Gum hu tumhare ishq me - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

गुम हूं तुम्हारे इश्क़ में - ( भाग - 1 )






एक लड़की आलथी - पालथी मारकर , टी - शर्ट और हैरम पहने , अपनी स्टडी डेस्क की चेयर पर बैठी , बेचैनी से अपने लैपटॉप की स्क्रीन को ताक रही थी । दूध से सफेद गोरे गाल , काली और बड़ी - बड़ी आखें , जो कि बड़ी - बड़ी पलकों से सुसज्जित थीं , बालों का एक क्लिप के सहारे जुड़ा बना हुआ , जिससे छूटकर बालों की लटें , कमरे में चल रहे पंखे की हवा से , बार - बार उसके कान के पीछे से निकलकर , गोरे गालों में आने के बाद उसे परेशान कर रहीं थी, जो कि लंबाई में काफी बड़ी थीं , जिससे अंदाजा लगाया जा सकता था , कि उस लड़की के बाल कितने बड़े होंगे । आखों के ऊपर , सलीके से सेट की हुईं आईब्रो । पतली सी नाक । होठ सुर्ख गुलाबी , और पतली सी गर्दन , जैसे कोई सुराही हो । कानो में पहने छोटी - छोटी सोने की बालियां , जो शायद उसने कई सालों से नहीं बदली थी । और गले में पहनी सोने की चैन के साथ , छोटी सी किशोर जी के प्रिंट की ताबीज । इन सभी को देखकर, उस लड़की की सुंदरता तो देखते ही बन रही थी । वह अपने घर के रूम में बैठी , बेसब्री से दोपहर के बारह बजने का इंतजार कर रही थी। जिसमें अभी पांच मिनट और बाकी थे । आधे - पौन घंटे से , वो लड़की ऐसे ही लैपटॉप के सामने चिपककर बैठी थी, जैसे किसी चीज़ का वेट कर रही हो । उसके लिए एक - एक मिनिट , एक - एक दिन के बराबर गुजर रहा था । इतनी बेसब्र थी वह , अपनी उस चीज को जानने के लिए , जिसका वह वेट कर रही थी, कि कई बार वह लैपटॉप को ऑन - ऑफ करके देख चुकी थी । उसे शक था , कि उसके लैपटॉप ने कहीं काम करना तो बंद नहीं कर दिया । उसकी मां , कई बार उसके कमरे में आकर, जा चुकी थी और साथ ही उसे नसीहत भी दे चुकी थीं , कि वह परेशान न हो , सब ठीक ही होगा । लेकिन मजाल है , जो इस बेसब्र लड़की के ऊपर उनकी बातों का कोई असर हुआ हो । वह बैठी तो शांत थी , लेकिन मन में उसके उथल - पुथल मची हुई थी , कि क्या होगा और क्या नहीं....। उसे डर था , कि उसने जो सोचा है वह होगा , या नहीं...??? लेकिन उसे इतना खुद पर विश्वास था , कि भले ही उसे उसकी उम्मीद से ज्यादा न मिले , पर उसे उम्मीद से कम भी नहीं मिलेगा । लेकिन उसे टेंशन यही थी , कि अगर कहीं उसका विश्वास गलत निकला तो ....., तो वह क्या करेगी...???? कैसे सामना करेगी सभी का...????

बार - बार उसकी नजरें दीवाल घड़ी पर जाती , फिर दोबारा लैपटॉप की स्क्रीन पर टिक जाती । आखिर वो पांच मिनट भी बीत ही गए और लड़की का इंतजार खत्म हुआ । बारह बजते ही , लड़की की बेसब्र नजरें लैपटॉप की स्क्रीन पर टिक गईं , और आखिर उसे वो मिल ही गया , जिसका उसे इंतजार था । अपना नाम सबसे ऊपर देखकर , लड़की की आखों में चमक आ गई और वो बेहद खुश हुई । लेकिन वह न तो उछली और न ही उसने किसी भी तरह का शोर किया । क्योंकि इस लड़की का स्वभाव शांत तरह का था । वह ज्यादा खुश भी होती थी , तो बाकियों की तरह उछल - कूद करने की जगह , अपनी खुशी किसी ऐसे कामों में लगाती थी , जिससे लोगों का भला हो । उसने खुश होकर अपने दोनो हांथ प्रार्थना की मुद्रा में जोड़े , और कमरे में लगी किशोर जी की तस्वीर से कहने लगी ।

लड़की - धन्यवाद ...., किशोर जी । आपने तो हमें उम्मीद से अधिक ही दे दिया । हमें तो विश्वास भी नहीं हो रहा , कि हम ऐसा भी कुछ कर सकते हैं । ये सब आपकी कृपा है , जो आपने हमारा इतना साथ दिया । अपनी कृपा हमपर , हमारे परिवार पर और हमारी दोस्त पर ऐसे ही बनाए रखियेगा । ( तभी उसे अपनी दोस्त का खयाल आया , जिसका जिक्र उसने अभी - अभी किया था , उसने तुरंत तस्वीर की तरफ देखकर कहा ) हम तो सुधा ( दोस्त ) का रिजल्ट देखना भूल ही गए .....। माफ कीजिएगा किशोर जी , अभी आपसे बात नहीं कर पाएंगे । लेकिन जल्दी ही अपनी दोस्त के साथ आपके दरबार में उपस्थित हो जायेंगे । तब तक के लिए , अपनी थोड़ी सी कृपा हमारी दोस्त पर भी कर दीजियेगा । ऐसा नहीं है, कि उसके अंदर काबिलियत नहीं है । वो भी हमारी तरह बहुत होशियार है , लेकिन बस , थोड़ी सी झल्ली है । जिसकी वजह से कभी - कभी कुछ ऐसा कर जाती है , जिसे हमें सुधारना पड़ता है । पता नहीं , अगर हम उससे कभी दूर चले गए , तो ये लड़की अकेले कैसे रहेगी और अपने फैलाए हुए रायते को, कैसे समेटेगी ।

इतना कह कर उसने किशोर जी की तस्वीर को प्रणाम किया और एक बार फिर लैपटॉप की स्क्रीन के सामने बैठ गई । उसने अपनी लैपटॉप की स्क्रीन पर कुछ टाइप किया और वहां रिजल्ट देखकर बेहद खुश हुई । उसकी दोस्त का रिजल्ट भी बहुत अच्छा आया था। तभी उस लड़की की मां आई और उसे चमकती आंखों के साथ मुस्कुराते हुए देखा , तो वो भी मुस्कुरा दी और उससे बोलीं ।

मां - अनु बेटा....., एसो का हो गओ , कि तुम इतनो मुस्कुरा रहीं और तुमाई आंखन से जे खुशी की चमक जाई नई रही...!!!???

अनु ( मुस्कुराकर बोली ) - मां....., हमें जिसका इंतजार था , वो मिल ही गया । हमने पूरी रीवा यूनिवर्सिटी में टॉप किया है । फर्स्ट रेंक विथ फर्स्ट पोजिशन आई है हमारी , पूरी यूनिवर्सिटी में , मैथ्स के कोर्स में । तीनो ईयर के नंबर मिलाकर भी , हमारी ही हाईएस्ट परसेंटेज बनी है ।

मां ( मुस्कुराकर ) - अरे ....., जो तो कमाल हो गओ । हमें भी दिखाओ , कहां से पता लगाओ तुमने अपनो परीक्षा परिणाम...????

अनु ( अपनी लैपटॉप की स्क्रीन उनके सामने कर बोली ) - ये देखिए मां...., अनुमेहा आर्या, डॉटर ऑफ़ मिस्टर जितेंद्र आर्या ( अनु , मतलब कि अनुमेह के पिता ) एंड मिसेज सरिता आर्या ( अनुमेहा की मां ) , रेंक इन होल यूनिवर्सिटी इस फर्स्ट , एंड परसेंटेज इज़ नाइंटी सिक्स ( 96% ) । मां , इतने परसेंट पहली बार बने हैं इस यूनिवर्सिटी में वो भी बीएससी मैथ्स में , और हमारे पार्सेंटेजेस ने , पुराना रिकॉर्ड तोड़कर नया रिकॉर्ड बनाया है ।

सरिता जी ( खुशी से अनुमेहा को गले लगाकर बोलीं ) - जे तो तुमने कमाल कर दओ बिटिया...., मतलब इतने ज्यादा प्रतिशत तो कोनों ने नई बनाए ई घर में , और वो भी पूरे विश्वविद्यालय में । ( अनुमेहा के सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए ) खूब खुश रहो बिटिया तुम और एसई हम ओरन को नाम रोशन करत रहो । ( अनुमेहा से अलग होकर ) अच्छा , तुमाई जोन वो फरेंड है...।

अनुमेहा ( हल्की हंसी के साथ उन्हें टोकते हुए बोली ) - मां....., उसे फरेंड नहीं फ्रेंड कहा जाता है ।

सरिता जी - हओ......, ओई......, ओई समझ लो तुम । सो का है ऊको नाम..???? ( सोचते हुए ) याद नई आ रही ऊको नाम हमें ....., जा याददाश्त न...., तना सी कमजोर हो गई हमाई.......।

अनुमेहा - अरे मां......, ज्यादा जोर न दीजिए अपने दिमाग पर , क्योंकि आप उसका नाम हमेशा ही भूल जाती हैं ।

सरिता जी ( बेपरवाही से ) - सो याद करके करने का है हमें...!!! कौन से तुम्हाए सासरे अ भेजने ऊंखा , तुम्हाये साथ । तुम ऊको नाम बताओ हमें...., बस!!!!!

अनुमेहा ( मुस्कुराकर ) - सुधा....., सुधा वैष्णव ।

सरिता जी - और ऊके गोत्र ( सरनेम ) से का करने हमें , कौन सो हमाए घर अ ब्याहने ऊंखा । तुम हमें जो बताओ , ऊको परीक्षा परिणाम देखो तुमने , ऊके कितने प्रतिशत बने..??? तुम्हाये संगे तो पढ़त रही न बा.....!!!!

अनुमेहा - हां मां , वो हमारे साथ ही रीवा यूनिवर्सिटी में पढ़ी है , और हम दोनो बचपन से साथ में पढ़ते आ रहे हैं । हम दोनों ही रीवा में भी साथ ही रहे हैं । और रही बात उसके रिजल्ट की , तो उसने यूनिवर्सिटी में तो नहीं , लेकिन हां...., पूरी क्लास में एक तरह से टॉप किया है । पूरी क्लास में उसकी सेकंड पोजीशन है , और नाइंटी थ्री ( 93% ) पर्सेंट बने है उसके । क्लास में फर्स्ट पोजिशन विथ रेंक इस लिए नहीं ला पाई वो , क्योंकि हमने फर्स्ट पोजिशन ला ली । बाकी उसकी भी अच्छी पर्सेंट बनी है ।

सरिता जी ( सोचते हुए ) - सो काए इतनी होशियार है बा बिटिया..???

अनुमेहा ( सरिता जी को कंधों से पकड़कर , अपने बिस्तर की तरफ ले जाते हुए बोली ) - हां मां....., वह भी बहुत होशियार है । बस थोड़ी सी पागलपंती करती है , जिससे वह कुछ ज्यादा ही शैतान दिखती है सभी को । और लापरवाह भी है थोड़ी सी । एग्जाम जब सिर पर आ जाते हैं, तब पढ़ाई करना शुरू करती है । इसी लिए वो हमसे हमेशा कुछ नंबर पीछे रह जाती है । ( सरिता जी को बिस्तर के किनारे में बैठाकर ) अरे आप तो जानती हैं उसे , और मुझसे ज्यादा प्यार भी आप उसी से करती हैं , बस जताती नहीं है , कि कहीं उसे पता न चल जाए ।

सरिता जी - अरे ऊके जैसी शैतान और चंचल किस्म की मोड़ी ( लड़की ) खां ...., हम काए चाहबी । अरे ..., बा जब से घर आऊथ ( आती है ) है...., नाक में दम कर देत है हमाई तो । हमें तो तुमई ज्यादा पसंद हो , शांत और स्थिर स्वभाव की , लेकिन बा मोड़ी....., बा तो तुमसे पूरी उलट है । इसे हम......।

सरिता जी आगे कुछ कहतीं , कि तभी सुधा दनदनाते हुए अनुमेहा के कमरे में आई और उसे उछलकर, कस कर गले लगाते हुए बोली ।

सुधा - कांग्रेचुलेशंस डियर....., टॉप किया है तुमने , वो भी पूरी यूनिवर्सिटी में । हमने जब से तुम्हारा रिजल्ट देखा हैं, हमारे तो पैर जमीन पर ही नहीं टिक रहे , मतलब हमारी...., हमारी बेस्ट फ्रेंड ने पूरी यूनिवर्सिटी में टॉप किया है । वो भी रीवा जैसी यूनिवर्सिटी , जिसमें हर कोई पढ़ भी नहीं पाता , वहां तुमने टॉप कर दिखाया यार , और वो भी 96% परसेंट के साथ , और तो और रिकॉर्ड तोड दिया तुमने तो पुराना । मतलब गजब ही कर दिया यार तुमने तो । हम तो सपने देख रहे हैं , कि पूरी यूनिवर्सिटी में लोग तुम्हारा और हमारा ऑटोग्राफ ले रहे हैं , और हम दोनों आखों पर ब्लैक गोगल लगाए सभी से हाथ हिलाकर हाय बोल रहे हैं और कुछ लोगों को अपना कीमती ऑटोग्राफ भी दे रहे हैं ।

अनुमेहा ( उसे खुद से दूर करते हुए ) - अरे झल्ली लड़की , गला तो छोड़ो हमारा । मर जायेंगे , दम घुट रहा है हमारा । इतनी जोर से गले लगाया हुआ है तुमने हमें....।

सुधा ने उसकी बात सुनकर तुरंत उसे छोड़ दिया और मुंह बनाकर उससे कहा ।

सुधा - मतलब कतई दुष्ट किस्म की दोस्त हो तुम । तुम्हारी नजरों में हमारी कोई इज्जत वगेरह है कि नहीं ...??? मतलब हम तुम्हें इतने प्यार से गले लगाए हुए थे और तुमने तो हमारे प्यार को एवई समझ लिया , ऊपर से हत्या का आरोप लगा रही हो तुम....???? वो भी हमपर , अपनी बेस्ट से भी बेस्ट फ्रेंड पर....!!!!

अनुमेहा ने उसे देखकर अपना सिर पीट लिया और खुद से बड़बड़ाते हुए कहा ।

अनुमेहा - हो गई मैडम की नौटंकी शुरू , वो भी उच्च स्तर के ड्रामे वाली ।

सरिता जी ( बिस्तर से उठकर , तुरंत सुधा से बोलीं ) - अब तुम हमाई फूल सी बिटिया खां , इत्ती जोर से गले लगाहों , सो बा तो एसई केहे न...., इमें गलत का कह दओ हमाई बिटिया ने , और तुमे इत्तो काए बुरो लग रहो....??? बताओ जरा....!!!!

सुधा ( अपनी नजरें सरिता जी की तरफ घुमाकर , आंखें मटकाकर और अपनी हाथ की एक उंगली को गोल - गोल घुमाकर बोली ) - अच्छा...., तो जे बात है । आप यहां बैठी , हमारी बेस्ट फ्रेंड के कान भर रही थीं हमारे खिलाफ । क्यों करती हैं आप ऐसा....., आपको हमारी दोस्ती बर्दास्त नहीं होती क्या आंटी जी..??? जो हर बार आप हमारी दोस्त के, हमारे खिलाफ कान भरती रहती हैं । अपने मां होने का खूब फायदा उठाती हैं आप , अलग करना चाहती हैं आप हमें, हमारी दोस्त से ।

सरिता जी - अरे जे का बात भई भला...??? हम काए तुमे और तुमाई बेस्ट फरेंड खां अलग करबी..?? काए हमाये पास ईके अलावा और कोनऊं काम नईया का..??? अरे पूरो पन्ना जानत है , जब से ब्याह के ईते सासारे आएं हैं , तब से हमने कोऊ खां , कोनऊं‌ से अलग नई करो । विश्वास न होए हमाई बातन में , सो जाके हमाई सास से पूंछ लो । बे उते , अपने कमरा में हूँहें....।

सुधा - अरे हम क्यों पूंछे भला उनसे , जब हमें अच्छे से पता हैं, कि आप हमारी दोस्ती से जलती हैं । क्योंकि हमारी दोस्त आपसे ज्यादा प्यार हमसे करती है , इस लिए आप......।

अनुमेहा ( दोनों के सामने हाथ जोड़कर बोली ) - बस कीजिए आप दोनों....। आज तीसवां दिन हैं , आप दोनों की ये चिक - चिक सुनने का । जब से हम रीवा से आए हैं , हर दिन बस आप दोनों की ये प्यार भरी नोक - झोंक ही सुनते आ रहे हैं । आप दोनों ही एक जैसी हैं , और दोनों का तब तक पेट नहीं भरता , जब तक आप दोनों दिनभर में एक दूसरे से लड़ न लो और वो भी हमें लेकर । सुधा...., तुम न अपने घर से , जो हमारे घर के पीछे ही है , वहां से यहां सिफ्ट हो जाओ यहां पर । फिर दिनभर आप दोनों लड़ते रहना , और अपनी लड़ाई सुलझाते रहना । और हम दोनों से बराबर प्यार करते हैं , हां मां का दर्जा हमेशा बड़ा होता है सभी से , लेकिन जब मां हमारे पास नहीं रहतीं , तो तुम ही हमारी मां बन जाती हो कई बार । और मां के अपसेंस में , तुम इनकी कमी कभी खलने नहीं देती हो । इस लिए हम आप दोनों से बराबर प्यार करते हैं ।

अनुमेहा की बात सुनकर दोनों ही खुश हो गईं । लेकिन उन दोनों की ये आपस की नोंक - झोंक बंद नहीं हुई थी , बल्कि कुछ देर के लिए थम जरूर गई थी ।

सरिता जी ( मुंह बनाकर ) - अच्छा हम नई कर रहे ई मोड़ी से बहस ....। ( खुश होकर मुस्कराते हुए ) हम जा रहे पूरे मोहल्ला में मिठाई बांटबे, और उने बताबी कि हमाई बिटिया ने पूरे विश्वविद्यालय में टॉप करो है । खूब बोलत रही बे ओरे , कि बिटिया खां बाहर न भेजो , पढ़बे के लाने , वरना बिगड़ जेहे । अब उन ओरन खां बताबी , कि हमाई बिटिया बिगड़ी नइया , बल्कि टॉप करो है हमाई बिटिया ने । और तुम भी , जे अपनी दोस्त के संगे किशोर जू ( जी ) के मंदिर हो आओ , और बड़ो वालो थार चढ़ा दईयो उनखां , पांच सौ एक वालो ।

अनुमेहा - हां मां , जा तो रहे हैं हम सुधा के साथ मंदिर । लेकिन इतना महंगा थार चढ़ाने की क्या जरूरत है मां । एक सौ एक वाला थार भी तो चढ़ाया जा सकता है न , आखिर श्रृद्धा तो उतनी ही रहेगी हमारी भगवान के प्रति , चाहे एक सौ एक का थार चढ़ाए या फिर पांच सौ एक का थार चढ़ाएं हम ।

सरिता जी ने उसकी बात सुनी , तो अपना सिर पीट लिया और कहा ।

क्रमशः


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