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यादों के झरोखे से - उपन्यास
S Sinha
द्वारा
हिंदी जीवनी
यादों के झरोखे से ====== मेरे जीवनसाथी की डायरी के कुछ पन्ने - मैट्रिक , प्री यूनिवर्सिटी और इंजीनियरिंग में एडमिशन और चीनी आक्रमण ==================================== 7 मई 1961 करीब दो महीने कलकत्ता में बिताने के बाद आज मैं जमशेदपुर लौट रहा था . मेरा बोर्ड का रिजल्ट किसी भी दिन आ सकता है . बड़े बाबा हावड़ा स्टेशन पर छोड़ने आये , बोले “ टाटा स्टेशन पर कोई गड़बड़ तो नहीं करोगे . “ “ नहीं बड़े बाबा , वहां तो सब जाना पहचाना है . वहां से सीधे बस से बिष्टुपुर घर चले जाएंगे . “ मैंने
यादों के झरोखे से Part 1 ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------- मेरे जीवनसाथी की डायरी के कुछ पन्ने - मैट्रिक की परीक्षा और कलकत्ता यात्रा बना एडवेंचर -------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- शादी के बाद मैं ससुराल में कुछ ही ...और पढ़ेरह सकी थी . करीब एक महीना बाद मैं अपने पति प्रकाश के साथ बोकारो चली गयी , यहीं प्लांट में वे काम करते थे . मैं और प्रकाश कोशिश करते कि साल में एक बार कुछ दिनों के लिए अपने करीबी रिश्तेदारों से मिल लें . अक्सर दिवाली में हम एक सप्ताह के लिए निकला करते थे . करीब 20 साल के बाद मुझे ससुराल
यादों के झरोखे से Part 2 ================================================================ मेरे जीवनसाथी की डायरी के कुछ पन्ने - मैट्रिक , प्री यूनिवर्सिटी और इंजीनियरिंग में एडमिशन और चीनी आक्रमण ================================================================== 7 मई 1961 करीब ...और पढ़ेमहीने कलकत्ता में बिताने के बाद आज मैं जमशेदपुर लौट रहा था . मेरा बोर्ड का रिजल्ट किसी भी दिन आ सकता है . बड़े बाबा हावड़ा स्टेशन पर छोड़ने आये , बोले “ टाटा स्टेशन पर कोई गड़बड़ तो नहीं करोगे . “ “ नहीं बड़े बाबा , वहां तो सब जाना पहचाना है . वहां से सीधे बस से बिष्टुपुर घर चले जाएंगे . “ मैंने
यादों के झरोखे से Part 3 ========================================================== मेरे जीवनसाथी की डायरी के कुछ पन्ने - इंजीनियरिंग के बाद नौकरी की तलाश और निराशा ========================================================== 11 जनवरी 1966 मेरा ...और पढ़ेफाइनल ईयर था . मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के 60 स्टूडेंट्स इंडस्ट्रियल टूर पर थे . बॉम्बे , बंगलोर , पूना आदि होते हुए हम दिल्ली में थे . हम रेलवे का एक पूरा कोच रिज़र्व कर टूर में निकलते हैं .अभी अभी तड़के सुबह तत्कालीन प्रधान मंत्री शास्त्री जी के दुखद अंत का समाचार ट्रांजिस्टर पर सुनने को मिला है . आज उनकी शव यात्रा है .हमलोगों ने प्रधान
यादों के झरोखे से Part 4 ================================================================ मेरे जीवनसाथी की डायरी के कुछ पन्ने - बॉम्बे में शूटिंग देखना फिर पहली नौकरी शिपिंग में मिलना ================================================================ 19 दिसम्बर 1967 ...और पढ़ेअपने चचेरे भाई के साथ दादर के पास दोनों स्टूडियो गया . शूटिंग जितना रोमांचक होगा सोचा था वैसा कुछ मजा नहीं आया . एक स्टूडियो में डांस की शूटिंग हो रही थी , उस डांसर को मैं नहीं पहचान सका . पर दर्जनों बार एक ही शॉट को कट , रीटेक देख कर वहां से निकल उसी स्टूडियो के दूसरे रूम में गया . वहां कुछ जाने पहचाने चरित्र अभिनेता
यादों के झरोखे से Part 5 =========================================================== मेरे जीवनसाथी की डायरी के कुछ पन्ने - पहला वेतन मिलने के समय का दिलचस्प ड्रामा =========================================================== 3.जून 1968 आज मैं बहुत ...और पढ़ेहूँ . मुझे शिपिंग ऑफिस जाना है अपना पहला वेतन लेने . मैं एकाउंट्स ऑफिस गया अपना पेमेंट लेने . अकाउंटेंट ने कहा आपको पे नहीं देने का आर्डर मिला है . मेरे कारण पूछने पर मुझे पता नहीं है बोला और चीफ से मिलने को कहा . मैं बहुत डर गया था . मुझे लगा मेरी ट्रेनिंग में कुछ कमी रही होगी