस की जाँच अभी चल रही है इसीलिए वह कमरा हम किसी को नहीं....”, वह कुछ और बोल पाता इससे पहले ही अमन हैरान-परेशान हो बोला “लेकिन भाई, कल तो उस में समायरा ठहरी हुई थी | रात को उसे मैंने अपनी आँखों से खुद कमरा खोलते और बंद करते हुए देखा है” |

यह सुन कर कमल भी हैरान रह जाता है | वह गंभीर भाव से बोला “आप कह रहे हैं तो सही होगा | लेकिन समायरा मैडम अभी तक आई ही नहीं हैं | और हम ने उनके लिए आपके साथ वाले कमरे से अगला वाला कमरा बुक किया है | उन्होंने आपकी तरह ही तीन दिन की बुकिंग करवाई थी | लेकिन पता नहीं क्यों वो अभी तक आई नहीं हैं” |

अमन के पैर काँप रहे थे और उसके माथे पर आया पसीना साफ़ दिख रहा था | अचानक उसे कुछ याद आता है | वह पलट कर तेज क़दमों से अपने कमरे की ओर चल देता है | वह कमरे में आकर मोबाइल में ईशान का मेसज देखता है | वह समायरा की फोटो देख कर हैरान हो जाता है | एक बार तो अमन के दिल की धड़कन रुक ही जाती है | वह लम्बी साँस लेते हुए बुदबुदाया ‘मैंने ये फोटो पहले क्यों नहीं देखी | ये तो समायरा से बिलकुल भी मेल नहीं....’, वह कुछ और बोल पाता इससे पहले उसे दरवाजे पर दस्तक सुनाई दी | वह पीछे मुड़ देखता है तो सामने खड़ी लड़की को देख उसके हाथ से फ़ोन छूट जाता है | सामने दरवाजे पर समायरा बैग लटकाए खड़ी थी |

समायरा के चेहरे से लग रहा था कि वह काफी थकी हुई है | इसके बावजूद वह अमन की हालत देख मुस्कुरा कर बोली “क्या हुआ ? आप मुझे ऐसे क्यों देख रहे हैं” | अमन माथे का पसीना पोंछ कर लम्बा साँस लेते हुए बोला “वो... मैंने अभी आपकी फोटो देखी ही थी कि आप...... आ गईं | आप..... वहाँ क्यों खड़ी हैं आइये अंदर आइये न प्लीज्” |

समायरा अंदर आकर कुर्सी पर बैठते हुए बोली “I am realy very sorry. मुझे कल आना था लेकिन..... अब क्या.... ? मैं बस लेट हो गई | मैंने बुकिंग तो होली वाले दिन की ही कराई थी | मुझे ईशान ने बता दिया था आपने कौन से होटल में बुकिंग कराई है | और...... प्लीज्.... आप बुरा तो नहीं मानेगें | मुझे कल सुबह दस बजे के करीब हर हालत में निकलना है | मेरी मौसी जयपुर में रहती हैं | उनकी तबियत काफी खराब है | मुझे उन्हें देखने जाना है | मैंने ईशान से वादा किया था कि मैं आपका साथ दूंगी | बस इसीलिए लेट होने के बावजूद भी मैं आई हूँ | मैं कभी किसी से किया वादा नहीं तोड़ती” |

अमन बात बदलते हुए बोला “आप काफी थकी लग रही हैं” |

समायरा अपना सिर दबाते हुए बोली “हाँ कल से मेरे सिर में बहुत दर्द हो रहा है | ऐसे लग रहा है जैसे मेरा सिर किसी बहुत भारी चीज से टकरा गया हो | खैर, कोई बात नहीं | मैंने कल भी गोली खाई थी तो ठीक हो गया था | मैंने अभी रास्ते में काफी हैवी नाश्ता किया था लेकिन गोली खाना भूल गई | प्लीज, पानी दे दीजिये | मैं गोली खा लेती हूँ | कुछ ही देर में ये जानलेवा दर्द ठीक हो जाएगा | आप जल्दी से तैयार हो जाइये | चलते हैं किला देखने” |

अमन पानी का गिलास समायरा को थमाते हुए बोला “आप प्लीज आराम कर लीजिये | शाम तक आपका दर्द ठीक हो जाएगा | तब चल पड़ेगें” |

समायरा नकली हँसी हँसते हुए बोली “आप इस दर्द की चिंता मत कीजिये | मेरे लिए ये आम बात है | आप प्लीज् तैयार हो कर नाश्ता कर लीजिये | मुझे आपके साथ घूमना है | बहुत समय से इस मौके की तलाश में थी | अब जब ऐसा मौका मिला है तो मैं इसे किसी भी हालत में छोड़ना नहीं चाहती” | उसकी बात सुन अमन मुस्कुरा कर गुस्लखाने की ओर चल देता है |

अमन जब तैयार हो कर निकला तो समायरा ने बोला कि उसका दर्द काफी हद तक ठीक हो चुका है | वह बोली कि आप अपना सारा समान ले कर चलिए अब हम रात को ही वापिस आएंगे | अमन भी समायरा के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहता था | उसने ख़ुशी-ख़ुशी ‘हाँ’ कर दी | समायरा ने कहा कि वह जल्दी से नाश्ता कर ले जब तक वह बाहर खुली हवा में घूम कर आती है | अमन कमरे का दरवाजा बंद कर अपना बैग समायरा को थमा कैंटीन में नाश्ता करने चला जाता है और समायरा होटल से बाहर घूमने निकल जाती है |

अमन, समायरा के आने पर रात की बात बिलकुल भूल चुका था | उसे समायरा किसी परी से कम नहीं लग रही थी | वह दोनों बाजार से होते हुए किले की तरफ चल देते हैं | रास्ते में समायरा ने बताया कि उसने जब अमन को पहली बार ईशान की बहन की शादी में देखा था | वह तभी से उससे मिलना चाह रही थी | समायरा ने बहुत मासूमियत से अपने दिल की बात अमन के सामने रख दी थी कि उसे पहली नजर में ही उससे प्यार हो गया था | उसने जब सुना कि अमन के और उसके शौक और व्यवहार भी एक से हैं तो वह और भी खुश हो गई थी | समायरा ने बताया कि उसने कई बार उससे मिलने और अपने दिल की बात बताने की कोशिश की थी | लेकिन किस्मत ने उसका साथ नहीं दिया और वह मिल नहीं पाई | आज वह इस हाथ आये मौके को खोना नहीं चाहती थी | वह बोली कि उसकी ख़ुशी का तब ठिकाना ही नहीं रहा जब ईशान ने बताया कि वह और उसका दोस्त तुम्हारे साथ नहीं जा रहे हैं | अमन उसकी बातें सुन अंदर ही अंदर फूला नहीं समा रहा था |

कब शाम हुई और कब रात हो गई दोनों को पता ही नहीं लगा | दोनों पूरा दिन घूम कर भी थकावट महसूस नहीं कर रहे थे | रात के दस बजने को थे और वह अभी भी बातें करते हुए किले में घूम रहे थे |

अचानक अमन की नजर घड़ी पर पड़ती है | समय देख अमन बोला “मैडम जी दस बज रहे हैं | चलिए यहाँ से निकलते हैं” | समायरा अमन का हाथ पकड़ते हुए बोली “चलिए, बाकी की बातें होटल में चल कर करते हैं” |

अमन ने महसूस किया कि समायरा के हाथ बर्फ की तरह ठंडे थे | वह उसका हाथ मलते हुए बोला “तुम्हारे हाथ तो बिलकुल ठंडे हो चुके हैं” |

समायरा हाथ छुड़ाते हुए शर्मा कर बोली “साहिब जी, आपने ध्यान ही नहीं दिया कि मैंने ये पतला-सा बिना बाँह का कुर्ता और प्जामी पहनी हुई है” |

अमन मुस्कुराते हुए बोला “आपके चेहरे से नजर हटे तो कहीं और देखूं | सॉरी, मेरा ध्यान ही नहीं गया | चलिए, जल्दी से होटल चलते हैं”, कह कर वह दोनों तेज कदम भरते हुए किले के गेट की ओर चल देते हैं |

होटल वापिस आकर समायरा बोली “मैं आपके कमरे में ही सो जाती हूँ | मुझे आज पता नहीं क्यों डर लग रहा है”, कह कर वह सुबक उठती है | अमन ये बात सुन कर खुश हो जाता है लेकिन दूसरे ही पल समायरा को सुबकते हुए देख दुःखी मन से बोला “क्या हुआ आप रो क्यों रही हैं | सिर में फिर से दर्द शुरू हो गया क्या” | समायरा ‘हाँ’ में सिर हिलाते हुए बोली “दर्द की भी बात है और ये भी बात है कि पता नहीं क्यों मुझे डर लग रहा है कि कहीं मैं आपको खो न दूँ” |

अमन भर्राई आवाज में बोला “प्लीज् आप ऐसी बातें मत करिए | आप...पहले दवाई खाइए” | समायरा गंभीर भाव से बोली “ठीक है | लेकिन मैं सोना नहीं चाहती” | अमन मुस्कुराते हुए बोला “आप क्यों परेशान हो रही हैं | अब हमें कोई जुदा नहीं कर सकता | आप.... आपको सुबह जयपुर भी तो जाना है | आइये कुछ देर बात कर सोते हैं” |

समायरा खुश हो ‘हाँ’ में सिर हिलाते हुए बेड पर आकर बैठ जाती है |

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