मासी की कहानी में तो जिन्न सगे भाई थे इसलिए मासी का शारीरिक उत्पीड़न नहीं हुआ।पर सुगनी चाची की कहानी में जिन्न उनका प्रेमी था।
सुगनी जब किशोरी थी तभी एक लड़का उसका आशिक बन गया था।वह सुगनी के पीछे- पीछे घूमता था।उनकी गलियों के चक्कर लगाता।स्कूल से घर तक उनका पीछा करता।सुगनी बहुत ही सुंदर व संस्कारी लड़की थी।उसने उस लड़के को कभी भाव नहीं दिया।उसकी माँ ने कहा था कि लड़की को शादी से पहले किसी से प्रेम नहीं करना चाहिए।शादी के बाद सिर्फ पति से प्रेम ही धर्म है।सुगनी ने माँ की यह बात गांठ में बांध ली थी।
पन्द्रह की उम्र में ही सुगनी की शादी हो गई और फिर वह अपने ससुराल में ही रच -बस गई पर लड़का विक्षिप्त- सा हो गया। और उसी विक्षिप्तावस्था में एक दिन एक ट्रक के नीचे आ गया।सबको उसकी मृत्यु बहुत खली।सुगनी जब माँ के घर आई तो उसे उस लड़के की मौत की खबर मिली।उसे बहुत दुःख हुआ।उसे उसका एकतरफा प्रेम याद आया।कोई उसको दिलोजान से चाहता है-यह बात हर लड़की को गुदगुदाती है क्योंकि अक्सर पति को पत्नी एक सहज उपलब्ध देह मात्र लगती है।पत्नी के लिए उसके मन में प्रेम की वह उमंग -तरंग नहीं उठती,जो प्रेमिका के लिए उठती है।जबकि ज्यादातर पत्नियों की सारी उमंगें- तरंगें पति के लिए ही होती हैं ।
सुगनी ने जिस रात उस लड़के को याद किया, उस रात एक विचित्र घटना हुई।वह अपने पति के पास सोई हुई थी और सपने में थी कि एकाएक किन्हीं हाथों ने उसके पति को उठा लिया और उसे दूसरे कमरे में जमीन पर डाल दिया।ठंडे फर्श के स्पर्श से पति की नींद खुल गई।उसने जब खुद को दूसरे कमरे की जमीन पर पड़ा देखा तो उसे आश्चर्य हुआ कि वह यहां कैसे आ गया?वह जमीन से उठा और अपने कमरे में जाने के लिए के लिए दरवाजे की ओर बढ़ा तो दरवाजा अपने आप बंद हो गया।वह दरवाजा पीटता रहा पर उसकी आवाज बाहर गई ही नहीं।
उधर सुगनी सपने में अपने पति के साथ थी।वह उसे चूम रहा था। उसे प्यार कर रहा था ।सुगनी की देह में उत्तेजना बढ़ती जा रही थी।फिर वह दोनों सम्भोग -रत हो गए।सुगनी को पहली बार इस सहवास में चरम- सुख का अनुभव हो रहा था।रात-भर सुगनी सुख से सराबोर रही।सुबह दरवाजा पीटने की आवाज़ से उसकी नींद खुली तो उसने देखा कि कमरे का दरवाजा भीतर से बंद है और बाहर उसका पति चिल्ला रहा है।वह किसी तरह उठी और दरवाजा खोल दिया।बाहर बदहवास सा उसका पति खड़ा था।वह आश्चर्य में पड़ गई फिर उसने पूछा कि
--आप बाहर कब चले गए?रात को तो मेरे ही पास सोए थे।इस कमरे को भीतर से किसने बंद किया?
पति धम से कुर्सी पर बैठ गया। --मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा।मुझे भी किसी ने दूसरे कमरे में बंद कर दिया था।रात-भर ठंड में अकड़ गया।
--पर घर में तीसरा तो कोई है नहीं।अम्मा जी और बाबूजी भी तीर्थयात्रा पर गए हैं।
तभी दोनों का ध्यान बिस्तर पर गया।पूरे बिस्तर पर गुलाब की पंखुरियाँ बिखरी थीं।मेज पर सुगनी के पसन्द की मिठाईयां रखी थीं। एक तरफ बनारसी साड़ी और एक दो जेवर भी पड़े थे।ये सब कहां से आया ?कौन लाया?
सुगनी अपने पति से यह बात छिपा गई कि वह रात -भर उसके साथ सम्भोग -रत थी।वह बर्दास्त नहीं कर पाता।कौन था उसके साथ उसके पति के रूप में?हे भगवान क्या हो रहा है?कहीं उसके पति ने कोई नशा तो नहीं किया था?हो सकता है कि वह नशे की हालत में दूसरे कमरे में चला गया हो।पर फिर उसका कमरा अपने- आप बंद कैसे हो गया था? और ये सारी चीजें उसके कमरे में कौन लाया!कहीं कोई जिन्नाद ...कहीं उसका पुराना प्रेमी जिन्न तो नहीं बन गया और उसी ने अपनी मनोकामना इस तरह पूरी की है। उसने इंद्र की तरह उसे अहल्या बना दिया।उसका धर्म नष्ट कर दिया।
नहा -धोकर दोनों ने मंदिर के पुजारी के पास जाने का निश्चय किया ताकि इस रहस्य से पर्दा उठ सके।
पुजारी ने उनकी बातें ध्यान से सुनी और उन्हें घर भेज दिया कि वह दुपहर में उनके घर आएगा।
पुजारी ठीक बारह बजे सुगनी के घर के लिए निकला।सुगनी के दरवाजे के करीब पहुंचते ही वह ठिठक गया।उसे कुछ विचित्र- सा आभास हुआ।वह देर तक वहीं खड़ा रहा ।उसने दरवाजा खटखटाया तक नहीं।ऐसा लग रहा था कि वह किसी से बात कर रहा है।सुगनी के पति ने छत से देखा कि पुजारी दरवाजे के पास चुपचाप खड़ा है तो वह नीचे आया और पुजारी से बोला--महाराज आप बाहर ही क्यों खड़े हैं?भीतर आइए न।
पुजारी ने उससे इशारे से कहा कि किसी से बात कर रहा हूँ।और फिर अपनी आंखें बंद कर लीं।
सुगनी का पति हैरान था कि पुजारी किससे बात कर रहे हैं?आस- पास तो कोई है नहीं।वह मोबाइल का भी जमाना नहीं था।
करीब बीस मिनट बाद पुजारी ने आंखें खोलीं और सुगना के पति से बोले-तुम्हारे घर में कोई रूहानी ताकत है ।मैं उसी से बात कर रहा था।भीतर चलो सब बताता हूँ।
पुजारी ने घर के भीतर पहुंचकर सुगना के घर के एक -एक कमरे को ध्यान से देखा ,विशेषकर शयनकक्ष को।उन मिठाइयों,कपड़े और गहनों को भी ध्यान से देखा और मुस्कुराए।उन्होंने सुगना से अकेले में बात करने को कहा।सुगना का पति घर के बरामदे में चला गया।
पुजारी सुगना से बातचीत करने लगे।
--देखो बहू सब कुछ सच बताना।वैसे भी मुझसे कोई बात छिपी नहीं है।
'जी पुजारी जी...' सुगना ने सिर झुकाकर कहा।
--क्या तुम्हारा कोई प्रेमी था?कोई ऐसा जो तुमसे बेइंतहा प्यार करता था और वह प्यार ही उसकी असामयिक मौत का कारण बन गया था।
पुजारी की बात सुनकर सुगना फ़फ़ककर रो पड़ी -- 'हाँ,यह सच है पर वह उसका एकतरफा प्यार था।मैंने उसे कभी प्यार नहीं किया था।'
पुजारी ने सुगना की बातें सुनकर कहा --तभी तो वह प्रेम का प्यासा है।उसकी अतृप्त इच्छाएं पूरी होने के लिए बेताब हैं।अब वह ताकतवर है ।कुछ भी कर सकता है।उसके पास कोई शरीर नहीं इसलिए वह किसी दूसरे के रूप में आएगा और अपनी इच्छाओं की तृप्ति करेगा।
सुगना डरकर बोली--हाँ,वह रात मेरे पति के रूप में मेरे साथ था।
'अब वह तुम्हें नहीं छोड़ेगा।जब तक उसकी उम्र पूरी नहीं हो जाती और तुम बूढ़ी नहीं हो जाती।अब वह तुम्हें अपने पति से सहवास नहीं करने देगा।'
--पर महाराज यह तो गलत है।यह मेंरे पति के साथ अन्याय होगा।कुछ उपाय करिए।
सुगनी गिड़गिड़ाई।
'नहीं बहू,मैं कुछ नहीं कर सकता।मैं उसके आगे बहुत कमजोर हूँ।वैसे मैं तुम्हें एक सलाह देता हूँ।ये सारी बातें किसी और से मत बताना अपने पति से भी नहीं।जो हो रहा है होने दो।वैसे तुम्हारी जो भी दुनियावी इच्छाएं हैं,वह सब पूरी कर देगा।वह तुम्हें सताएगा नहीं और छोड़ेगा भी नहीं।'
पुजारी ने स्पष्ट कहा दिया और बाहर से सुगना के पति को बुला लिया।उसने उससे कहा कि देखो,तुम्हारे घर में कोई खराब साया नहीं है कोई अच्छी आत्मा है पर उससे तुम्हारा बुरा नहीं होगा।बुरा तब होगा जब कभी तुम सुगना को कष्ट दोगे।
पुजारी चले गए।सुगना ने चुप्पी साध ली पर एक दिन एक हादसा हो गया।