Aag aur Geet book and story is written by Ibne Safi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Aag aur Geet is also popular in जासूसी कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
आग और गीत - उपन्यास
Ibne Safi
द्वारा
हिंदी जासूसी कहानी
लेखक : इब्ने सफ़ी अनुवादक : प्रेम प्रकाश 1 तर्रवान की पहाड़ियां कई देशों की सीमाओं का निर्धारण करती थी । यह मख्लाकार पहाड़ियां अपने अंचल में एक ऐसी सुंदर घाटी रखती थीं कि उसका नाम ही कुसुमित घाटी रख दिया गया था । इस सुंदर और विकसित घाटी में किसी परदेशी का दाखिल होना असंभव ही था क्योंकि हवाई जहाज से इस इलाके में किसी को उतारना संभव नहीं था और घाटी तक पहुंचने के जो मार्ग थे वह स्थानीय लोगों के अतिरिक्त दूसरे किसी को मालूम नहीं थे – और वह मार्ग थे दर्रे – ऐसे संकुचित दर्रे
लेखक : इब्ने सफ़ी अनुवादक : प्रेम प्रकाश 1 तर्रवान की पहाड़ियां कई देशों की सीमाओं का निर्धारण करती थी । यह मख्लाकार पहाड़ियां अपने अंचल में एक ऐसी सुंदर घाटी रखती थीं कि उसका नाम ही कुसुमित घाटी ...और पढ़ेदिया गया था । इस सुंदर और विकसित घाटी में किसी परदेशी का दाखिल होना असंभव ही था क्योंकि हवाई जहाज से इस इलाके में किसी को उतारना संभव नहीं था और घाटी तक पहुंचने के जो मार्ग थे वह स्थानीय लोगों के अतिरिक्त दूसरे किसी को मालूम नहीं थे – और वह मार्ग थे दर्रे – ऐसे संकुचित दर्रे
(2) लगभग पंद्रह मिनिट बाद नायक उस मैदान में आ गया जिसको ऊपर से देखा था और फिर जब उसने सर उठा कर ऊपर की ओर देखा तो कांप उठा । उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि ...और पढ़ेइतनी ऊंचाई से यहां पहुंचा है । “तुम्हारा घर कहां है ?” – नायक ने निशाता से पूछा । “यह सब मेरा ही घर तो है ।” “रात में सोती कहां हो ?” “किसी भी पेड़ के नीचे ।” “ठंड नहीं मालूम होती ?” “यह नाला देख रहे हो जो एक ओर की पहाड़ियों से निकल कर दूसरी ओर की
(3) नायक के कुछ कहने के बजाय उसी चट्टान पर नजर डाली जिस पर आग का स्नान किया था । वह चट्टान पहले ही के समान स्वच्छ नजर आ रही थी । उस पर राख नजर नहीं आ ...और पढ़ेथी – फिर उसने साइकी पर नजर डाली और और उसे ऐसा लगा जैसे नीले प्याले में लाल शराब छलक रही हो । उसकी आंखों में लाल डोरे तैर रहे थे और कुछ इस प्रकार की मादकता भर आई थी कि उससे आँखे मिलाने के बाद मदहोश हो जाना निश्चित था । उसके लाल बाल हवा में लहरा रहे थे ।
(4) राजेश ने मुस्कुरा कर टेली फोन को आंख मरी फिर से खुजाते हुये माउथ पीस में कहा । “यार मलखान ! उस औरत के बाल बड़े सुंदर थे ।” “मैंने तुमसे सच कह रहा हूँ कि मैंने उसकी ...और पढ़ेही देखी थी ।” – मलखान की आवाज आई “उससे मेरी पहले से मुलाक़ात नहीं था । ” “उसका नाम क्या था ? ” – राजेश ने पूछा । “उसका नाम मार्या था – केब्रे डान्सर थी ।” – आवाज आई “अब मेरी इज्ज़त तुम्हारे हाथ में है ।” “अरे ! शहर के राजा साहब इस प्रकार की बात कर
(5) टू सीटर पर बैठ कर इंजिन स्टार्ट किया और होटल कासीनो की ओर चल दिया । रात हो चली थी और होटल कासीनो में भरपूर चहलपहल थी । राजेश ने क्लाकरूम में पहुंचकर अटैची खोली । उसमें से ...और पढ़ेढाला सूट निकाल कर पहना आंखों पर कमानीदार चश्मा लगाया । सर पर खिचड़ी वालों की विग जमाई । चेहरे पर बहुत बेढंगे किस्म की दाढ़ी भी आ गई और फिर दोनों हाथों में छतरी लिये वह होटल के हाल में आ गया । हाल में सबसे पहले उसकी नजर अजय पर पड़ी । अजय की मौजूदगी यह बता रही