Tum Muje Itta Bhi Nahi Kah Paye book and story is written by harshad solanki in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Tum Muje Itta Bhi Nahi Kah Paye is also popular in प्रेम कथाएँ in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
तुम मुझे इत्ता भी नहीं कह पाये? - उपन्यास
harshad solanki
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
सिमला के बाहर बेहद खूबसूरत पहाड़ियों के बीच बनी पगडण्डी पर चलते हुए राहुल की अचानक किसी से टक्कर हो गई. इस टक्कर से राहुल स्वयं दो कदम पीछे लड़खड़ा गया. जल्दी से वह खुद संभला, फिर उसने टकराने वाले व्यक्ति को बांहों से थाम कर खुद आधा कदम पीछे हट कर उसे भी गिरने से बचाया और उनकी और देखा. राहुल के पांव से माथे तक एक सिहरन दोड़ गई. वह एक सुन्दर सी युवती थी. हल्का सा श्याम वर्ण! खिले हुए फूल सा हसीन चेहरा. उम्मीदों और सपनो से भरी आखें. गुलाब की पंखुड़ियों से नाजुक गुलाबी होंठ और उसके नीचे बना एक छोटा सा काला टिल. वह उम्र में दो तीन साल उससे बड़ी नज़र आ रही थी. हलके नीले रंग का सफ़ेद गुलाबी फूलों वाला ड्रेस धारण किये और अपने बदन को क्रीम रंग की साल में लपेटे वह परी से ज़रा भी कम न लग रही थी.
चोरी से जब दिल चुरा ले जाता है कोई; चुपके से जब अपना बना ले जाता है कोई; दूर हो के भी लगता है दिल के पास है कोई; न नाम न पता फिर भी रूह में उतर जाता ...और पढ़ेकोई; क्या इसी को तो नहीं कहते हैं दुनियां प्यार कोई? सिमला के बाहर बेहद खूबसूरत पहाड़ियों के बीच बनी पगडण्डी पर चलते हुए राहुल की अचानक किसी से टक्कर हो गई. इस टक्कर से राहुल स्वयं दो कदम पीछे लड़खड़ा गया. जल्दी से वह खुद संभला, फिर उसने टकराने वाले व्यक्ति को बांहों से थाम कर खुद आधा कदम
दो तीन दिनों से उसके दिल में अजीब सी फिलिंग हो रही थी. बिना किसी वजह के कभी उसके अन्दर कोई अनजानी ख़ुशी का सागर उफान मारने लगता, तो कभी उसका मन अनजाने विरह और बेचैनी से व्याकुल हो ...और पढ़ेउसका मन किसी काम में लग नहीं रहा था. उसकी ऐसी दशा क्यूँ हो रही थी? उसे कुछ पता लग नहीं रहा था. पर अब उसे ओम शांति ओम का शाहरुख खान का वह पोपुलर डायलोग अपनी ही ज़िन्दगी में सार्थक साबित होता हुआ प्रतीत होने लगा. "अभी भी वैसी ही दिख रही हैं. बस, चहरे पर थोड़ा सा फर्क
"ओह! सोरी मेडम..." माफ़ी माँगते हुए राहुल ने शर्म से अपनी नज़रें दूसरी और घुमा ली. मेडम को यूँ घूरते वक्त वह यह बिलकुल भूल गया था कि वह कभी उसकी टीचर हुआ करती थीं और उम्र में भी ...और पढ़ेउससे बड़ी थीं. "अभी भी वैसे के वैसे ही हो." सरारत भरी आँखे नचाते हुए मेडम आगे बोली. मेडम की बात सुन राहुल बेहद शर्मिंदगी से पानी पानी हो उठा. उसके चहरे के भाव देख मेडम खिलखिला कर हंस पड़ी. मेडम को यूँ हँसते देख राहुल ने उनके सामने देखा. अपनी गलती पर मेडम ने ज़रा भी बुरा नहीं लगाया
ऐसे ही कई दिन गुज़र गए. किसी वजह से एक मंडे की एक्स्ट्रा छुट्टी के बाद राहुल अगले ट्यूसडे को स्कूल पहुंचा. रीसेस तक सब कुछ रूटीन चला. पर रीसेस के बाद उसे एक सरप्राइज़ मिलने वाला था. पर ...और पढ़ेसरप्राइज़ उसके लिए अच्छा साबित होगा या बुरा? यह तो नियति तै करने वाली थी. रीसेस ख़त्म कर उसके सारे दोस्त आज पहले ही क्लास में एन्टर हो चुके थे और वह लास्ट में रह गया था. जैसे ही वह जरा देरी से क्लास में पहुंचा, वह दरवाज़े में ही ठिठक कर रह गया. नयी मेडम क्लास में खड़ी थीं!
पर उसके यह आनंद भरे दिन बहुत लम्बे न चले. ऐसे ही तीन चार हप्ते बीत गए और पुरानी हिंदी वाली मेडम वापस आ गई. और नयी मेडम का क्लास में आना एकदम बंध हो गया. सभी लड़के नयी ...और पढ़ेको भूल गए पर राहुल का मन बिलकुल न बदला. भले ही नयी मेडम क्लास से चली गई हो पर उनके मन में वह बस गई थी. अब नयी मेडम सिर्फ स्कूल एसेम्बली में ही दिखाई देती थी वो भी दूर से. राहुल बेचैन हो उठा. एक दिन राहुल का मन हुआ की नयी मेडम किस तरफ से आती जाती