अजीब दास्तां है ये.. - 6 Ashish Kumar Trivedi द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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अजीब दास्तां है ये.. - 6

(6)

मुकुल अपने और रेवती के रिश्ते को लेकर दुविधा में पड़ गया था। समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे। वह रेवती को प्यार करने लगा था। पर रेवती उसके बारे में क्या सोचती है वह नहीं जानता था। जब भी वह इस बारे में रेवती से बात करने की सोचता था तो उसे अनय का खयाल आ जाता था।

कई सवाल उसके मन को परेशान करने लगते थे। क्या उसके और रेवती के रिश्ते को अनय स्वीकार कर पाएगा ? रेवती के आने से उसे ऐसा तो नहीं लगेगा कि पापा ने उसे अपने से दूर कर दिया है।

मुकुल नहीं चाहता था कि अनय के मन में ऐसा कुछ भी आए।

 

बड़ा होने पर अनय जब चीज़ों को समझने लगा तब उसने कई बार अपनी मम्मी के बारे में पूँछा था। पहले तो मुकुल ने उसे इधर उधर की बातें बनाकर बहला दिया था। लेकिन अनय जब पाँच साल का हुआ तो उसने एक दिन बहुत गंभीरता से मुकुल से कहा,

"पापा सच बताइए मेरी मम्मी कहाँ हैं ? सब बच्चों की मम्मी उनके साथ रहती हैं। मेरी मम्मी मेरे साथ क्यों नहीं रहती हैं ?"

उस दिन मुकुल समझ गया कि अब इस बारे में उसे सच बता देना ही अच्छा होगा। उस दिन उसने अनय को सारी बात बता दी। वह यह तो नहीं कह सकता कि उस समय अनय बात को कितनी गहराई से समझ पाया था। लेकिन उसके बाद उसने कभी भी अपनी मम्मी के बारे में कोई सवाल नहीं किया था।

मुकुल ने कई बार गौर किया था कि अनय अपनी मम्मी की कमी महसूस करता है। पर उसने कभी भी उससे यह बात नहीं कही थी। इसलिए मुकुल नहीं चाहता था कि उसके और रेवती के रिश्ते के कारण उसके मन को कोई ठेस पहुँचे।

 

रेवती को लेकर भी कुछ सवाल उसके मन में थे। पहला तो यही था कि क्या मुकुल के लिए उसके मन में भी वही भावना है जो मुकुल के मन में उसके लिए है। वह सोचता था कि यदि रेवती उसके प्यार को स्वीकार कर भी लेती है तो क्या वह अनय को भी स्वीकार कर पाएगी। वह नहीं चाहता था कि उसके प्यार को पाने के लिए रेवती को अनचाहे ही अनय की माँ बनना पड़े।

यही सारी बातें उसके मन में उथल-पुथल मचाए हुए थीं। इन दिनों उसका मन किसी भी काम में नहीं लग रहा था।

 

अभी कुछ देर पहले ही मुकुल ऑफिस से लौटा था। आज उसकी एक क्लाइंट के साथ मीटिंग थी। जो बहुत अच्छी नहीं गई थी। वह कुछ परेशान सा सोफे पर बैठा था। तभी कॉलबेल बजी। अनय ने दरवाज़ा खोला। नीली आई थी। अनय ने कहा,

"पापा....बुआ आई हैं।"

नीली आकर मुकुल के पास बैठ गई। मुकुल ने कहा,

"दी कुछ काम था तो मुझे बुला लेतीं।"

"बगल के फ्लैट से ही तो आई हूँ।"

नीली कुछ गंभीर होकर कहा,

"मुकुल मुझे, आजी और रिया को एक हफ्ते के लिए चंडीगढ़ जाना है।"

मुकुल समझ गया कि वह अनय को लेकर चिंतित है। उसने कहा,

"दी आप अनय की फ़िक्र मत करिए। मैनेज हो जाएगा।"

"मुकुल एक हफ्ते की बात है।"

"आप टेंशन ना लीजिए दी। हो जाएगा। वैसे आपको कब निकलना है ?"

"कल रात की फ्लाइट है।"

"कोई फंक्शन है दी ?"

"हाँ मेरे भाई की दसवीं मैरिज एनिवर्सरी है। जा रही हूँ तो सोचा कुछ दिन रुक कर आऊँ।"

"दी जाइए और इंज्वॉय कीजिए।"

नीली ने अनय को अपने पास बुलाकर कहा,

"बेटा संभलकर रहना। कोई बात हो तो रेवती आंटी से कह देना।"

"बुआ डोंट वरी.. मैं अकेले भी रह सकता हूँ।"

 

नीली चंडीगढ़ चली गई। मुकुल ने अपनी मेड पुनीता से बात कर ली थी। वह एक हफ्ते तक अपने रोज़ के समय से दो घंटे अधिक अनय के साथ रुकने को तैयार हो गई थी। मुकुल भी ऑफिस से जल्दी आ जाता था। इस तरह से तीन दिन बीत गए थे।

रेवती किसी काम से बाहर गई थी। लौट कर आने पर जब उसे इस बात का पता चला तो उसने मुकुल से कहा कि वह परेशान ना हो। वह इन दिनों घर से ही काम करेगी। इसलिए वह अनय का खयाल रख सकती है।

 

अगले दिन मुकुल को मेरठ जाना था। वह रेवती को बता गया था कि आज लौटने में रात के नौ बज जाएंगे। रेवती ने पुनीता से कह दिया था कि अनय के स्कूल से लौटने पर उसे खाना खिलाकर उसके फ्लैट में छोड़कर घर चली जाए।

कॉलबेल बजी। पुनीता ने दरवाज़ा खोला तो बिल्डिंग का वॉचमैन था। उसने बताया कि स्कूल बस से उतरते हुए अनय गिर पड़ा। उसे बहुत चोट आई है। यह सुनकर पुनीता घबरा गई। उसने रेवती को सारी बात बताई। रेवती फौरन नीचे भागी।

नीचे आकर रेवती ने देखा कि अनय को फर्स्टएड दिया जा रहा है पर उसे डॉक्टर के पास ले जाने की आवश्यकता है। वह अपनी कार की चाभी लाई और पुनीता के साथ उसे हॉस्पिटल ले गई। अनय के सर पर टांके लगे। उसे तेज़ बुखार भी आ गया था। इसलिए डॉक्टर ने उसे कुछ घंटे अस्पताल में ही रखने को कहा। रेवती ने मुकुल को फोन करके सारी बात बताई। उससे कहा कि वह परेशान ना हो। वह अनय के साथ हॉस्पिटल में है।

मुकुल का मन मीटिंग में नहीं लग रहा था। इसलिए वह मीटिंग बीच में ही छोड़कर वापस आ गया। वह सीधे हॉस्पिटल पहुँचा। जब वह अनय के रूम में पहुँचा तो देखा कि वह सो रहा है और रेवती प्यार से उसका हाथ पकड़ कर बैठी है। यह देखकर उसके दिल को बहुत तसल्ली मिली। कुछ देर तक वह चुपचाप खड़ा उस दृश्य को देखता रहा। रेवती की निगाह उस पर पड़ी तो वह बोली,

"मुकुल... तुम लौट आए।"

"मेरा मन नहीं लग रहा था। मैं मीटिंग छोड़कर चला आया।"

मुकुल सोते हुए अनय के पास गया और उसके सर पर प्यार से हाथ फेरा। रेवती ने कहा,

"ही इज़ फाइन नाऊ। डॉक्टर ने भी कहा है कि कुछ देर में डिस्चार्ज दे देंगे।"

मुकुल एक स्टूल खींचकर बैठ गया। उसने रेवती से कहा,

"थैंक्यू रेवती... तुम ना होती तो क्या होता ?"

"प्लीज़ मुकुल इस तरह की बातें मत करो। हम सब लोग एक फैमिली की तरह हैं। आई केयर फॉर अनय।"

मुकुल को रेवती की बात अच्छी लगी। तभी अनय की आवाज़ उसके कान में पड़ी।

"पापा...."

मुकुल उठकर उसके पास गया। प्यार से उसका हाथ पकड़ कर पूँछा,

"कैसा है मेरा बेटा ?"

"अब ठीक हूँ पापा।"

"गिर कैसे गए ?"

"मैं उतर रहा था। तभी ड्राइवर अंकल ने बस चला दी।"

रेवती ने कहा,

"मुकुल इस बात की शिकायत स्कूल अथॉरिटीज़ से करना। कुछ भी हो सकता था।"

मुकुल गंभीर हो गया। अनय ने कहा,

"पापा आंटी मुझे हॉस्पिटल लेकर आई थीं। तब से मेरे पास हैं।"

रेवती मुस्कुरा दी। तभी डॉक्टर ने कमरे में प्रवेश किया। रेवती ने बताया कि डॅाक्टर सक्सेना ने ही अनय का इलाज किया है। मुकुल ने अपना परिचय देकर पूँछा,

"अनय कैसा है डॉक्टर ?"

"बिल्कुल ठीक है। आप इसे घर ले जा सकते हैं। समय पर दवाएं देते रहिएगा। एक हफ्ते के बाद आकर दिखा दीजिएगा।"

मुकुल ने बिल क्लियर कर दिया। वो लोग अनय को हॉस्पिटल से घर ले आए। जब तक अनय के टांके नहीं कटे रेवती उसका खयाल रखती रही। नीली जब लौटकर आई तो सब जानकर उसे बहुत दुख हुआ।

जिस तरह से रेवती ने अनय की देखभाल की थी उससे अनय उसके बहुत करीब आ गया था। वह अब उसकी बातें ही करता रहता था। मुकुल खुश था कि रेवती और अनय एक दूसरे के करीब आ गए हैं। वह अब रेवती से खुलकर अपने मन की बात कह सकता था।

 

रेवती से बात करने से पहले उसने नीली को सब बताने का विचार किया।

आजी और बच्चे रेवती के साथ बाहर गए हुए थे। मुकुल ने नीली के पास जाकर सब बता दिया। सुनकर नीली ने कहा,

"मैं बहुत समय से तुम्हारा रेवती के लिए झुकाव महसूस कर रही थी। मुझे बहुत खुशी होगी अगर तुम और रेवती एक हो जाओ तो।"

"दी मुझे बस एक बात की चिंता थी कि अनय और रेवती एक दूसरे को स्वीकार कर पाएंगे या नहीं। पर अनय को चोट लगने पर जिस तरह से रेवती ने अनय की देखभाल की उससे दोनों का रिश्ता मजबूत हो गया है।"

"तो फिर अब दिक्कत क्या है ? उससे अपने मन की बात कह दो।"

मुकुल गंभीर हो गया। नीली ने कहा,

"अब क्या बात है ?"

"दी... मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि रेवती को अपने मन की बात बताऊँ कैसे ?"

उसकी बात सुनकर नीली हंस दी। फिर गंभीरता से बोली,

"रेवती को किसी ऐसी जगह ले जाओ जहाँ उससे अपने मन की बात कह सको। फिर सीधे सीधे जो मन में है वह बोल दो। उसके बाद उसे फैसला करने दो।"

मुकुल अपने फ्लैट में आकर रेवती के लौटने की राह देखने लगा। उसने सोचा था कि आज ही रेवती को बिल्डिंग के टेरेस पर ले जाकर अपने मन की बात कह देगा। वह बैठकर मन ही मन इस बात की रूपरेखा बना रहा था कि कैसे वह अपने मन की बात रेवती से कहेगा।

कॉलबेल बजी। मुकुल को लगा कि रेवती अनय को छोड़ने आई होगी। उसने दरवाज़ा खोला तो अनय अकेला था। उसने पूँछा,

"आंटी कहाँ हैं बेटा ?"

अनय अंदर आते हुए बोला,

"पापा आंटी बहुत अपसेट हैं। रो रही थीं।"

उसकी बात सुनकर मुकुल परेशान हो गया। उसने अनय को सारी बात बताने को कहा। अनय ने बताया कि आंटी उन लोगों के साथ बहुत खुश थीं। लौटते समय वो लोग एक आइसक्रीम पार्लर में गए थे। वहाँ ना जाने कहाँ से एक अंकल आ गए। आंटी उन्हें देखकर डर गईं। फिर वो अंकल आंटी से बदतमीजी करने लगे। आंटी रोने लगीं। आजी ने उन बदमाश अंकल को डांटा तो उनसे भी बदतमीजी करने लगे। फिर कुछ और लोग आ गए। तब वह अंकल वहाँ से गए।

मुकुल परेशान हो गया। वह सोच रहा था कि जाकर रेवती से बात करे। तभी नीली आ गई। नीली ने सुझाव दिया कि दोनों चलकर रेवती से बात करते हैं।

 

रेवती रोए जा रही थी। नीली उसे चुप करा रही थी। मुकुल ने कहा,

"प्लीज़ रेवती बताओ.... वह कौन था जो तुमसे इतनी बदतमीजी से पेश आ रहा था ?"

रेवती ने रोते हुए कहा,

"मेरे अतीत का काला साया..."

उसकी बात सुनकर नीली और मुकुल दोनों और अधिक परेशान हो गए। नीली ने उठकर रेवती को पानी पिलाया। जब वह कुछ शांत हुई तो उससे कहा,

"अब जाकर अपना मुंह धो। उसके बाद इत्मीनान से पूरी बात बताओ।"

रेवती लौटकर आई तो कुछ ठीक लग रही थी। मुकुल ने कहा,

"अब जो भी है वह खुलकर बताओ।"

रेवती ने एक लंबी सांस खींची। उसके बाद बोली,

"उस दिन कैलाश अंकल के घर पर मैंने तुम्हें बताया था कि जब मैं दिल्ली आई थी तो उस समय अपने जीवन के सबसे बुरे दौर से गुज़र रही थी। मैं अपने पति के घर से भागकर आई थी।"

कहते हुए रेवती फिर भावुक हो गई। नीली ने उसे संभाला। रेवती ने कहा,

"दी...आई वाज़ इन ए वैरी बैड मैरिज। सिर्फ दस महीनों में उस आदमी के साथ मैंने जो नर्क झेला है उसकी कल्पना करके आज भी कांप जाती हूँ।"

मुकुल ने पूँछा,

"तो जो आज मिला था वह तुम्हारा पति है ?"

"हाँ.... उपेंद्र राय। वो इंसान नहीं जानवर है। मैंने तो सोचा था कि वह मेरी जिंदगी से निकल गया है। लेकिन इतने सालों के बाद ना जाने कहाँ से आ गया।"

रेवती एक बार फिर रोने लगी। मुकुल ने उसे समझाया,

"रोने से कुछ नहीं होगा रेवती। हिम्मत से काम लो।"

"कैसे हिम्मत से काम लूँ। उपेंद्र फिर मेरी ज़िंदगी बर्बाद कर देगा।"

"वो कुछ नहीं कर पाएगा। तुम अकेली नहीं हो। मैं हूंँ तुम्हारे साथ।"

"मुकुल.... तुम क्यों मेरी वजह से परेशानी मोल लोगे। अब जो मेरी किस्मत में है वही सही।"

मुकुल कुछ देर रेवती को देखता रहा। उसके बाद बोला,

"अगर तुम्हारी किस्मत में बुरा लिखा है तो मैं किस्मत से भी लड़ जाऊंँगा। लेकिन तुम्हारा साथ नहीं छोडूंँगा। क्योंकी मैं तुम्हें प्यार करता हूंँ।"

रेवती आश्चर्य से उसकी तरफ देखने लगी। मुकुल ने आगे कहा,

"मैंने आज ही दी को सब बता दिया। मैंने सोचा था कि तुम्हारे आने पर आज तुमसे भी अपने मन की बात कह दूंँगा। मैंने अपने मन की बात कह दी। तुम्हारे लिए यह ज़रूरी नहीं कि तुम मेरा प्यार स्वीकार करो। लेकिन तुम्हारा चाहे जो भी फैसला हो। मैं तुम्हारा हर हाल में साथ दूँगा।"

रेवती की आँखों से आंसू बह रहे थे। पर इस बार वह दुख के आंसू नहीं थे। मुकुल ने उससे जो कुछ भी कहा था उसने उसके मन के अवसाद को उसी तरह दूर कर दिया था जैसे सूरज निकलने पर धुंध छठ जाती है। उसने कहा,

"मुकुल जब तुमने रेस्टोरेंट में मेरे लिए उस आदमी से झगड़ा किया था। मेरे सम्मान की लक्षण की थी। उसी दिन से मेरे मन में तुम्हारे लिए इज्ज़त के साथ साथ प्यार भी पैदा हो गया था। तुमसे अच्छा जीवनसाथी मुझे कहांँ मिलेगा। मैं तो बस डरती हूंँ कि मेरा अतीत तुम्हारे वर्तमान पर भारी ना पड़ जाए।"

"तुम्हारे उस अतीत को हम दोनों मिलकर हराएंगे।"

नीली ने टोकते हुए कहा,

"हम दोनों नहीं हम सब। मैं, आजी और बच्चे भी तुम्हारे साथ हैं। तुम अकेली नहीं हो।"

रेवती उठकर नीली के गले से लग गई।