harshad solanki लिखित उपन्यास तुम मुझे इत्ता भी नहीं कह पाये?

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तुम मुझे इत्ता भी नहीं कह पाये? द्वारा  harshad solanki in Hindi Novels
चोरी से जब दिल चुरा ले जाता है कोई; चुपके से जब अपना बना ले जाता है कोई; दूर हो के भी लगता है दिल के पास है कोई; न नाम न...
तुम मुझे इत्ता भी नहीं कह पाये? द्वारा  harshad solanki in Hindi Novels
दो तीन दिनों से उसके दिल में अजीब सी फिलिंग हो रही थी. बिना किसी वजह के कभी उसके अन्दर कोई अनजानी ख़ुशी का सागर उफान मारन...
तुम मुझे इत्ता भी नहीं कह पाये? द्वारा  harshad solanki in Hindi Novels
"ओह! सोरी मेडम..." माफ़ी माँगते हुए राहुल ने शर्म से अपनी नज़रें दूसरी और घुमा ली. मेडम को यूँ घूरते वक्त वह यह बिलकुल भूल...
तुम मुझे इत्ता भी नहीं कह पाये? द्वारा  harshad solanki in Hindi Novels
ऐसे ही कई दिन गुज़र गए. किसी वजह से एक मंडे की एक्स्ट्रा छुट्टी के बाद राहुल अगले ट्यूसडे को स्कूल पहुंचा. रीसेस तक सब कु...
तुम मुझे इत्ता भी नहीं कह पाये? द्वारा  harshad solanki in Hindi Novels
पर उसके यह आनंद भरे दिन बहुत लम्बे न चले. ऐसे ही तीन चार हप्ते बीत गए और पुरानी हिंदी वाली मेडम वापस आ गई. और नयी मेडम क...