Tum Muje Itta Bhi Nahi Kah Paye - 7 books and stories free download online pdf in Hindi

तुम मुझे इत्ता भी नहीं कह पाये? भाग - 7

कोलेज काल में जहां अन्य लड़कों का ज्यादातर वक्त लड़कियों के पीछे और लड़कियों का वक्त लड़कों के पीछे व्यतीत होता रहता था, वहां राहुल का पूरा फोकस अपनी पढ़ाई पर रहा और उसने एम्.ई विथ ऑटोमोटिव एंजिनियरिंग के साथ पूरी यूनिवर्सिटी में टॉप कर दिया. जिसके बारें में उसने सपने में भी नहीं सोचा था. उसकी आँखों से आंसू छलक पड़े. और उसने अपनी इस सफलता के लिए सबसे पहले जिसे याद किया, वह इश्वर नहीं था; बल्कि वह तो उसकी यादों में बसने वाली उसके ख्वाबो की मल्लिका थी. उसीने तो उस सरारती और पढ़ाई में कमज़ोर छोकरे राहुल को आज पूरी यूनिवर्सिटी का टोपर बना दिया था. वो भी बिना कुछ कहे; बिना कुछ किये. वह उसके लिए पारस पत्थर थी. वह उसकी प्रेरणामूर्ति थी. अनछुए अनजाने ही उसने वो चमत्कार कर दिखाया था, जो शायद हज़ारों मन्नते भी न कर पाती.
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आज राहुल को कोलेज छोड़े एक डेढ़ साल गुज़र चूका था. सिलवासा की स्कूल को छोड़े और उसकी सपनो की रानी से बिछड़े तो दस साल गुज़र चुके थे. लेकिन आज एक बार फिर से वह उसकी नज़रों के सामने थी. उसके करीब थी. पर अब तक तो बहुत वक्त गुज़र चूका था. बहुत कुछ बदल भी गया था. क्या अब तक वह सिंगल रही होगी? राहुल के मन में इस प्रश्न के पैदा होते ही उसका मन उदास हो गया. उसे लगा जैसे कुदरत ने कहीं उसके साथ कोई भद्दा मज़ाक तो नहीं किया है?
इश्क़ क्या कर लिया हमने जान पर बन आई है
अब किसे ये ख़बर थी कि क़िस्मत में जुदाई है।

"अरे राहुलजी..! चलिए अब हमें शिमला की सेर पर ले चलिए..!" बस के दरवाज़े पे आ कर कोयल की तरह मेडम गहकी.
मेडम की आवाज़ सुन राहुल अपने खयालो में से बाहर आया और उसने मेडम को देखा. मेडम का चेहरा खुशियों से दमदमा रहा था. हो भी क्यूँ न! आखिर वे सिमला जो घुमने वाले थे! उनको देख कर राहुल का मन भी प्रफुल्लित हो उठा. और वह ड्राइवर के साथ बस में जा चढ़ा. दरवाज़ा बंध होने की आवाज़ के साथ ही एंजिन स्टार्ट हुआ और बस कुफरी के रास्ते चल पड़ी. बच्चों ने खुसी की किलकारियां की. सभी के चेहरों पर बड़ी सी मुस्कान थी. बस थोड़ी छोटी थी मगर टीचर्स ने सब ठीक से मेनेज कर लिया. राहुल आगे से पीछे तक घुमा और सभी बच्चों एवं टीचर्स को उन्हें कहीं कोई परेसानी तो नहीं हो रही हैं? पूछा. सभी की सहूलियत की तसल्ली करने के बाद वह दरवाज़े पर आ कर खड़ा रहा. रास्ते में बाहर की खूबसूरती मंत्रमुग्ध करने वाली थी. जिसे देखने के लिए जिन स्टुदंट्स को खिड़की वाली सीट मिली थी और जिनको नहीं मिली थी, उन स्टुदंट्स के बीच हल्ला गुल्ला मचा रहा.
शिमला से कुफरी जाते रास्ते में बस ग्रीन वेली पर रुकी. बस के रुकते ही स्टुदंट्स ने नीचे उतरने के लिए भगदड़ मचा दी. करीब सभी स्टुदंट्स के पास मोबाइल थे, वे फोटोग्राफी, सेल्फी और वीडियो बनाने में लग गए.
ग्रीन वेली मन को मोह लेने वाली एक प्राकृतिक सौन्दर्य से सज्ज खुबसूरत पर्वत श्रृंखला है जो शिमला से कुफरी के रास्ते पर पड़ती है. यह चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ क्सेत्र है और यह पहाड़ियां देवदार और चीड़ के घने पेड़ों से छनी हुई हैं. यह घाटी अपने सौन्दर्य की वजह से शिमला घुमने आने वाले हर पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र रहती हैं. और यहाँ के नेचरल व्यूज़ मन को स्थिरता और शांति प्रदान करते हैं एवं शहरी प्रदुषण एवं तनाव से मुक्ति देने वाले हैं. शिमला के पर्यटन पर आने वाला हर व्यक्ति यहाँ जरूर आना चाहता है और फोटो खींचने के लिए तो यह पर्यटकों की फेवरेट जगह रहती हैं.
मेडम राहुल के पास खड़ी थीं और हिमालय की सुन्दर पहाड़ियों को देख रही थीं. राहुल का मन किया कि वह इस मौके का लाभ उठाये और दोनों की एक सेल्फी ले ले. पर फिर उसे अपना यह विचार ठीक न लगा.
"अरे देखो! वहां हिरन!" मेडम को दूर पहाड़ी पर भटकता हुआ हिरन दिख गया था. वह हिरन की और हाथ से इशारा करते हुए चिल्लाई.
सभी का ध्यान उस और गया. "हाँ, कभी कभार यहाँ हिरन, याक एवं अन्य दुर्लभ प्राणी के भी दर्शन हो जाते हैं." राहुल ने हिरन की दिशा में नजर दोड़ाते हुए कहा. मेडम ने कुछ फोटो खींचे. अपनी कुछ सेल्फी ली. फिर राहुल के हाथ में अपना मोबाइल थमाते हुए बोली: "लीजिए, मेरी तस्वीर खींचने में मदद कीजिए." राहुल के हाथ में अपना मोबाइल रखते वक्त मेडम की उंगलियाँ राहुल के हाथ से छू गई. इस अनायास स्पर्श से राहुल रोमांचित हो उठा.
सभी स्टुदंट्स फोटो खींचने एवं वीडियो बनाने में मस्त थे. मेडम चारों और दोड़ते लहराते हुए स्टुदंट्स का मार्गदर्शन एवं फोटो खींचने में उनकी सहायता करने लगीं. राहुल उनको ही देख रहा था. उसका हस्ता चेहरा, हवा में लहराते बाल, पतली कमर की लचक, राहुल को मोहित कर रही थी. तभी राहुल को मौका मिला और उसने उनकी हर हरकतों को अपने मोबाइल में कैद कर लिया. आखिर में ग्रुप फोटो के बाद सभी ग्रीन वेली से चल पड़े.
शिमला की टूर के दौरान वे कुफरी, ग्रीन वेली, हिमालयन नेशनल पार्क, हनुमानजी का जाखू टेम्पल, काली बारी टेम्पल, क्राइस्ट चर्च, हिमाचल स्टेट म्युज्यम, रीज, मोल रोड, इत्यादि सुन्दर एवं ऐतिहासिक स्थानों पर घुमे.
अगले दिन की साम वे समर हिल में उपस्थित थे. संध्या के सुन्दर रंगों से भरी समर हिल की खूबसूरती को आखिर में सब अपने अपने कैमरे में कैद करने लगे. कई पर्यटक हाथों में चाय कोफ़ी के प्याले या मेगी नुडल्स की दिश लिए धवल पहाड़ी शिखरों एवं हरियाली की चादर ओंधे धरती पर बिखरते ढलते सूरज के किरणों को अपनी आँखों में समाए जा रहे थे. सब अपनी अपनी मस्ती में मग्न थे. किसी को किसी का ख़याल न था.
सामने सुन्दर पेड़ की दाल पर दो परिंदे अपनी ग्रीवा को ग्रीवा से और चोंच की नौक को चोंच की नौक से मिलाये क्रिंडा में मस्त थे. पहाड़ों के पीछे छुपते सूरज की लाल किरणों में वे परिंदे आँखों को बहुत भाने वाले थे. मेडम मुग्ध हो कर क्रिंडा में मस्त परिंदों को एकटक निहारे जा रही थीं. पीछे खड़ा राहुल कोई गहरी सोच में डूबा हुआ कभी परिंदों को तो कभी मेडम को निहारे जा रहा था. सायद वह आखरी बार मेडम का दर्शन कर रहा था. कुछ घंटे बाद वे सब शिमला को बिदा कहने जा रहे थे. राहुल ने मन में ही कहा: मुझे अपने दिल की बात उससे कर लेनी चाहिए. पर वह उससे बात कैसे करे? यह उसकी समज में नहीं आ रहा था.
एक उमर बीत चली है तुझे चाहते हुए
तू आज भी बेखबर है कल की तरह

अचानक मेडम पीछे मुड़ी और राहुल की और देखा. उन्हें लगा जैसे राहुल उसे कुछ कहना चाह रहा है. उसने इधर उधर देखा, आसपास काफी लोग मौजूद थे. राहुल उसे कुछ कहे उससे पहले ही वह राहुल की और स्माइल करते हुए बोल उठी: "कोफ़ी लोगे?" मेडम की बात सुन राहुल खुश हो गया.
चलो आज खामोश प्यार को एक नाम दे दे
अपनी मोहब्बत को एक प्यारा मकाम दे दे
इससे पहले की कही रूठ न जाए ये मौसम
अपने धडकते हुए अरमानों को सुरमई शाम दे दे

"चलिए." राहुल ने भी स्माइल करते हुए उत्तर दिया.
"आप कोफ़ी ले आओ. मैं वहां खड़ी हूँ." मेडम ने भीड़ से दूर एक खाली जगह की और इशारा करते हुए राहुल से कहा.
कुछ देर बाद अपने अपने हाथों में कोफ़ी के प्याले लिए दोनों चुपचाप खड़े थे. लाल चुनर ओढ़े धरती जैसे दुल्हन बनी थी. पश्चिम में अस्त होता सूरज अपने सिंदूरी हाथों से धरती को जैसे आलिंगन में बाँधने को उत्सुक था.
तेरे हर गम को अपनी रूह में उतार लूँ
ज़िन्दगी अपनी तेरी चाहत में संवार लूँ
मुलाकात हो तुझसे कुछ इस तरह मेरी
सारी उम्र बस एक मुलाकात में गुज़ार लूँ
क्रमशः
प्रिय मित्रगण, क्या राहुल अपने प्यार का इज़हार कर पायेगा? या उसका प्यार अधुरा ही रह जायेगा. आप इस लव स्टोरी का कैसा अंत चाहते हैं? व्होत्सेप या कोमेंट में जरूर बताइये...
इस लव स्टोरी में मेरी स्व रचित शायरी के अलावा अन्य गुमनाम लेखकों की शायरियों एवं फिल्म के डायलोग्स का भी इस्तेमाल किया गया हैं. उन शायरियों के गुमनाम शायरों एवं कल हो न हो और ओम शांति ओम फिल्म को उसके डायलोग्स के लिए हार्दिक धन्यवाद.
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