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चुनिंदा लघुकथाएँ - उपन्यास
Lajpat Rai Garg
द्वारा
हिंदी लघुकथा
माँ, माँ होती है आज राकेश जल्दी तैयार होकर वृद्धाश्रम पहुँचा। आज उसकी माँ का 80वाँ जन्मदिन है। उसने माँ के चरर्णस्पर्श किये, उनका मुँह मीठा करवाया। आशीर्वाद लिया। पूछा - ‘माँ, कोई तकलीफ तो नहीं?’ ‘बेटे, वैसे तो सब ठीक ही है, किन्तु कई बार दो-दो घंटे बिजली चली जाती है तो बुजुर्गों को इस गर्मी में बहुत तकलीफ होती है। अगर इन्वर्टर या जनरेटर लग जाये तो सभी बुजुर्ग तुम्हें आशीष देंगे।’ ‘माँ, कल ही इन्वर्टर और जनरेटर लग जायेंगे। और कोई तकलीफ?’ ‘कई बार बाहर के लोग बिना पूर्व सूचना
लाजपत राय गर्ग की चुनिंदा लघुकथाएँ (1) माँ, माँ होती है आज राकेश जल्दी तैयार होकर वृद्धाश्रम पहुँचा। आज उसकी माँ का 80वाँ जन्मदिन है। उसने माँ के चरर्णस्पर्श किये, उनका मुँह मीठा करवाया। आशीर्वाद लिया। पूछा - ‘माँ, ...और पढ़ेतकलीफ तो नहीं?’ ‘बेटे, वैसे तो सब ठीक ही है, किन्तु कई बार दो-दो घंटे बिजली चली जाती है तो बुजुर्गों को इस गर्मी में बहुत तकलीफ होती है। अगर इन्वर्टर या जनरेटर लग जाये तो सभी बुजुर्ग तुम्हें आशीष देंगे।’ ‘माँ, कल ही इन्वर्टर और जनरेटर लग जायेंगे। और कोई तकलीफ?’ ‘कई बार बाहर के लोग बिना पूर्व सूचना
लाजपत राय गर्ग की चुनिंदा लघुकथाएँ (2) पैसे की ताकत ठेकेदार रामावतार के पास उसके फोरमैन का फोन आया कि एक मज़दूर पैड़ से फिसल गया और सिर पर गहरी चोट लगने की वजह से मर गया। उसकी पत्नी ...और पढ़ेलिये दुपहर का खाना लगा रही थी, लेकिन उसने डाइनिंग टेबल से उठते हुए कहा - ‘मुझे तुरन्त ‘साईट’ पर जाना है, खाना रहने दो।’ उसकी पत्नी असमंजस में। बिना कुछ और कहे रामावतार ने कार निकाली और घंटे-एक में ‘साईट’ पर पहुँच गया। मृतक की पत्नी तथा कुछ अन्य मज़दूर शोकग्रस्त अवस्था में लाश के इर्द-गिर्द बैठे उसी की
लाजपत राय गर्ग की चुनिंदा लघुकथाएँ (3) निठल्ली पीढ़ियाँ एडवोकेट शर्मा के चेम्बर में कुछ वकील तथा दो-तीन मुवक्किल बैठे थे। बात चल रही थी कि किसने ज़िन्दगी में कितना कमाया है! एक व्यक्ति बढ़चढ़ कर अपनी कामयाबी का ...और पढ़ेकर रहा था। उसकी बातों से लगता था, जैसे धन-दौलत ही दुनिया में सब कुछ है, यही पैमाना है व्यक्ति की काबलियत का! वह कह रहा था - ‘मैंने अपनी ज़िन्दगी में इतना धन-दौलत कमा लिया है कि मेरी आने वाली सात पीढ़ियाँ बिना कुछ किये-धरे ऐशो-आराम की ज़िन्दगी बसर कर सकती हैं।’ उसकी इस बात पर एडवोकेट शर्मा ने
लाजपत राय गर्ग की चुनिंदा लघुकथाएँ (4) सोचा, थोड़ा पुण्य कमा लें... पुनीत सुबह सैर को जा रहा था। मेन रोड पर चार-पाँच युवक आने-जाने वालों को चाय और बिस्कुट लेने के लिये आग्रह कर रहे थे। उन्होंने सड़क ...और पढ़ेकिनारे एक मेज़ पर चाय की बड़ी टंकी, डिस्पोजेबल गिलास और पार्ले बिस्कुट के छोटे पैकेट रखे हुए थे। पुनीत ने उनसे पूछा - ‘किस खुशी में चाय पिलाई जा रही है?’ ‘अंकल, आज मौनी अमावस्या है। सोचा, थोड़ा पुण्य कमा लें।’ ‘शाबाश, बहुत बढ़िया। लगे रहो।’ और पुनीत आगे बढ़ गया। लगभग एक घंटे की सैर के बाद लौटते
लाजपत राय गर्ग की चुनिंदा लघुकथाएँ (5) शुभ मुहूर्त पंडित रामकिशन मन्दिर में पुजारी की ड्यूटी निभाने के साथ पतरा बाँचने का काम भी करता था। अक्सर लोग उससे शादी-विवाह, गृह- प्रवेश का शुभ मुहूर्त पूछने अथवा अपनी जन्म-कुण्डली ...और पढ़ेदिखाने आते रहते थे। मन्दिर में माथा टेकने के पश्चात् जब जगदम्बा प्रसाद आसन पर बैठे पंडित रामकिशन से चरणामृत लेने गया तो उसने देखा कि आमतौर सदा प्रसन्न दिखने वाले पंडित जी के चेहरे पर उदासी और मायूसी छाई हुई थी। उसके पंडित जी के साथ अनौपचारिक सम्बन्ध थे। जब भी वह मन्दिर आता था तो दस-बीस मिनट पंडित