नशे की बीमारी ज़िंदगी पे भारी - उपन्यास
shama parveen
द्वारा
हिंदी प्रेरक कथा
नशा एक तरह की लत होती है। जो कभी भी किसी को भी हो सकती है। नशा कई तरह का होता है। जैसे- प्यार का नशा, पेसो का नशा ।
ऐसे ही एक नशा है नशीली दवाओं का नशा ।जो ...और पढ़ेकिसी भी इंसान की जिन्दगी पूरी तरह से बरबाद कर देता है।
आज कल नशीली दवाओं का नशा सब पे चल गया है। यह एक तरह का ट्रैंड बन गया है जैसे की कपड़ो और फैशन का ट्रैंड चलता है। आज आधे से ज्यादा युवा इस लत में लगे हुए है। और उन्हे यह एक बहुत ही मजेदार चीज लगती है।
आज अगर नशीली दवाओं का सेवन इतना बढ़ रहा है तो इसका सबसे बड़ा दुश्मन एक दोस्त है क्योंकि एक दोस्त ही दूसरे दोस्त को इस का लालच देता है। और धीरे धीरे उसे इसमें धकेल देता है। जिससे की वो भी इसका आदी हो जाता है। और फिर वो दूसरे को इसका आदी बनाते हैं।
नशा एक तरह की लत होती है। जो कभी भी किसी को भी हो सकती है। नशा कई तरह का होता है। जैसे- प्यार का नशा, पेसो का नशा ।ऐसे ही एक नशा है नशीली दवाओं का नशा ।जो ...और पढ़ेकिसी भी इंसान की जिन्दगी पूरी तरह से बरबाद कर देता है। आज कल नशीली दवाओं का नशा सब पे चल गया है। यह एक तरह का ट्रैंड बन गया है जैसे की कपड़ो और फैशन का ट्रैंड चलता है। आज आधे से ज्यादा युवा इस लत में लगे हुए है। और उन्हे यह एक बहुत ही मजेदार चीज लगती है।आज
दोनो बहुत ही डर जाते हैं। तभी सर पूछते हैं की तुम दोनो के हाथ में क्या है रोहित डर के मारे कांपने लगता है।मगर राजू बहुत ही चालाक होता है वो आसानी से ड्रग्स को नीचे गिरा देता ...और पढ़ेऔर बिस्कुट का पैकेट पकड़ लेता है। और फिर बोलता है की सर जी ये तो बिस्कुट का पैकेट है जिसके लिए हम लड़ रहे थे। फिर सर क्लास में बच्चो को पढ़ाना शुरू कर देते हैं फिर जब लंच का टाइम होता है तब रोहित राजू से पूछता है की तुमने ये कैसे किया । में तो समझ ही नही
घर जा कर रोहित बहुत परेशान हो जाता है उसे कुछ भी समझ में नही आता है कि वो क्या करे। उसे बहुत ही ज्यादा डर भी लगता है कि कहीं अगर घर में किसी को पता चल गया ...और पढ़ेमें ड्रग्स लेता हूं तो पता नही मेरा क्या हाल होगा।यही सोचते सोचते रोहित सो जाता है। शाम हो जाती है। रोहित की मां उसके कमरे मे आती है और देखती है कि रोहित सो रहा है। तभी वो उसे उठाती है।बेटा क्या हुआ तेरी तबियत ठीक नहीं है क्या जो अभी तक सो रहा है।नही मां मेरी तबियत ठीक