Mrityu Murti book and story is written by Rahul Haldhar in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Mrityu Murti is also popular in डरावनी कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मृत्यु मूर्ति - उपन्यास
Rahul Haldhar
द्वारा
हिंदी डरावनी कहानी
यह कहानी पूरी तरह काल्पनिक है । कहानी किसी भी धर्म के देव - देवी का असम्मान नहीं करती। यह केवल एक भयानक प्लाट को दर्शाने के लिए प्रयोग किया गया है।
इस कहानी में वर्णित देवी व तिब्बती बौद्ध धर्म के बारे में कुछ जानकारी ,
तिब्बत , इस नाम को सुनकर पहले क्या दिमाग़ में आता है ? भारत के उत्तर में ऊंचे - ऊंचे पर्वत मालाओं की गोद में अति सुंदर एक स्वप्न का देश जिसे The forbidden land भी कहते हैं । इस देश ने अपने सीने में बहुत सारे रहस्य को छुपाकर रखा है । इस रहस्यमय देश में धर्म भी बहुत ही रहस्यमय है । सचमुच तिब्बती बौद्धधर्म या वज्रयान बौद्धधर्म के जैसा पहेली रुपी धर्म विश्व में बहुत कम ही हैं । बौद्ध धर्म के साथ तंत्र के देव - देवियों का एक आश्चर्य गठबंधन है । वज्रयान से संबंधित देव - देवी की चित्र या पट आपको आश्चर्य कर देंगे ।
यह कहानी पूरी तरह काल्पनिक है । कहानी किसी भी धर्म के देव - देवी का असम्मान नहीं करती। यह केवल एक भयानक प्लाट को दर्शाने के लिए प्रयोग किया गया है। इस कहानी में वर्णित देवी व तिब्बती ...और पढ़ेधर्म के बारे में कुछ जानकारी , तिब्बत , इस नाम को सुनकर पहले क्या दिमाग़ में आता है ? भारत के उत्तर में ऊंचे - ऊंचे पर्वत मालाओं की गोद में अति सुंदर एक स्वप्न का देश जिसे The forbidden land भी कहते हैं । इस देश ने अपने सीने में बहुत सारे रहस्य को छुपाकर रखा है । इस
नालंदा महाविहार 812 ई. पू. ठंड भरी रात, सरोवर के पूर्व तरफ के छात्रावास में चारों तरफ सन्नाटा है । सभी सो रहे हैं केवल इतनी रात को नींद छोड़कर बिस्तर पर कोई एक जाग रहा है । इस ...और पढ़ेका सबसे मेधावी भिक्षुक यशभद्र । अंधेरे में ही वह बिस्तर को छोड़कर नीचे उतर आया तथा अंदाजे से समझ गया कि पास ही सोए दो सहपाठी श्रीगुप्त व सिद्धार्थ गहरी नींद में हैं । बहुत दिनों के अभ्यास के कारण अंधेरे में ही एक कोने से यशभद्र ने एक छोटे सन्दूक को खींचकर निकाला तथा धीरे से उसे खोला
मठाधीश छात्रावास के तरफ जितना आगे बढ़ रहे हैं उतना ही उनके मन में हलचल और बढ़ रहा है । इस कोहरे में भी वह स्पष्ट देख सकते हैं कि छात्रावास के बाहर आंगन में भिक्षुओं ने भीड़ लगा ...और पढ़ेहै । उनके वहां पहुंचते ही भिक्षुओं का भीड़ दो भागों में बांट कर उन्हें अंदर जाने कक्ष में जाने का रास्ता देने लगे तथा वहां उपस्थित सभी ने उन्हें झुककर अभिवादन किया । केवल एक ने ऐसा नहीं किया , कक्ष के कोने में वह पहले से ही सिर झुकाकर खड़ा है । अब आचार्य सूर्यवज्र आगे आए और
वर्तमान समय , मैक्लोडगंज , हिमांचल प्रदेश किसी चित्र की तरह सुंदर है यह छोटा शहर मैक्लोडगंज , जो धर्मशाला से कुछ ही ऊपर है । कॉलेज की तरफ से पर्यटन भ्रमण में धर्मशाला आया हूं। वहां से ही ...और पढ़ेदिन के लिए यहां पर घूमने चला आया । यहां रास्ते पर निकल कर चारों तरफ देखने से ऐसा लगता है कि यह शहर भारत के अंदर नहीं है। तिब्बत के धर्म गुरु स्वयं दलाई लामा का यह वास स्थान है । रास्ते के दोनों तरफ कई सारे तिब्बती रेस्टोरेंट , कई सारे तिब्बती प्रार्थना गृह व सभी जगह तिब्बती लोगों
812 ईस्वी , पूर्व तरफ से आसमान सफेद हो रहा है। यशभद्र नालंदा बस्ती से बहुत ही दूर चला आया है। नालंदा महाविहार के आस-पास के गावों में रुकने का उसने पागलपन नहीं किया। ओदंतपुरी व विक्रमशिला महाविहार में ...और पढ़ेजाकर कोई लाभ नहीं है। वहां पर भी उसे प्रवेश नहीं मिलेगा क्योंकि इन दो महाविहार के साथ नालंदा महाविहार का एक घनिष्ठ संबंध है इसीलिए अब यशभद्र की यात्रा उद्देश्यहीन है। कहीं रुकने की एक जगह खोजना ही अब उसके लिए जरूरी कार्य है। अपमान व क्रोध से उसका सिर गरम हो गया है। बाल्यावस्था से ही नालंदा महाविहार