Yasmin book and story is written by गायत्री शर्मा गुँजन in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Yasmin is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
यासमीन - उपन्यास
गायत्री शर्मा गुँजन
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
यासमीन रमजान के दिनों में बिना कुछ खाये पिये यासमीन घर के सारे काम करती , झाड़ू पोछा बर्तन और खाना बनाकर स्कूल जाने के लिए खुद को तैयार करना । एक मध्यमवर्गीय परिवार से होने के बावजूद यासमीन जिंदादिल लड़की थी । आपा ! आपको देर हो जाएगी स्कूल के लिए ! टाइम देखिए 7 बज रहे हैं और आपको अभी कितना सारा काम है ..' यासमीन के छोटे भाई समर ने कहा ! यासमीन- समर थोड़ा सा काम है तूँ चाहे तो अपनी आपा की मदद कर सकता है ! वहीं समर चुप हो गया और धीरे से
यासमीन रमजान के दिनों में बिना कुछ खाये पिये यासमीन घर के सारे काम करती , झाड़ू पोछा बर्तन और खाना बनाकर स्कूल जाने के लिए खुद को तैयार करना । एक मध्यमवर्गीय परिवार से होने के बावजूद यासमीन ...और पढ़ेलड़की थी । आपा ! आपको देर हो जाएगी स्कूल के लिए ! टाइम देखिए 7 बज रहे हैं और आपको अभी कितना सारा काम है ..' यासमीन के छोटे भाई समर ने कहा ! यासमीन- समर थोड़ा सा काम है तूँ चाहे तो अपनी आपा की मदद कर सकता है ! वहीं समर चुप हो गया और धीरे से
अगली सुबह रस्मन मियाँ के घर कुछ और रिश्तेदार पहुँचे , हालांकि बीती शाम समर का जनाज़ा नहीं उठाया गया कुछ सगे रिश्तेदारों का पहुंचना बाकी था। ऊपर से रस्मन जी की खबर ना लगने पर सब बातें बना ...और पढ़ेथे ।इंसान इतना लाचार नहीं होता जितना दुनियावाले बिचारा शब्द बोल बोलकर उसे बिचारा बना देते हैं यह शब्द पीछे से सुनाई दिया जब यासमीन ने पीछे मुड़कर देखा तो उसके ही पड़ोस की खाला नीमा थी। नीमा एक भली औरत है जो सबके सुख दुख में शामिल होती और उसके यह शब्द जब यासमीन ने सुना तो दुख के
शबाना बेगम की हालत नाजुक जान पड़ रही थी कि नीमा ने हकीम को बुलाने को कहा तो यासमीन ने मना कर दिया ! अरे ये लड़की पागल हो गई है ये देखो इसकी अम्मी इसकी नजरो के सामने ...और पढ़ेपड़ी है और ये डॉक्टर को नहीं बुला रही। एक औरत ने कहा ! नीमा भी बोली ..." बेटी क्या हो गया ? तुम ऐसे क्यो बोल रही हो कि हकीम साहब को नहीं बुलाना ! यासमीन - ख़ाला जान ' कौन बेटी चाहेगी की उसकी अम्मी उसके सामने बेसुध सी पड़ी हो और वो जश्न मनाए । शायद कोई
अम्मी अम्मी अब्बू जान कहाँ हैं ? उनकी कोई खबर नहीं ..." पुलिस को शिकायत दर्ज कराए क्या? यासमीन अपनी अम्मी से कहते हुए...! शबाना बेगम- बेटी मुझे भी उनकी बहुत फिक्र हो रही है तू जाकर खालू जान ...और पढ़ेसाथ रिपोर्ट लिखवा दे । तूँ डरेगी तो नहीं बेटी?यासमीन - अम्मी आपकी बेटी हूँ अपने हक के लिए हमेशा बेख़ौफ़ देखोगी मुझे !आप परेशान मत होइए ! और अम्मी को सांत्वना देकर खुद के दर्द को अपने भीतर छुपाए नसीम खालू के घर गई!आंगन में फूलों की महक , बकरियों की आवाजें और मुर्गों की बांग से कुछ देर
पुलिस चौकी के आस- पास कोई था तो नहीं और सड़क के दूसरी तरफ एक हवलदार दिखाई दिया था । नसीम और यासमीन ने जब पीछे मुड़कर देखा तो एक फकीर वहाँ से गुजर रहे थे हाथों और कंधों ...और पढ़ेवाद्य यंत्र लटकाए , हरे रंग का गोल्डन पट्टी लगा हुआ कुर्ता -धोती पहने हुए सिर पर सफेद जालीनुमा छपाई वाली टोपी पहने हुए नंगे पैर चल रहे थे और मुंह से इबादत के सुर में आंधियों को चकमा देते हुए जा रहे थे एकदम मस्त मौला जिसे दुनिया के तूफानों से कोई वास्ता ही ना हो , और बेहद