आग और गीत - 11 Ibne Safi द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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आग और गीत - 11

(11)

“तो वह तीनों भी मार डाले गये ? ” राजेश ने पूछा ।

“यह मैं नहीं जानता ।”

“तुम लोग यहां से कहा जाते ? ”

“कुसुमित घाटी ।”

“पहले भी कभी वहां गये हो ? ”

“सैकड़ों बार ।”

“क्यों ? ”

“हम लोग उसे अपना केंद्र बनाना चाहते है ।”

“मुझे भी वहां तक पहुंचा सकते हो ? ”

“जरुर, मगर तुम्हारी वापसी न होगी, तुम वहां पहुचते ही क़त्ल कर दिये जाओगे ।”

“मैं मौत से नहीं डरता ।” राजेश ने कहा “तुम अपनी कहो ।”

“मैंने कहा तो कि मैं तुमको वहां पहुंचा दूँगा मगर मार्ग में तुमको मेरी रक्षा करनी होगी क्योंकि मुझे एक अपरिचित के साथ देख कर मेरे साथी मुझे गोली मार देंगे ।”

“मैं तुम्हारी रक्षा का भर ले रहा हूँ, चिंता मत करो ।” राजेश ने कहा फिर पूछा “क्या बेन्टो और गुरेजानी में खटपट हो गई थी ? ”

“मैं नहीं जानता वैसे यह बात मुझे मालूम है कि बेन्टो और मादाम की धारणा यह ही थी कि राजेश नाम का आदमी जो पुलिस का एजेन्ट है गुरेजानी को संदेह की द्रष्टि से देख रहा है ।उन लोगों ने यह कोशिश की थी कि मार्था के क़त्ल में कैप्टन मलखान को फंसा दें मगर मार्था के साथियों ने उनकी चाल को असफल बना दिया और सारा रहस्य खोल दिया ।”

“मैं ठीक तौर से समझ नहीं सका ” राजेश ने कहा ।

“जिस समय यहां शो रहा था उसी समय मार्था के साथी मार्था के क़त्ल की समस्या हाल करने में लगे हुये थे और उन्होंने प्रमाण सहित सच्ची बात यहां के डायरेक्टर जनरल के पास पहुंचा दी थी । हम लोगों का प्रोग्राम कुछ दिन यहां और रहने का था मगर उसी कारण हमें भागना पड़ा, क्योंकि डायरेक्टर जनरल तक रिपोर्ट पहुंच जाने के बाद गुरेजानी की गिरफ़्तारी निश्चित थी, और उसकी गिरफ़्तारी हमारे लिये विपत्ति बन सकती थी ।”

“कदाचित इसीलिये गुरेजानी को ख़त्म कर दिया गया ।” राजेश ने उसकी आँखों में देखते हुये कहा । उसका विचार था कि यह सुनते ही मोंटे उछल पड़ेगा, मगर इस खबर का मोंटे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा था । वह सपाट नज़रों से राजेश की ओर देखता रहा था फिर पूछा ।

“तुमको कैसे मालूम हुआ कि गुरेजानी क़त्ल कर दिया गया ? ”

“मैंने उसकी लाश देखी थी । उसकी गर्दन में रेशम की डोर का फंदा कसा हुआ था, वह कुछ लिख रहा था, पूरी बात नहीं लिख पाया था कि उसके गले में फंदा डाल कर खींच दिया गया था । उसने जो कुछ भी लिखा था वह अब मेरे पास है ।”

“उसने क्या लिखा था ? ” मोंटे ने पूछा ।

राजेश ने जेब से तह किया हुआ कागज़ निकाला और उसे खोल कर जोर जोर से पढ़ने लगा ।

“बेन्टो ! मानव जीवन को मैं भी मूल्यवान वस्तु नहीं समझता मगर मेरी नज़रों में यह बर्बरता, पागल पण है कि निर्दोष आदमियों को भी क़त्ल कर दिया जाये, कुसुमित घाटी में ।”

“मैं नहीं समझ सकता कि यह बेन्टो के लिये चेतावनी थी या इस प्रकार वह पुलिस को बेन्टो और कुसुमित घाटी की राह पर लगाना चाहता था ।”

“जो भी होगा मालूम ही हो जायेगा ।” राजेश ने कहा फिर पूछा “तो तुम मुझे कुसुमित घाटी ले चल रहे हो न ? ”

“अवश्य, मगर मेरी रक्षा का भार तुम्हारे सर रहेगा ।”

“इसके लिये मैं फिर वचन दे रहा हूँ, तो फिर कल रात को हम यहां से रवाना हो जायेंगे ।”

“ठीक है, यात्रा के लिये रात ही का समय ठीक रहेगा ।”

फिर जब राजेश उठकर जाने लगा तो मोंटे ने कहा ।

“सुनो दोस्त ! अगर में आत्म हत्या कर लूं तो ? ”

“आत्म हत्या कायर लोग करते है और मैं जानता हूँ कि तुम कायर नहीं हो ।” राजेश ने कहा “दूसरी बात यह है कि यहां आत्म हत्या करने का कोई साधन न तुम्हारे पास है और न तुम प्राप्त कर सकते हो और तीसरी बात यह है कि अगर तुम इसलिये आत्म हत्या करना चाहो कि तुमको मुझ्र कुसुमित घाटी न ले जाना पड़े तो यह तुम्हारी भूल होगी क्योंकि तुम्हारी सहायता के बिना मैं बड़ी सरलता से कुसुमित घाटी पहुंच सकता हूँ ।”

“तुम्हारा नाम क्या है दोस्त ? ” मोंटे ने पूछा ।

“मेरा नाम वही है जिस पर तुम्हारी डयूटी लगाईं गई थी ।”

“मेरी डयूटी तो राजेश पर लगाईं गई थी ।”

“तो मैं वही राजेश हूँ ।”

“क्या ? ” मोंटे उछल पड़ा फिर बोला “नहीं तुम झूठ कह रहे हो । मुझे तो जो राजेश दिखाया गया था वह....। ”

“वह भी मैं ही था ।” राजेश ने हंस कर बात काटते हुये कहा  “जब मैं तुमको दिखाया गया था उस समय मैं मेक अप में था और इस समय मैं अपने असली रूप में हूँ ।”

“मुझे भी संदेह था कि तुम राजेश ही होग्व इसलिये कि राजेश के अतिरिक्त कोई दूसरा मुझ पर काबू नहीं पा सकता था । जब मादाम ने तुम्हारे ऊपर मेरी डयूटी लगाईं थी तो यह भी कहा था कि सावधान रहना, राजेश तुमसे भी कई गुना अधिक खतरनाक आदमी है ।”

“मादाम से तुम्हारी मुलाकात कहा हुई थी ? ” राजेश ने पूछा ।

“जहां गुरेजानी रहता था वहीँ वह भी रहती थी, सतरह पार्क स्ट्रीट ।”

राजेश ने कुछ नहीं कहा । कमरे से निकल कर दुसरे कमरे में आया और जेब से वह कागजात निकल कर देखने लगा जो उसने सड़क पर उस मोटर साइकिल वाले की जेब से निकाला था । यह एक प्रकार की रिपोर्ट थी जो शायद किसी दुसरे के लिये तैयार की गई थी । उसमें मार्था के क़त्ल पर प्रकाश डालते हुये लिखा गया था कि मार्था को क़त्ल करने वाले माफिया टाइप गिरोह के कुछ लोग है जिनकी अध्यक्ष एक औरत है, आग का नाच के बारे में विवरण लिखने के बाद यह लिखा था कि उन लोगों की तलाश में कुसुमित घाटी जाने का इरादा है  । आगे चल कर लिखा था कि राजेश को क़त्ल करना आवश्यक है वर्ना वह नायक को प्राप्त कर लेगा, आगें चल कर लिखा था कि वह युवक जिसे निशाता नाम की चरवाही अपने साथ ले गई थी वह मोबरानी के पति का डुप्लीकेट बन सकता था । हमने उसकी निगरानी की, उसे अपने साथ ले जाना चाहते है मगर ख़तरा यह है कि कही बेन्टो और उसके साथी उसे उड़ा ले जाने में सफल न हो जायें, और....। ”

बात अधूरी रह गई थी जिसका यही अर्थ हो सकता था कि अचानक होने वाली किसी घटना के कारण रिपोर्ट पूरी नहीं की जा सकी थी ।

राजेश ने वही से घर के नंबर डायल करके मलखान के बारे में पूछा तो मालूम हुआ कि वह घर गया है, घर फोन किया तो पता चला कि आफिस गया है । आफिस फोन किया तोवः मिल गया । उसने चहकते हुये स्वर में कहा ।

“मार्था के हत्यारे का पता चल गया है ।”

“अच्छा ! ” राजेश ने कहा “तब तो हत्यारे को गिरफ़्तार भी कर लिया गया होगा ।”

“नहीं, उसे गिरफ़्तार करने के लिये फ़ोर्स भी गई है । मैनेजर का बच्चा भाग कर जायेगा कहां ।”

“यह तो बड़ी खुशी की बात है ।” राजेश ने मुस्कुरा कर कहा ।

“यार मैं तो बुरी प्रकार फंस गया था ।” मलखान की आवाज आई ।

“उस आदमी का पता भी लगा जिसके द्वारा प्रमाण मिले है ? ” राजेश ने पूछा ।

“आयं ....नहीं तो ।”

“शाबाश ! ज़िम्मेदार अफसर ऐसे ही होते है । ” राजेश ने कहा फिर संबंध काट दिया ।

उसने सोचा कि मामला उलझ गया है । सवेरा होते ही मलखान उसके फ़्लैट पर भेजा जायेगा और उसके लिये बड़ी कठिनाइयों उत्पन्न हो जाएगी इसलिये सवेरा होने से पहले ही उसे शहर छोड़ देना चाहिये ।उसने जोली के नंबर डायल किये ।

“हलो ।” दूसरी और से जोली की नींद में डूबी हुई आवाज आई ।

“अपने तमाम साथियों को सूचित करो कि वह एक घंटे के अंदर तैयार होकर तुम्हारे यहां पहुच जायें, पहाड़ी इलाके की ओर यात्रा करनी है ।” राजेश ने पवन के स्वर में कहा ।

“इसी समय श्रीमान जी ? ” दूसरी ओर से जोली ने पूछा ।

“हां , ठीक एक घंटा बाद ।” राजेश ने कहा “तुम लोगों को विचित्र भेसों में रहना होगा । ठीक एक घंटा बाद तुम्हारे फ़्लैट पर स्टेशन वैगन पहुंच जायेगी ।”

“मगर पहाड़ियों में कहा जाना होगा श्रीमान जी ।”

“तरर्वान की पहाड़ियों में ।”

“क्या राजेश भी हमारे साथ होगा ? ”

“हां, उससे मुझे काम लेना है, मगर सारी जिम्मेदारियां तुम्ही लोगों के सर होगी । राजेश तुम लोगों से पहाड़ियों के निकट मिलेगा ।”

“वहां हमें आदेश कैसे मिलेंगे श्रीमान जी ।”

“तुम्हारे साथ ट्रांसमीटर रहेगा, आदेश मैं दूँगा ।”

“क्या इस यात्रा का ध्येय बताया जा सकेगा श्रीमान जी ? ”

“ध्येय है नायक तथा एक और आदमी की मुक्ति ।” राजेश ने कहा “तुम्हें याद होगा कि नायक तरर्वान की पहाड़ियों में गया था और किसी साइकी नाम की औरत के मोह जाल में फंस कर वहां से आया था । अब उसका हरण हुआ है ।मुझे पूरा विश्वास है कि नायक फिर वहीँ ले जाया गया होगा । ”

“टैक्सी वालों के प्रति रिपोर्ट आ गई है श्रीमान जी ।”

“और सब ने पार्क स्ट्रीट का हवाला दिया होगा ।”

“जी हां ।”

“खैर, भेस बदलने के सारे सामन पहाड़ियों के पास तुमको मिल जायेंगे ।” राजेश ने कहा और संबंध काट कर अपने फ़्लैट के नंबर डायल किये और मेकफ को तैयार होकर साइको मेनशन आने के लिये आदेश दिया उसके बाद सर शम्भू दयाल के नंबर डायल किये ।

दूसरी और से फौरन ही रिसीवर उठाया गया था और आवाज आई थी ।

“मैं तुम्हें फोन करने ही जा रहा था ।”

“इतनी रात को, क्या कोई खास बात है श्रीमान जी ? ”

“हां, दस मिनट पहले मुझे सूचना मिली है कि तरर्वान की पहाड़ियों की दूसरी ओर जो छोटा सा आजाद इलाका है उस इलाके में एक बाहरी शक्ति हस्तक्षेप करके अपनी पसंद का शासन बनाना चाहती है ।”

“मैं अपनी पूरी टीम के साथ उसी इलाके की ओर जा रहा हूँ श्रीमा जी ।” राजेश ने कहा “सवेरा होने से पहले ही हम रवाना हो जायेंगे, यही बताने के लिये मैंने आपको फोन किया है, इस संबंध में यह प्रार्थना है कि सीमा के रक्षकों तथा उनके इन्चार्ज को आप आदेश भिजवा दीजियेगा कि वह हमें पूरा सहयोग दें और हमारे किसी काम में हस्तक्षेप न करें ।”

“उन तक आदेश पहुंच जायेंगे । ” आवाज आई “इसकी चिंता न करो । इस अभियान में तुम्हें पूरा अधिकार सौपा जा रहा है ।”

“धन्यवाद श्रीमान जी ! ” राजेश ने कहा और संबंध काट दिया ।

फिर वह साइको मेनशन की स्टाफ के सहायता से यात्रा की तैयारियां करने लगा ।

सवेरा होने से पहले ही वह यात्रा पर रवाना हो गया । उसके साथ गाड़ी में मेकफ और मोंटे भी थे । उसने अनुमान द्वारा इसका विचार रखा था कि वह अपनी टीम वालों से कुछ फासिले ही पर रहे ।

दुसरे दिन सवेरे पूरा काफिला तरर्वान पहुंच गया ।

“हां दोस्त ।” राजेश ने मोंटे से पूछा “अब बताओ ? ”

“क्या तुम अकेले चलोगे ? ” मोंटे ने पूछा ।

“नहीं, पूरी पार्टी साथ है ! ”

“तो सुनो, इस समय तो हम आबादी में है और आबादी जहां समाप्त होती है वहां से आगे गाड़ी नहीं जा सकती, पैदल चलना पड़ेगा या टट्टूओं पर ।”

“इसका भी प्रबंध हो जायेगा । ” राजेश ने कहा ।

“तुम्हारी टीम वाले कहां है ? ” मोंटे ने पूछा ।

“उस गाड़ी में है ।” राजेश ने एक ओर हाथ उठा कर कहा । लगभग सौ गज की दूरी पर वह स्टेशन वैगन नजर आ रही थी जिस पर उसकी टीम वाले आये थे ।

“तो हम लोग उनसे अलग क्यों है ? ” मोंटे ने पूछा ।

“मूर्खता ।” राजेश ने कहा फिर मेकफ से कहा “तुम गाड़ी से सारा समान निकालो और मोंटे को लेकर पार्टी में जा मिलो । उनके कहना कि वह मेरा इन्तजार करें ।”

मेकफ अपने काम में लग गया और राजेश सीधा सरहदी चौकी पर पहुंचा । वहां अपना परिचय देकर इन्चार्ज से रजिस्टर मांगा और उसके पन्ने उलटने लगा ।

एक पन्ने पर उसे बेन्टो के नाम के साथ तीन औरतों और चार मर्दों के नाम दिखाई दिये । वह लोग कल संध्या को तरर्वान में दाखिल हुये थे ।

“मगर वह औरत कहां गई ।” वह दिल ही दिल में बडबडाया और फिर उनके नाम पढ़ने लगा ।

उन चार पुरुषों के नाम कबायलियों जैसे थे , इससे राजेश ने यही अनुमान लगाया कि चारों में एक अवश्य नायक होगा और नाम के साथ ही साथ उसकी हुलिया भी बदल दी गई होगी । उसने वहीँ से किसी के नंबर डायल किये और उत्तर मिलने पर अपने बारे में बताते हुये कहा ।