Ashish Kumar Trivedi लिखित उपन्यास अजीब दास्तां है ये.. | हिंदी बेस्ट उपन्यास पढ़ें और पीडीएफ डाऊनलोड करें होम उपन्यास हिंदी उपन्यास अजीब दास्तां है ये.. - उपन्यास उपन्यास अजीब दास्तां है ये.. - उपन्यास Ashish Kumar Trivedi द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां (57) 2.9k 7.1k 1 शारदा हाउसिंग सोसाइटी में आज की सुबह भी वैसी थी जैसे रोज़ होती थी। अखबार वाले, दूध, अंडा और ब्रेड सप्लाई करने वाले सोसाइटी में प्रवेश कर रहे थे। लगभग हर फ्लैट में स्कूल जाने वाले बच्चे जल्दी जल्दी तैयार ...और पढ़ेरहे थे। कुछ पेरेंट्स अपने बच्चों को उनकी स्कूल बस में बैठाने के लिए गेट के पास खड़े थे। अनय स्कूल यूनिफॉर्म पहनकर तैयार खड़ा था। उसने घड़ी की तरफ देखा। स्कूल बस का टाइम हो गया था। उसने कहा, "जल्दी करिए ऐसा ना हो कि बस मुझे छोड़कर चली जाए। आज मेरा मैथ्स का टेस्ट भी है।" "बस हो गया..." पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें पूर्ण उपन्यास अजीब दास्तां है ये.. - 1 693 1.3k (1) शारदा हाउसिंग सोसाइटी में आज की सुबह भी वैसी थी जैसे रोज़ होती थी। अखबार वाले, दूध, अंडा और ब्रेड सप्लाई करने वाले सोसाइटी में प्रवेश कर रहे थे। लगभग हर फ्लैट में स्कूल जाने वाले बच्चे जल्दी ...और पढ़ेतैयार हो रहे थे। कुछ पेरेंट्स अपने बच्चों को उनकी स्कूल बस में बैठाने के लिए गेट के पास खड़े थे। अनय स्कूल यूनिफॉर्म पहनकर तैयार खड़ा था। उसने घड़ी की तरफ देखा। स्कूल बस का टाइम हो गया था। उसने कहा, जल्दी करिए ऐसा ना हो कि बस मुझे छोड़कर चली जाए। आज मेरा मैथ्स का टेस्ट भी है। अभी पढ़ो अजीब दास्तां है ये.. - 2 378 822 (2) मुकुल कुछ समय पहले ही सोसाइटी की मीटिंग से लौटा था। हर बार की तरह मीटिंग में कुछ शिकायतें आईं, कुछ सुझाव दिए गए। उसके बाद अगली मीटिंग की तारीख तय करने के बाद मीटिंग बर्खास्त हो गई। ...और पढ़ेतो मीटिंग हर बार की तरह मुकुल को बोरिंग लग रही थी। लेकिन एक बात ने उस नीरस माहौल में जान डाल दी थी। वह बात थी रेवती का मीटिंग में आना। रेवती कुछ देर से मीटिंग में पहुँची थी। उसने सबसे पहले बड़ी विनम्रता के साथ देरी के लिए लोगों से माफी मांगी। उसके बाद एक मुस्कान के साथ अभी पढ़ो अजीब दास्तां है ये.. - 3 342 732 (3) दो महीने बीत गए थे। मुकुल और रेवती के बीच एक दोस्ती का रिश्ता पनप चुका था। दोनों अब खुलकर एक दूसरे से बात करते थे। सिक्सथ फ्लोर के तीन फ्लैट्स अब एक परिवार की तरह थे। आजी ...और पढ़ेपरिवार की मुखिया थीं। रेवती भी अब नीली को दी कहकर पुकारती थी। दोनों बच्चों के लिए वह आंटी थी। दोस्ती समय के साथ गहरी हो रही थी लेकिन मुकुल के मन में रेवती के लिए दोस्ती से अधिक एक भाव था। कई बार उसे ऐसा महसूस होता था कि वह रेवती के प्यार में पड़ गया है। रेवती हमेशा अभी पढ़ो अजीब दास्तां है ये.. - 4 306 708 (4) बात खत्म करके रेवती ने मुकुल को अपने साथ आने को कहा। वह उसे लेकर कैफ़े के बाहर चली गई। कैफ़े के बगल में एक छोटा सा गेट लगा था। उसे खोल कर रेवती अंदर चली गई। मुकुल ...और पढ़ेकुछ समझ नहीं आ रहा था। लेकिन चुपचाप उसके पीछे चल रहा था। एक पैसेज पार करके दोनों एक दरवाज़े के सामने आ गए। दरवाज़े पर लगी घंटी बजाने से पहले रेवती ने कहा, अंकल इस वक्त कैफ़े में नहीं हैं। यह उनका घर है। रेवती ने घंटी बजाई। एक बीस बाइस साल के लड़के ने दरवाज़ा खोला। रेवती को अभी पढ़ो अजीब दास्तां है ये.. - 5 231 609 (5) मुकुल अपने एक दोस्त नमित के साथ एक पार्टी में गया था। पार्टी नमित के कज़िन के नए घर के गृह प्रवेश के अवसर पर रखी गई थी। यहीं वह पहली बार नेहा से मिला था। यह एक ...और पढ़ेसी गैदरिंग थी। जिसमें सब एक दूसरे को जानते थे। मुकुल नमित के अलावा किसी को भी नहीं जानता था। उसे बहुत ऑकवर्ड लग रहा था। वह एक कोने में बैठा हुआ था। नमित उससे कह चुका था कि वह संकोच ना करे। भाभी भैया बहुत फ्रेंडली हैं। वह भी औरों की तरह इंज्वॉय करे। बार काउंटर से अपने लिए अभी पढ़ो अजीब दास्तां है ये.. - 6 195 567 (6) मुकुल अपने और रेवती के रिश्ते को लेकर दुविधा में पड़ गया था। समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे। वह रेवती को प्यार करने लगा था। पर रेवती उसके बारे में क्या सोचती है वह नहीं ...और पढ़ेथा। जब भी वह इस बारे में रेवती से बात करने की सोचता था तो उसे अनय का खयाल आ जाता था। कई सवाल उसके मन को परेशान करने लगते थे। क्या उसके और रेवती के रिश्ते को अनय स्वीकार कर पाएगा ? रेवती के आने से उसे ऐसा तो नहीं लगेगा कि पापा ने उसे अपने से दूर कर अभी पढ़ो अजीब दास्तां है ये.. - 7 216 609 (7) मुकुल इस बात से खुश था कि रेवती भी उसे प्यार करती है। उसने कहा था कि उससे अच्छा जीवनसाथी उसे नहीं मिल सकता है। नेहा ने जिस तरह से उसे छोड़ दिया था उसने उसे बहुत चोट ...और पढ़ेथी। जबकी उसने खुद को एक अच्छा जीवनसाथी साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। एक लंबे समय तक वह नेहा की दी हुई चोट के दर्द को महसूस करता रहा था। रेवती मान रही थी कि वह एक अच्छा जीवनसाथी है। अब वह इस बात को प्रमाणित करना चाहता था। उसने रेवती से कहा, तुम्हारे अतीत को हराने अभी पढ़ो अजीब दास्तां है ये.. - 8 198 525 (8) तमिलनाडु से उपेंद्र रेवती को बिहार ले गया। पश्चिमी चंपारण के बेतिया में उसकी बहुत सी संपत्ति थी। कुछ दिन तो रेवती को वहाँ अच्छा लगा। पर उसे इस बात की चिंता थी कि उसके मास्टर्स के एडमीशन ...और पढ़ेप्रक्रिया शुरू होने वाली होगी। उपेंद्र की क्लासेज़ का भी हर्ज़ होगा। उसने उपेंद्र से कहा कि अब उन्हें बनारस वापस लौट जाना चाहिए। उपेंद्र ने कहा कि वह जल्दी ही बनारस लौट चलेंगे। उपेंद्र ने वापस चलने की बात कही तो थी पर उसके व्यवहार से ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा था कि वह बनारस जाने के मूड अभी पढ़ो अजीब दास्तां है ये.. - 9 171 537 (9) रेवती रात दिन ईश्वर से प्रार्थना करती रहती थी कि कोई राह निकालें जिससे वह इस स्तिथि से निकल सके। एक दिन उसका धैर्य और विश्वास रंग लाया। जिस कमरे में वह बंद थी उसके वॉशरूम की नाली ...और पढ़ेतरह चोक हो गई। पहले तो उपेंद्र ने खुद नाली ठीक करने का प्रयास किया पर बहुत कोशिश के बाद भी ठीक नहीं कर सका। उसे हार कर नाली ठीक करने के लिए किसी को बुलाना पड़ा। उस आदमी के आने से पहले उपेंद्र ने रेवती को एक दूसरे कमरे में शिफ्ट कर दिया। उसने रेवती को धमकी दी कि अभी पढ़ो अजीब दास्तां है ये.. - 10 - अंतिम भाग 162 729 (10) उसकी आँखों को देखकर रेवती पहचान गई कि वह उपेंद्र है। वह डरकर मुकुल के पीछे छिप गई। उपेंद्र ने कहा, "मैं कहता था ना कि तुम औरतें धोखेबाज़ होती हो। मुझे जेल भिजवाकर इसके साथ ऐश कर ...और पढ़ेहो।" मुकुल समझ रहा था कि इस समय ज़रा सी चूक भारी पड़ सकती है। उसे बड़ी होशियारी से काम लेना होगा। उसने खुद को संयत करके कहा, "देखो तुम कोई ऐसी वैसी हरकत मत करो। पुलिस तुम्हें तलाश रही है।" "मुझे पता है कि पुलिस मेरे पीछे है। फिर भी खुद को खतरे में डालकर यहाँ आया हूँ। मेरे अभी पढ़ो अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ Ashish Kumar Trivedi फॉलो