Aao Theriyo book and story is written by Pradeep Shrivastava in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Aao Theriyo is also popular in सामाजिक कहानियां in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
आओ थेरियों - उपन्यास
Pradeep Shrivastava
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
आओ थेरियों प्रदीप श्रीवास्तव भाग 1 मनू मैं अक्सर खुद से पूछती हूं कि सारे तूफ़ान वाया पश्चिम से ही हमारे यहां क्यों आते हैं, कोई तूफ़ान यहीं से क्यों नहीं उठता। सोचने पर पाती हूं कि गुलामी की जंजीरें जरूर सात दशक पहले ही टूट गईं, लेकिन मैं मानती हूं कि मानसिक गुलामी से मुक्ति सच में अब भी बाकी है। यही कारण है कि जब किसी चीज पर विदेशी ठप्पा लग जाता है तभी हम उसे मानते-समझते हैं। उस पर ध्यान देते हैं। ‘हैशटैग मी-टू’ का तूफ़ान भी भारत में तब असर दिखा रहा है जब पश्चिम में
आओ थेरियों प्रदीप श्रीवास्तव भाग 1 मनू मैं अक्सर खुद से पूछती हूं कि सारे तूफ़ान वाया पश्चिम से ही हमारे यहां क्यों आते हैं, कोई तूफ़ान यहीं से क्यों नहीं उठता। सोचने पर पाती हूं कि गुलामी की ...और पढ़ेजरूर सात दशक पहले ही टूट गईं, लेकिन मैं मानती हूं कि मानसिक गुलामी से मुक्ति सच में अब भी बाकी है। यही कारण है कि जब किसी चीज पर विदेशी ठप्पा लग जाता है तभी हम उसे मानते-समझते हैं। उस पर ध्यान देते हैं। ‘हैशटैग मी-टू’ का तूफ़ान भी भारत में तब असर दिखा रहा है जब पश्चिम में
आओ थेरियों प्रदीप श्रीवास्तव भाग 2 मैं भी जाने-अनजाने इसका हिस्सा बन गई हूं। मगर दिमाग में यह बात आने के बाद मैं इससे मुक्ति के प्रयास में हूं। मैं सिर्फ़ इतने ही प्रयास में नहीं हूं मनू, मैंने ...और पढ़ेसे तनुश्री और फिर बाद में अन्य महिलाओं का साहस देखा, जिनकी हिम्मत, पाप के खिलाफ उठ खड़े होने के जज्बे के कारण एक पूर्व संपादक, लेखक, केंद्रीय मंत्री को रास्ते पर ला खड़ा किया तब से मेरे मन में भी बवंडर उठा हुआ है। तनुश्री के बाद जिस तरह से विनता, प्रिया सहित तमाम महिलाएं उठ खड़ी हुईं उसके
आओ थेरियों प्रदीप श्रीवास्तव भाग 3 मनू एक बात बताऊं कि हम महिलाओं पर अत्याचार कोई आज की बात नहीं है। यह हज़ारों साल से होता आ रहा है। अब तुम सोचोगी कि जब यह हज़ारों साल से होता ...और पढ़ेरहा है। इतने सालों में कोई नहीं बंद करा सका। महिलाओं को उनका अधिकार नहीं मिला तो मैं और तुम क्या कर लेंगे। नहीं मनू नहीं, ऐसा नहीं है। हम औरतों ने जब-जब अपने अधिकारों को समझा, संघर्ष किया तो हमें अपने अधिकार मिले भी। हम पर अत्याचार बंद भी हुए। लेकिन हम जब असावधान हुए तो फिर विपन्न हो
आओ थेरियों प्रदीप श्रीवास्तव भाग 4 मैं बार-बार वह ताकत, वह साधन ढूंढ़ती मनू जिससे इस शोषण का प्रतिकार कर सकूं। रोक सकूं। मगर हर तरफ घुप्प अंधेरा मिलता। कोई एक सेकेंड को भी साथ देने वाला नहीं मिलता। ...और पढ़ेमैंने तब-तक के लिए खुद को परिस्थितियों के हवाले कर दिया जब-तक कि मेरी और मेरे घर की हालत सुदृढ़ नहीं हो जाती। मैं सरकारी नौकरी की तलाश में लगी रही और उनके जीवन आनंद के खेल का साधन भी बनी रही। मनू यह मेरी मजबूरी की अति थी कि सिर्फ़ वह सियार-सियारिन ही नहीं उसी की तरह का एक
आओ थेरियों प्रदीप श्रीवास्तव भाग 5 मैं यह जानती समझती हूं कि हम तुम छप्पर में रहने वाली औरतों के लिए यह संभव नहीं है। हम सदियों से इतने शोषित हुए हैं कि मुंह खोलने की बात छोड़ो ऐसी ...और पढ़ेसोचने की भी क्षमता नहीं रह गई है। यह घटना ना होती, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, सोशल मीडिया जरा सी बात को भी देश ही नहीं दुनिया में हर तरफ पहुंचा देने की क्षमता ना रखतीं तो हम आज भी यह सोच-समझ नहीं सकते थे। मनू मैंने बहुत सोच-समझ कर एक अचूक प्लान बनाया है, और उसके हिसाब से ही आगे बढ़