Gum hu tumhare ishq me book and story is written by ARUANDHATEE GARG मीठी in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Gum hu tumhare ishq me is also popular in प्रेम कथाएँ in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
गुम हूं तुम्हारे इश्क़ में - उपन्यास
ARUANDHATEE GARG मीठी
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
एक लड़की आलथी - पालथी मारकर , टी - शर्ट और हैरम पहने , अपनी स्टडी डेस्क की चेयर पर बैठी , बेचैनी से अपने लैपटॉप की स्क्रीन को ताक रही थी । दूध से सफेद गोरे गाल , काली और बड़ी - बड़ी आखें , जो कि बड़ी - बड़ी पलकों से सुसज्जित थीं , बालों का एक क्लिप के सहारे जुड़ा बना हुआ , जिससे छूटकर बालों की लटें , कमरे में चल रहे पंखे की हवा से , बार - बार उसके कान के पीछे से निकलकर , गोरे गालों में आने के बाद उसे परेशान कर रहीं थी, जो कि लंबाई में काफी बड़ी थीं , जिससे अंदाजा लगाया जा सकता था , कि उस लड़की के बाल कितने बड़े होंगे । आखों के ऊपर , सलीके से सेट की हुईं आईब्रो । पतली सी नाक । होठ सुर्ख गुलाबी , और पतली सी गर्दन , जैसे कोई सुराही हो । कानो में पहने छोटी - छोटी सोने की बालियां , जो शायद उसने कई सालों से नहीं बदली थी ।
एक लड़की आलथी - पालथी मारकर , टी - शर्ट और हैरम पहने , अपनी स्टडी डेस्क की चेयर पर बैठी , बेचैनी से अपने लैपटॉप की स्क्रीन को ताक रही थी । दूध से सफेद गोरे गाल , ...और पढ़ेऔर बड़ी - बड़ी आखें , जो कि बड़ी - बड़ी पलकों से सुसज्जित थीं , बालों का एक क्लिप के सहारे जुड़ा बना हुआ , जिससे छूटकर बालों की लटें , कमरे में चल रहे पंखे की हवा से , बार - बार उसके कान के पीछे से निकलकर , गोरे गालों में आने के बाद उसे परेशान कर
सरिता जी ( मुंह बनाकर ) - तुम कभऊं नई सुधर सकती । तुमाओ जो पैसन खा ले के कंजूसी पनो कभऊ न जेहे...। ( अनुमेहा कुछ कहने को हुई , तो सुधा ने उसका हाथ दबा कर उसे ...और पढ़ेसे न का इशारा किया , तो अनुमेह चुप हो गई ) हम जा रहे , तुम भी तैयार होके जल्दी चली जइओ और समय से आ जइयो । इतना कहकर सरिता जी मुस्कुरा कर चली गई और अनुमेहा उनके जाते ही तुरंत सुधा से मुखातिब होते हुए बोली । अनुमेहा - क्यों रोका तुमने हमें...???? उन्हें इन चीजों को
श्रेयांश और प्रणय मोहन विलास पहुंचे । उन्होंने ऑटो वाले को पैसे दिए और मोहन विलास के सामने खड़े हो गए । प्रणय ने अपने फोन में चेक किया , उसी होटल का एड्रेस था जो उसने बुक किया ...और पढ़े। दोनों ने बाहर से मोहन विलास देखा , नेट में डाली गई पिक से ज्यादा सुंदर अपने सामने देखने से वह लग रहा था । प्रणय ( होटल को बड़े ध्यान से देखते हुए ) - होटल तो काफी सुंदर लग रहा है यार । हां ...., छोटा जरूर है , लेकिन काफी अट्रेक्टिव है । श्रेयांश - हां....,
मौसम बरसात का था , हल्की - हल्की बारिश शुरू हो चुकी थी , जिसकी वजह से फर्श काफी गीला था । अनुमेहा और सुधा अपनी बातों में मग्न चली जा रही थी और तभी तुलसी चौरे के पास ...और पढ़ेअनुमेहा एक व्यक्ति से इतनी जोर से टकराई , कि उसने दर्द से अपना कंधा पकड़ लिया और उस बेचारे व्यक्ति की तो हालत और भी खराब , बेचारा अनूमेहा से टकराया और फिर खुद संभल नहीं पाया और......, और वह फर्श में पड़े पानी की वजह से वही पर फिसलकर गिर गया । और बेचारे ने अपना सिर पकड़