Band hai simsim book and story is written by Ranjana Jaiswal in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Band hai simsim is also popular in डरावनी कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
बंद है सिमसिम - उपन्यास
Ranjana Jaiswal
द्वारा
हिंदी डरावनी कहानी
इस संसार में बहुत -कुछ ऐसा देखने -सुनने और अनुभव करने को मिल जाता है जिस पर पढ़ा -लिखा ,वैज्ञानिक मन विश्वास नहीं कर पाता पर उसको अस्वीकार करना भी मुश्किल होता है।
आइए आपको ऐसी ही रहस्य -रोमांच से भरी कहानियों से परिचित कराती हूँ।
पहला भाग--औघड़ बाबा की रूह
बचपन की बात है। मेरे घर का ऊपरी माला बन रहा था।राज मिस्त्री के साथ कई मजदूर भी काम कर रहे थे।मजदूरों में एक नचनिया भी था।पहले गाँव- कस्बों में नाचने-गाने का काम लड़के करते थे।वे लड़कियों की तरह कपड़े पहनकर और उनकी तरह सज-धजकर फिल्मी गानों पर नाचते -गाते थे।हर मेले- ठेले,शादी -ब्याह,नाटक -नौटँगी,पूजा-उत्सव में वे अवसर के अनुकूल गानों पर नाचते थे।जनता में उनकी बड़ी मांग रहती थी।वे खूब लोकप्रिय भी होते थे।पर जबसे लड़कियाँ उनके क्षेत्र में आईं उनकी मांग कम होते -होते लगभग खत्म ही हो गई।सारे नचनियां बेरोजगार हो गए।
अविश्वसनीय होते हुए भी कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जिसकी हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है.ऐसी घटनाओं से रूबरू करा रहा है यह धारावाहिक उपन्यास--बंद है सिमसिम.
घटना मेरी माँ के साथ घटी थी।मेरे पिताजी उन दिनों नागपुर में काम करते थे।माँ की नई शादी हुई थी ।वे उत्तर -प्रदेश के एक छोटे कस्बे की थीं और मात्र आठवीं पास थीं।बोलचाल की भाषा भी भोजपुरी थी।वे ...और पढ़ेरिश्ते के एक भाई को भी अपने साथ नागपुर ले गईं थीं ताकि उस अजनबी शहर में उनका मन लगा रहे। भाई की उम्र दस साल थी।माँ को उससे बहुत लगाव था।पिताजी दिन -भर काम पर रहते पर भाई माँ के साथ हमेशा रहता।माँ को अपने पास पड़ोसियों के घर जाना होता तो उसे भी अपने साथ ले जातीं।नागपुर की
घटना नानी के गांव मानपुर की है।यह गांव उस समय बिहार के बहुत ही पिछड़े गांवों में से एक था।पहाड़ियों और जंगल से घिरा हुआ। इसे डाकुओं का इलाका भी कहा जाता था।नानी के पिता सात भाई थे ...और पढ़ेलठैत और दबंग थे।पूरे गाँव पर उनका दबदबा था।लोग तो ये भी कहते थे कि वे रात को डकैती का काम भी करते थे।सात भाइयों की सात बेटियां थी,पर कुल को आगे ले जाने वाला कोई बेटा न था।एक यही दुःख सातों भाइयों को सताता था।नानी के पिता सबसे ज्यादा दुःखी रहते थे क्योंकि भाइयों में सबसे बड़े वही थे।एक दिन
वे मेरे सगे बड़े मामा थे।माँ और बड़ी मासी के बाद उनका जन्म हुआ था,इसलिए सबके दुलारे थे ।उनके बाद छोटी मासी और छोटे मामा पैदा हुए। वे अपनी छोटी बहन यानी छोटी मासी पर जान छिड़कते थे।जब वे ...और पढ़ेसाल के हुए तब तक माँ और बड़ी मासी ब्याह हो चुका था।मामा जब आठवीं कक्षा में पहुँचे ,तभी से हीरो लगने लगे थे।गोरा रंग,ऊंची डील -डौल के साथ बेहद खूबसूरत चेहरा।किशोर होते ही उनके लिए रिश्ते आने शुरू हो गए थे। एक दिन वे स्कूल से घर पहुंचे तो नाना और उनके बड़े भाई के बीच जबर्दस्त झगड़ा हो
बड़े मामा ने बताया कि अब वे जिन्न बन चुके हैं और ओझा और बड़े नाना उनकी सेवा- टहल करते हैं तो मेरे नाना -नानी भोंकार पार कर रो पड़े।जिस बेटे के जवान होने पर उसकी शादी करने का ...और पढ़ेसपना था।जिसके बच्चों को गोद में खिलाने का अरमान था,वह अब किसी तीसरी दुनिया का वासी बन गया था।बड़े नाना के थोड़े से लालच ने यह कैसा अनर्थ कर दिया? उन्हें रोते देख मामा बच्चों की तरह मचले--बाउजी सबको जिलेबी खिलाते हैं हमारी जिलेबी कहाँ है? नाना रोते- रोते बोले--अभी लेकर आता हूँ बेटा भरपेट खा लेना। नाना उठने को