Choutha Nakshatra book and story is written by Kandarp in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Choutha Nakshatra is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
चौथा नक्षत्र - उपन्यास
Kandarp
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
पहली एनीवर्सरी“हैलो कमल कहाँ हो ? ....ऑफिस से निकले क्या ? ”, फोन पर झुँझलाये स्वर में, लगभग डाँटते हुए सुरभि ने कहा । “निकल गया हूँ मेरी सोना ”, लाड भरी आवाज में कमल का जवाब आया । सुरभि ने ऊपर देख कर आँखो को गोल घुमाया । कमल का यह लाड उसे पसंद नही था । “हुंह .......मेरे गुस्से से बचने का बहाना है यह ”, वह अक्सर कहती । फिर
अध्याय 1 पहली एनीवर्सरी“हैलो कमल कहाँ हो ? ....ऑफिस से निकले क्या ? ”, फोन पर ...और पढ़ेस्वर में, लगभग डाँटते हुए सुरभि ने कहा । “निकल गया हूँ मेरी सोना ”, लाड भरी आवाज में कमल का जवाब आया । सुरभि ने ऊपर देख कर आँखो को गोल घुमाया । कमल का यह लाड उसे पसंद नही था । “हुंह .......मेरे गुस्से से बचने का बहाना है यह ”, वह अक्सर कहती । फिर
अध्याय 2 एक्सीडेंट“क्या हुआ सुरभि ”, अनिका उसके पास ...और पढ़ेगयी थी । अनिका सुरभी की सहकर्मी थी । इस सॉफ्टवेयर फर्म के हजारों कर्मचारियों में से एक । सुरभि के कोमल मन का एक कोना अक्सर उसी के कंधों पर टिका रहता ।भावनाओ की तहें अक्सर अनिका के सामने ही खुलती । इस महानगर में सुरभि का डर , उसकी चिंताएं और उसकी खुशियां सभी कुछ अनिका संभाल लेती ।
अध्याय 3 शापसुरभि अचानक अचकचा कर जाग गयी | रात देर ...और पढ़ेतक उसे नींद नही आई थी |सुबह थोड़ी आँख लगी ही थी कि अब फिर घबरा कर नींद खुल गयी | सुरभि को लग रहा था कि जैसे वह अब तक कोई बुरा स्वप्न देख रही थी , कि जैसे कल की घटनाएं वास्तविक नही थी |उसने सिर घुटनो से उठाकर सामने की ओर देखा | उसकी दृष्टि आई.सी.यू. के दरवाजे से टकरा
अध्याय 4 लेक्चर हालआई.सी.यू. फ्लोर के गद्देदार ...और पढ़ेपर धूप अपना साम्राज्य बढ़ाती जा रही थी | धूप की पीली सुनहरी रोशनी में इस वक्त प्रश्नो की एक लड़ी सुरभि के सामने चमकने लगी थी | प्रश्न सुरभि के पास सिमटते आ रहे थे | प्यार क्या है ? क्या यह महज आकर्षण भर है ? लेकिन अगर यह आकर्षण भर ही है तो क्यों नही सभी से हो जाता
अध्याय 5 माँ ...और पढ़ेका दरवाजा ग्राउंड फ्लोर पर खुला । ऊपर के फ्लोर तक आने जाने के लिए कई लिफ्ट थीं । ओ.पी.डी. खुलने का वक्त हो चला था इसलिए लिफ्ट के सामने कतारे लंबी होने लगी थीं । लिफ्ट से बाहर निकल कर सुरभि अस्पताल के कैफेटेरिया की ओर बढ़ गयी । अस्पताल के चमकते साफ सुथरे गलियारों में चहल पहल बढ़ने लगी थी