Ashish Dalal लिखित उपन्यास प्रतिशोध. | हिंदी बेस्ट उपन्यास पढ़ें और पीडीएफ डाऊनलोड करें होम उपन्यास हिंदी उपन्यास प्रतिशोध. - उपन्यास उपन्यास प्रतिशोध. - उपन्यास Ashish Dalal द्वारा हिंदी उपन्यास प्रकरण (72) 4.8k 9.5k 9 ढ़लती दोपहर को अपने कमरे की खिड़की के पास बैठे हुए श्रेया बाहर बरसती बारिश की बूंदो को अपलक निहार रही थी । पास रखे उसके मोबाइल पर जगजीत और चित्रा सिंह की आवाजें गूंज रही थी । ‘ये दौलत ...और पढ़ेले लो, ये शोहरत भी ले लो । भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी । मगर मुझको लौटा दो । बचपन का सावन, वो कागज की कश्ती, वो बारिश का पानी ।’ पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें पूर्ण उपन्यास प्रतिशोध - 1 735 1.5k आशीष दलाल (१) ढ़लती दोपहर को अपने कमरे की खिड़की के पास बैठे हुए श्रेया बाहर बरसती बारिश की बूंदो को अपलक निहार रही थी । पास रखे उसके मोबाइल पर जगजीत और चित्रा सिंह की आवाजें गूंज रही ...और पढ़े। ‘ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो । भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी । मगर मुझको लौटा दो । बचपन का सावन, वो कागज की कश्ती, वो बारिश का पानी ।’ असंख्य बूंदों का धरती पर गिरते ही अपना स्वरूप मिटा कर पानी की पतली सी धारा में एकाकार होते हुए देखना श्रेया को बचपन सुनो अभी पढ़ो प्रतिशोध - 2 540 849 (२) नैतिक का सवाल सुनकर श्रेया चुप थी । फिर खुद ही बोलने लगी, ‘तुम्हें यह तो पता ही है कि रोहन के पापा मेरे पापा के बहुत करीबी दोस्त रहे है । मेरी और रोहन की शादी होने ...और पढ़ेएक कारण उनकी दोस्ती भी रही है ।’ नैतिक को श्रेया की बात का विश्वास नहीं हुआ और वह हंसते हुए बोला, ‘तुम ये फिल्मी बातें बनाकर मुझे सुनाओगी और मैं मान जाऊंगा ? रहने दो श्रेया.... तुम्हें पता है न मुझे झूठ पसंद नहीं ।’ ‘मेरी बात का यकीन करो नैतिक । तुम्हें सबकुछ पता होगा लेकिन एक बात सुनो अभी पढ़ो प्रतिशोध - 3 459 879 (३) अंधेरें में दोनों कुछ देर तक आपस में लिपटकर एक दूसरे की देह की गर्माहट को अनुभव करते रहे । तभी लाईट आ गई और पूरा कमरा फिर से रोशनी से भर गया । नैतिक की पकड़ अचानक ...और पढ़ेश्रेया पर ढ़ीली पड़ गई । ‘आय एम सॉरी ! मैं बहक गया था ।’ कहते हुए नैतिक श्रेया से दूर हट गया । श्रेया अनिमेष दृष्टि से नैतिक को निहार रही थी । क्षणभर के लिये आया नैतिक का आवेग अब थम चुका था । बारिश अब रुक रूककर धीमे धीमे बरस रही थी । अचानक ही आगे बढ़कर सुनो अभी पढ़ो प्रतिशोध - 4 477 924 (४) रात को वन्दना ने याद कर नैतिक की पसन्द की चीजें खाने में बनाई थी । श्रेया ने काफी दिनों से खाली पड़े फ्लावर पॉट में रजनीगंधा के फूलों के बीच दो लाल गुलाब की कलियां सजाकर डाइनिंग ...और पढ़ेके बीच रख दी थी । फ्लावर डेकोरेशन श्रेया का शौक था लेकिन जिन्दगी की आपाधापी में कब उसका यह शौक पीछे छूट गया वह खुद ही नहीं जान पाई थी । आज वह बहुत खुश लग रही थी । लाईट ग्रीन कलर के सलवार पर काले रंग की चुनरी उसके ऊपर खूब फब रही थी । अपने चौड़े माथे सुनो अभी पढ़ो प्रतिशोध - 5 465 1k (५) चार महीनों बाद दीवाली के बाद एक सादे समारोह के रूप में करीबी रिश्तेदारों की हाजरी में नैतिक और श्रेया की शादी सम्पन्न हो गई । श्रेया को इस बार अपनी मम्मी का घर छोड़कर अपने अरमानों के ...और पढ़ेमें गृह प्रवेश करते वक्त न रुलाई फूटी और न कुछ पीछे छूट जाने का अहसास हुआ । उसके लिए नैतिक के घर आना उतना ही आसान था जितना की किसी का एक ही मोहल्ले में एक घर खाली कर दूसरे घर जाना । ‘नैतिक, दस दिन हो गए पर तुमने अभी तक नहीं बताया कि हम अपना हनीमून कहां सुनो अभी पढ़ो प्रतिशोध - 6 495 915 (६) समय अपनी गति से गुजरता गया । श्रेया ने नैतिक की सलाह पर अपने को व्यस्त रखने के लिए नौकरी ज्वाइन कर ली थी । अब तक श्रेया और नैतिक की जिन्दगी में छोटी मोटी तकरार को छोड़कर ...और पढ़ेअपनी गति से अच्छा ही चल रहा था । आगे का समय भी बिना परेशानी के सम्हल जाता लेकिन कुछ दिनों से अपने मंथली पीरियड्स को लेकर परेशान श्रेया ने जब घर पर ही उस रात प्रेगनेंसी टेस्ट किया तो नैतिक की जिन्दगी में जैसे एक भूचाल सा आ गया । ‘नैतिक ! आय टोल्ड यू टू टेक प्रीकॉशन । सुनो अभी पढ़ो प्रतिशोध - 7 429 891 (७) बारिश सुबह से ही बादलों के संग अठखेलियां करती हुई कभी बड़ी ही तेजी से बरस रही थी तो कभी अचानक ही बड़े प्यार से पेड़ों की पत्तियों को नहलाती हुई मिट्टी के संग मिलकर एक होकर नये ...और पढ़ेकी संभावना को जन्म दे रही थी । अपने कमरे की खिड़की के पास बैठकर पिछली बातों को याद करते हुए अचानक ही श्रेया की आंखों से आंसू की दो बूंदें फिसलकर उसके गाल पर आकर ठहर गई । पिछले आठ महीनों में बहुत कुछ बदल गया था । नैतिक शहर छोड़कर राधिका के संग अपने मामा के गांव चला सुनो अभी पढ़ो प्रतिशोध - 8 381 825 (८) दो सप्ताह के भीतर ही श्रेया और नैतिक के डायवोर्स पर कोर्ट की मोहर लग गई । कोर्ट से बाहर निकलते हुए नैतिक के चेहरे पर श्रेया को देखकर एक फीकी सी हंसी छा गई । कोर्ट की ...और पढ़ेउतरकर अपने से दूर जाते हुए नैतिक को देखकर श्रेया को वह दिन याद आ गया जब वह अपने घर का सामन ट्रक में रखवा कर खाली मकान को ताला लगाकर सभी से विदा ले रहा था । राधिका गांव जाने के बाद फिर वापस आई ही नहीं । नैतिक मकान बिक जाने के बाद आखरी बार आकर वापस लौटते सुनो अभी पढ़ो प्रतिशोध - 9 387 867 (९) माफी चाहता हूं श्रेया । आज बेवजह मेरी वजह से तुम सारा दिन परेशान रही । एक्चुली मैं ऑफ व्हाइट शर्ट और ब्लू जींस पहनकर घर से निकला था लेकिन बीच रास्ते में एक कार वाले ने कीचड़ ...और पढ़ेमेरा शर्ट गन्दा कर दिया और मुझे वापस घर जाकर कपड़े बदलने पड़े । डोन्ट वरी ! मैं खुद कल तुम्हारी डेस्क पर आकर तुमसें मिलता हूं । ‘यू ब्लडीफुल ।’ पत्र पढ़कर श्रेया गुस्से से तमतमा उठी । सारा दिन करण सर और परेश पर शंका करते हुए परेशान होते हुए वह ठीक से काम में अपना मन न सुनो अभी पढ़ो प्रतिशोध - 10 - अंतिम भाग 390 891 (१०) रात को काफी देर तक लेपटॉप पर काम करते हुए नैतिक जाग रहा था । उसके कमरे की लाइट चालू देख राधिका उसके कमरे में दाखिल हुई । उसकी नजर लेपटॉप की स्क्रीन पर पड़ी । नैतिक ने ...और पढ़ेछिपाने का यत्न किया तो राधिका ने उसका हाथ पकड़ लिया । ‘पिछले कई दिनों से देख रही हूं । तू अब भी फेसबुक और इन्स्टाग्राम पर उसकी पोस्ट क्यों पढ़ता है ? तू आखिर चाहता क्या है जिन्दगी में ?’ ‘जानना चाह रहा था कि वह खुश है भी या नहीं ।’ नैतिक ने जवाब दिया । ‘अब वह सुनो अभी पढ़ो अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ Ashish Dalal फॉलो