सलाखों से झाँकते चेहरे - 5 Pranava Bharti द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Salakhon se Jhankte Chehre द्वारा  Pranava Bharti in Hindi Novels
जैसे ही इशिता ने उस कमरे में प्रवेश किया उसकी साँसें ऊपर की ऊपर ही रह गईं | एक अजीब सी मनोदशा में वह जैसे साँस लेना भूल गई, लड़खड़ा गई जैसे चक्कर से आन...

अन्य रसप्रद विकल्प