Salakhon se Jhankte Chehre book and story is written by Pranava Bharti in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Salakhon se Jhankte Chehre is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
सलाखों से झाँकते चेहरे - उपन्यास
Pranava Bharti
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
जैसे ही इशिता ने उस कमरे में प्रवेश किया उसकी साँसें ऊपर की ऊपर ही रह गईं | एक अजीब सी मनोदशा में वह जैसे साँस लेना भूल गई, लड़खड़ा गई जैसे चक्कर से आने लगे |
"व्हाट हैपेंड मैडम ?" कामले कमरे में प्रवेश कर चुके थे | पीछे -पीछे एक नवयुवक भी जिसके हाथों में गाड़ी में से निकाले गए बैग्स व दूसरा सामान था |
इशिता के मुख पर किसी ने टेप चिपका दिया था जैसे | वह बोलना चाहती थी लेकिन शब्द थे कि उसके मुख में गोल-गोल भरकर न जाने तलवे में कहाँ चिपक रहे थे |
1 ---------------- जैसे ही इशिता ने उस कमरे में प्रवेश किया उसकी साँसें ऊपर की ऊपर ही रह गईं | एक अजीब सी मनोदशा में वह जैसे साँस लेना भूल गई, लड़खड़ा गई जैसे चक्कर से आने लगे | ...और पढ़ेहैपेंड मैडम ?" कामले कमरे में प्रवेश कर चुके थे | पीछे -पीछे एक नवयुवक भी जिसके हाथों में गाड़ी में से निकाले गए बैग्स व दूसरा सामान था | इशिता के मुख पर किसी ने टेप चिपका दिया था जैसे | वह बोलना चाहती थी लेकिन शब्द थे कि उसके मुख में गोल-गोल भरकर न जाने तलवे में कहाँ
2-- रैम किचन में घुसा, शायद उसने कॉफ़ी के लिए गैस पर दूध रख दिया था, फिर बाहर निकलकर उसने कहा ; "मैडम ! बस, पाँच मिनिट ---मैं गर्मागर्म दाल-बडे भी खिलाएगा आपको ---" वह तेज़ी से कमरे से ...और पढ़ेनिकल गया | अब इशिता की दृष्टि उस कमरे के चारों ओर घूमने लगी | कमरा बहुत बड़ा नहीं था लेकिन उसमें सभी चीज़ें सुव्यवस्थित रूप में रखी थीं | चार कुर्सियों की डाइनिंग -टेबल थी, फ़ाइव सीटर सोफ़ा था | डाइनिंग-टेबल की साइड में ऊपर से नीचे तक एक अलमारी बनी हुई थी जिसका ऊपरी भाग लकड़ी से बंद
3-- कुछ देर में ही नीरव सन्नाटा छा गया | यह छोटा सा बँगला सड़क पर ही था | इशिता के कमरे की एक खिड़की सड़क पर खुलती थी लेकिन कमरे के बाहर छोटा लेकिन सुंदर सा बगीचा था ...और पढ़ेरैम की मेहनत दिखा रहा था | यह उसने यहाँ प्रवेश करते ही देख लिया था लेकिन उस समय बेहद थकान थी और वह सीधे कमरे में आना चाहती थी लेकिन कमरे में सीधे आ कहाँ पाई थी? बाहर के कमरे में ही उस दीवार ने उसे रोककर असहज कर दिया था | मि. कामले भी कमाल के आदमी हैं
4-- वैसे इशिता का वहाँ आना इतना ज़रूरी भी नहीं था, वह सीरियल की लेखिका थी | इससे पहले कई वर्षों से झाबुआ क्षेत्र पर शोध -कार्य चल रहे थे, उसके पास सूचनाओं का पूरा जख़ीरा था | उसने ...और पढ़ेसे कहा भी था कि वह घर बैठे हुए ही लिख सकती है लेकिन कामले का मानना था कि सीरियल का लेखक होने के नाते उसे एक बार प्रदेश की सारी बातों, उनके सारे रहन-सहन, रीति-रिवाज़, भाषा, कार्य-कलाप को जान लेना चाहिए जिससे सीरियल के लेखन में जान आ सके | अनुभव से लेखन सतही न रहकर समृद्ध होता है,
5 - " तुम्हारा नाम रैम किसने रखा ? क्या मतलब है इसका ? " रैम थोड़ा हिचकिचाया फिर बोला ; "मैडम ! आपको यहाँ की गरीबी के बारे में तो पता होगा, हम लोको बी भोत गरीब थे ...और पढ़ेअमारी मम्मी बताते हैं के उनके परिवार के सारे बच्चा लोको अपने को छुपाने का वास्ते अपने मुख पर चूला का राख मलके भीक माँगने को जाता | दादा जी के पास हमेरे परिवार को खिलाने का वास्ते कुछ बी नहीं था | उन दिनों में ---आपने देखा --रास्ते में जो बड़ा सा चर्च है ने --तब्बी वो बनरा था