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यादों के झरोखे से - अंतिम भाग 14 - मेरी नजर में

यादों के झरोखे से सीरीज के अंतिम भाग में प्रस्तुत है बॉलीवुड प्रेम की कुछ शेष झांकी


अंतिम भाग 14 - यादों के झरोखे से - मेरी नजर में

मेरे पति ने मुझे कहा था कि एक दिन इनकी डायरी इनके भैया के हाथ लग गयी थी . इनके भैया ने बाबा को डायरी के कुछ पन्ने दिखाये .हालांकि हमेशा इनका रिजल्ट काफी अच्छा रहा था फिर भी बाबा और भैया ने समझाया था कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई को हल्के में न लो और यह सिनेमा विनेमा का चक्कर छोड़ दो . तब इन्होने दो बॉलीवुड से संबंधित बातें जो डायरी में नहीं लिखी थी मुझे बताया . इससे पता चलता है कि सिनेमा और एक्टर्स में इनकी कितनी दिलचस्पी थी -

घटना 22 फ़रवरी 1963 की है


1 . शुक्रवार का दिन था . उस दिन भारत की पहली भोजपुरी फिल्म “ गंगा मैया तोहे पियरी चढैबो “ पटना के वीणा टॉकीज में रिलीज होनी थी .इन्होंने पेपर में पढ़ रखा था कि इस फिल्म के प्रीमियर शो के लिए फिल्म के सभी मुख्य कलाकर वीणा सिनेमा आ रहे हैं . ये लंच ब्रेक के बाद कॉलेज से बंक कर सिनेमा हाल आ गए . उन दिनों पटना के सभी सिनेमा हॉल को शनिवार की मैटिनी शो और रविवार की इवनिंग शो में स्टूडेंट कंसेशन मिलता था . यह सिर्फ फर्स्ट क्लास के लिए होता था जिसका मूल्य डेढ़ रूपये था , कंसेशन के बाद 12 आने यानि 75 पैसे पड़ता था . आमतौर पर ये कंसेशन टिकट पर ही सिनेमा देखते थे पर इन्हें तो फिल्म के कलाकरों को नजदीक से देखना था .


जनाब कॉलेज से आधा टाइम बंक कर के हॉल जा पहुंचे . फर्स्ट क्लास के टिकट ब्लैक में मिल रहे थे पर फिर काफी पीछे बैठना पड़ता और ये चहेते एक्टर्स को ठीक से देख नहीं पाते . इन्हें एक तरक़ीब सूझी , सबसे आगे वाले फ्रॉंट स्टॉल में मूवी देखने की . फ्रॉंट स्टाल की टिकट छः आने का आता था और उसमें सिर्फ बेंच लगे रहते थे . इसमें ज्यादातर रिक्शेवाले , टमटम वाले , झोपड़ पट्टी वाले ही जाते थे . इन्होंने छः आने की टिकट ब्लैक में दो रुपये में खरीदी . टिकट ले कर ये अंदर नहीं गए बल्कि दरवाजे पर खड़े हो गए क्योंकि जिस दरवाजे से फिल्म के कलाकार हॉल के स्टेज पर जाते , वह बिलकुल नजदीक था . खैर कुछ इंतजार के बाद फिल्म के कलाकार आये - कुमकुम , असीम कुमार , नजीर हुसैन , तिवारी आदि . पुलिस डंडे भांज कर भीड़ को एक किनारे कर कलाकरों को जाने के लिए जगह बना रही थी फिर भी इन्होंने आगे बढ़कर हीरो असीम कुमार से हाथ मिलाया और हीरोइन कुमकुम से हाथ मिलाने के लिए अपना हाथ बढ़ाया . पर वह नमस्ते कर मुस्कुराते हुए अंदर चली गयी .


इसके बाद तब श्रीमान जी हॉल के अंदर गए . फिल्म के कलाकारों का दर्शकों से औपचारिक रूप से परिचय कराया गया . इसके बाद ये हॉल से बिना मूवी देखे निकल गए . इन्होंने बताया कि फिल्म देखने फिर अगले दिन शनिवार को गए .


2 . इस घटना की तिथि याद नहीं ( शायद 1965 की घटना )


उन दिनों पति महाशय इंजीनियरिंग के थर्ड ईयर में थे . पटना के लोकल न्यूज़ पेपर में खबर छपी थी कि कुछ दिनों बाद बॉलीवुड की तत्कालीन मशहूर डांसर ‘ रानी ‘ पटना के रविंद्र सदन में परफॉर्म करने वाली है . इन्होंने अपने और कुछ दोस्तों के साथ एडवांस टिकट ख़रीदा . ये लोग नियत दिन शाम को प्रोग्राम के समय से काफी पहले पहुँच गए ताकि आगे की सीट मिल सके .


जैसे जैसे समय बीत रहा था भीड़ बढ़ती जा रही थी पर हॉल नहीं बंद था , सिर्फ उसका दरवान था . उसने मैनेजर को फोन कर पूरी बात बताई . भीड़ उग्र होती जा रही थी लोग तोड़फोड़ पर उतारू थे . मैनेजर और पुलिस एक साथ पहुंची . उन्होंने बताया कि रानी का यहाँ कोई प्रोग्राम नहीं है न ही रानी के बारे में कोई सूचना है . किसी ने फ्रॉड किया है . पुलिस ने अपने सूत्रों से रानी के बारे में पता लगाया . भीड़ बेकाबू हो रही थी . पुलिस ने कहा “ हमें पता चला है कि रानी शायद पटना के प्रिंस होटल में रुकी हैं पर उनका पटना में परफॉर्म करने का किसी के साथ कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं है . उन्हें काठमांडू में किसी प्रोग्राम में भाग लेने जाना है , नेपाल जाने के रास्ते में पटना में वे कुछ घंटों के लिए रुकी हैं . आपलोग जा सकते हैं . “


पर भीड़ ने मानने से इंकार कर दिया और कहा कि हमने इतने पैसे दिए हैं और रानी पटना में मौजूद हैं तब उन्हें यहाँ बुलाया जाए . तब तक टिकट खरीदने वालों के अतिरिक्त भी सैकड़ों लोग इकठ्ठा हो गए थे और हॉल का दरवाजा तोड़ अंदर जाने पर उतारू थे . रविंद्र भवन पटना का एकमात्र विख्यात थियेटर था इसे बचाना जरूरी था . पुलिस ने प्रशासन के उच्च अधिकारियों से सम्पर्क कर कुछ देर बाद सूचित किया कि आपलोग शांत रहें रानी यहाँ आने को तैयार हो गयी हैं , वे कुछ देर में पहुँचने वाली हैं .


भीड़ शांत हुई , हॉल खोल दिया गया . लोग अंदर जा कर बैठ गए . सीट से काफी ज्यादा लोग जमा हो गए थे . जिन्हें सीट न मिली उन्हें पुलिस ने शांतिपूर्वक खड़ा रहने का आदेश दिया . कुछ ही मिनटों में रानी भी आयीं और माइक पर कहा - पटना के दर्शकों को रानी का नमस्कार . मेरे डांस के प्रति आपकी रूचि देख कर बहुत प्रसन्नता हुई है . हमें खेद है कि आपके साथ छल हुआ है . मैं तो कुछ ही घंटों में नेपाल जाने वाली हूँ . आपका मान रखने के लिए मैं यहाँ तक आ गयी , आप विश्वास करें मैंने एक पैसा भी पटना में परफॉर्म करने के लिए नहीं लिया है . आपको जो असुविधा हुई उसके लिए खेद है पर मैं मजबूर हूँ . मुझे अब कृपया इजाजत दीजिये .


पर भीड़ मानने वाली नहीं थी . लोगों का कहना था कि बिना रानी का डांस देखे वे नहीं जाने वाले . रानी ने समझाने की पूरी कोशिश की , कहा - न मैं तैयार हूँ न यहाँ का स्टेज . अब ऐसे में मैं क्या कर सकती हूँ , मैं चाह कर भी आपकी मदद नहीं कर सकती हूँ . पर भीड़ खड़ी हो कर चिल्ला रही थी - बिना आपका डांस देखे हम नहीं जाने वाले और शायद आपको भी न जाने दें .


पुलिस , प्रशासन और थियेटर वालों ने एक उपाय निकाला , वे एक रिकॉर्ड प्लेयर और एक दो रानी के गाने के रिकॉर्ड लाये . रिकॉर्ड बजा दिया गया और स्टेज के फ्लोर पर अपनी साधारण साड़ी में दो गानों पर डांस किया . फिर कहा - उम्मीद है अब आप मुझे जाने की इजाजत देंगे . भविष्य में आपके बुलाने पर तैयारी के साथ आ कर आपका मनोरंजन अवश्य करूंगी .


तो ये थी मेरे पति का बॉलीवुड प्रेम . हालांकि आज भी सिनेमा से इनका उतना ही लगाव है , फर्क बस इतना है कि अब हॉल जाना बहुत कम हो गया है . अब घर बैठे अमेज़न , नेटफ्लिक्स , यू ट्यूब पर ही नयी पुरानी फ़िल्में देखते रहते हैं . जब अमेरिका में होते हैं तो वहां bollywood cinema . com या अन्य साइट पर लेटेस्ट फ़िल्में देख सकते हैं . हालांकि अब टेस्ट पहले से बदल चुका है , नयी फ़िल्में या गाने उतने नहीं भाते हैं , ओल्ड इस गोल्ड . अब आधा शतक से ज्यादा इनके साथ रहने से मैं भी फिल्मों से अछूती नहीं रही हूँ . इसके अलावे इन्हें नयी नयी जगहें देखने का बहुत शौक है , इनके और बच्चों के साथ अमेरिका में काफी जगह के अलावा यूरोप , एशिया और अरब के कुछ देश देखने का मौका मिला है .