आओ थेरियों
प्रदीप श्रीवास्तव
भाग 5
मैं यह जानती समझती हूं कि हम तुम छप्पर में रहने वाली औरतों के लिए यह संभव नहीं है। हम सदियों से इतने शोषित हुए हैं कि मुंह खोलने की बात छोड़ो ऐसी बातें सोचने की भी क्षमता नहीं रह गई है। यह घटना ना होती, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, सोशल मीडिया जरा सी बात को भी देश ही नहीं दुनिया में हर तरफ पहुंचा देने की क्षमता ना रखतीं तो हम आज भी यह सोच-समझ नहीं सकते थे। मनू मैंने बहुत सोच-समझ कर एक अचूक प्लान बनाया है, और उसके हिसाब से ही आगे बढ़ रही हूं।
प्लान यह है मनू कि सभी शोषित लड़कियां, औरतें अपने शोषण की पूरी बात, करने वाले का पूरा विवरण, समय आदि बताते हुए अपने मोबाइल से ही वीडियो मैसेज रिकॉर्ड करके मेरे पास भेज दें। इसमें छोटी सी छोटी झोपड़पट्टी में भी रहने वाली महिलाओं को भी शामिल करना है। इसके लिए हमें करना यह होगा कि खुद ऐसी महिलाओं के पास जाकर, उन्हें सारी बातें अच्छे से समझा कर उनके शोषण की बात का वीडियो बनाकर लाना होगा।
जानती हो इसके लिए मैं अपनी तीनों बेटियों और दामादों का भी सहयोग ले रही हूं। तुम्हें यह बताते हुए मुझे खुशी हो रही है कि मेरी तीनों बेटियां भी नौकरी करती हैं। तीनों ही मेरी तरह नर्स हैं। तमाम समस्याओं के चलते मैं बच्चों को कोई ऊंची शिक्षा तो नहीं दिला पाई लेकिन इतना जरूर कर दिया है कि वह किसी पर डिपेंड नहीं हैं। पैसों के लिए किसी की मोहताज नहीं हैं।
मैं इस मामले में भी अपने को सौभाग्यशाली मानती हूं कि तीनों दामाद भी बहुत ही ओपन माइंडेड और मॉडर्न विचारों वाले हैं। नौकरी करते हैं। मुझे तीनों बेटियों के लिए लड़का ढूंढ़ने की जरूरत ही नहीं पड़ी थी। उन सब ने नौकरी करते-करते खुद ही अपने मन का वर तलाश लिया और फिर हमने कोर्ट मैरिज करवा कर एक हल्का-फुल्का रिसेप्शन दे दिया था। सभी अपनी दुनिया में खुश रहते हैं।
तुम यह जानकर शायद आश्चर्य करो कि मैंने मन में ‘वी-टू’ हां मनू, हम अपने मूवमेंट का नाम ‘वी-टू’ ही रखेंगे। क्योंकि मेरा लक्ष्य सबको साथ लेकर चलना है। तुम कुछ और नाम सुझा सकती हो तो बताना। जानती हो ‘वी-टू’ का विचार आते ही मैंने बहुत सोच-विचार कर सबसे पहले अपने पति से ही बात की। कहा कि मैं ऐसा करना चाहती हूं। आपकी मदद चाहिए और यह मदद सिर्फ़ इतनी ही कि आप मुझे इसे करने से रोकेंगे नहीं। एक बात बताऊं मेरे साथ जो-जो शोषण हुआ वह सब बच्चों के कुछ बड़ा हो जाने के बाद मैंने एक-एक कर सब कुछ बता दिया था।
इससे मैंने कुछ दिन स्वयं को अजीब सी बदली हुई मनः स्थिति में पाया। परिवार में कुछ दिन तक मैं सभी के चेहरे पर जब वो मेरे सामने होते तो अजीब सी रेखाएं, भाव पाती। तब मैंने सोचा कि यह सब बता कर मैंने गलती तो नहीं कर दी। फिर सोचा कि बोझ लेकर चलने से क्या फायदा, क्या मतलब इसका। मेरे पति हैं, अगर मेरे हर सुख-दुख में मेरे साथ नहीं चल सकते तो ठीक है। अलग-अलग रास्ते पर चल पड़ते हैं। मैंने इस बिंदु पर भी बात की तो पाया कि नहीं मैं गलत सोच रही थी। मेरा पति और बहुत से कूप मंडूक सोच वाले पतियों जैसा नहीं है। जिनके लिए स्त्री की तथाकथित पवित्रता ही सब कुछ होती है। सारी अपेक्षाएं सिर्फ़ पत्नी से ही रखते हैं।
ऐसे खुले विचारों वाले अपने प्यारे पति से जब मैंने ‘वी-टू’ की बात की तो वह बोले, ‘बच्चों पर क्या असर पड़ेगा?’ तो मैंने कहा वह सब भी बेहद ओपन माइंडेड हैं। मैं पूरे विश्वास के साथ कहती हूं कि वह अपनी मां के इस क़दम का साथ देंगे। उन्हें गर्व होगा कि उनकी मां ने ऐसा क़दम उठाया है जिसमें पूरी नारी दुनिया की सुरक्षा निहित है। उनका मान-सम्मान निहित है। इसके साथ ही मैंने यह भी बताया कि जब बेटियां नर्सिंग का कोर्स कर रही थीं तभी से मैं उन्हें उन सारी बातों से अवगत कराती आ रही हूं जिससे उनका सामना हो सकता है। जब उन्होंने नौकरी ज्वाइन की तभी मैंने उन्हें बताया था कि उन्हें वहां पर किस-किस तरह की समस्याएं फेस करनी पड़ेंगी। उन्हें कैसे उनका सामना करना है।
इतना सब कुछ करने के बावजूद मनू जानती हो मेरी दूसरी वाली बेटी शोषण का शिकार होते-होते बची थी। वह ठीक वैसी ही स्थिति में फंसने वाली थी जिसमें मैं सरकारी हॉस्पिटल में फंस चुकी थी। उसने मुझे कुछ नहीं बताया था। कुछ दिन उसकी उखड़ी-उखड़ी मनोदशा को देखकर मैं अंदर ही अंदर परेशान हुई कि बात क्या है? अचानक दिमाग में आया कि कहीं यह मेरी जैसी हालत से तो नहीं गुजर रही है। बहुत प्यार से खुलकर बात की तो उसने अपनी समस्या बताई। जिसका मुझे डर था वही होने जा रहा था। अंततः मैंने उसे बचा लिया।
‘वी-टू’ के लिए जब पति के साथ बात की तो मैंने बेटी की भी बात बताई। उसके पहले यह बात केवल हमारे और बेटी के बीच ही सीमित थी। यह सुनकर पहले पति आग-बबूला हुए। कहा कि उसी समय क्यों नहीं बताया। मैंने कहा अब जो भी है वह समय तो बीत गया। ‘वी-टू’ को यदि आगे बढ़ाएं तो उस आदमी को भी सजा दे सकते हैं। और जिन्होंने मेरे साथ गलत किया उनको भी।
जानती हो जिस डॉक्टर ने मेरा शोषण किया था वह बाद में सीएमओ होकर रिटायर हुआ। आजकल वह एक बहुत ही बड़े प्राइवेट संस्थान के एक बहुत बड़े फाइव स्टार हॉस्पिटल का निदेशक बना बैठा है। आज सड़सठ-अड़सठ की उम्र में भी वह बना ठना रहता है। सुना है वहां भी औरतों का शोषण करने से बाज नहीं आ रहा है।
अपनी लाइजनिंग पावर के बल पर वह वहां के मैनेजमेंट को मेस्मराइज किए हुए है। तुम्हें यह जानकर आश्चर्य होगा कि हॉस्पिटल की तरफ से उसे मर्सीडीज़ बेंज जैसी महंगी कार और शैडो भी मिला हुआ है। और दूसरे का भी बताती हूं, जिसने मुझे शादी का झांसा देकर लूटा था, जिसका बाप बिल्डर है। उसने दो नंबर की अकूत कमाई से बहुत बड़ा हॉस्पिटल बना लिया है।
यह सब जब देखती हूं तो पुरानी तस्वीरें मेरे सामने आ जाती हैं। खून खौल उठता है कि ना जाने कितनी औरतों, लड़कियों की इज्जत लूटने वाले आज यहां तक पहुंच गए हैं। अकूत धन-सम्पत्ति ही नहीं समाज में बड़े मान-सम्मान के साथ रह रहे हैं। क्या इनके कुकर्मों की कोई सजा नहीं है। मनू जानती हो तभी पति ने सलाह दी थी कि एफआईआर कर दो। कोर्ट से सजा दिलाओ।
मैंने कहा कोई फायदा नहीं। पहले तो न जाने कितने सालों तक कोर्ट के चक्कर काटने पड़ेंगे। पेशी पर पेशी होगी। धक्के खाते भटकना पड़ेगा। इसके बाद भी इन गंदे इंसानों को सजा मिलेगी इसकी कोई गारंटी नहीं। कोर्ट में अपने आरोप को मैं कैसे साबित करूंगी। यह हो ही नहीं पाएगा।
दूसरे इससे तो उसके असली चेहरे को उसके घर वाले ही जान पाएंगे। यही बड़ी बात होगी। जबकि ‘वी-टू’ के जरिए उसको हम पूरी दुनिया में एक्सपोज कर देंगे। वह अपने बीवी-बच्चों, नाती-पोतों सबके सामने जलील होगा। दूसरे वाले के साथ भी यही होगा। मनू पति को कंन्विंस करने में मुझे ज़्यादा वक्त नहीं लगा। उन्होंने ‘वी-टू’ को आगे बढ़ाने के लिए ना केवल खुशी-खुशी हां कहा, बल्कि यह भी जोड़ा कि, ‘तुम्हारी इस बहादुरी से मैं बहुत खुश हूं। मुझे गर्व है।’ उन्होंने हर तरह से सपोर्ट करने का वादा किया है। फिर हम दोनों ने अपनी तीनों लड़कियों, दामादों को भी बुला कर बात की। वह सब भी खुशी-खुशी तैयार हो गए।
हम सब ने मिलकर ही यह योजना बनाई कि सभी की बातें वीडियो में रिकॉर्ड की जाएं फिर वह ‘वी-टू’ नाम से फेसबुक और वेबसाइट बना कर डाला जाए। ट्विटर और व्हाट्सएप पर भी। इन्हें एक ही दिन वायरल किया जाए। हम-सब ने मिलकर अब-तक करीब दो दर्जन महिलाओं के बयान लिए हैं। और इनमें मेरे घर की बाई और तीन अन्य लोगों के बयान भी हैं। तुम्हें यह जानकर आश्चर्य होगा, सुनकर अचंभेे में पड़ जाओगी कि घरों में काम करने वाली बाईयों का कितना शोषण होता है।
हमने कई झोपड़पट्टियों, ऑफ़िसों में काम करने वाली महिलाओं से भी जी-तोड़ प्रयास करके इतना कर लिया है कि उम्मीद करती हूं कि अगले एक महीने में सौ की संख्या पार कर लूंगी। महिलाओं को ऐसे काम के लिए तैयार करना कितना मुश्किल होता होगा इसका अनुमान तो तुम लगा ही सकती हो। लेकिन ‘मी-टू’ का असर और साथ ही जब मैं अपना, बेटी का और अन्य कई औरतों का वीडियो दिखाती हूं तब वह बात करने को तैयार हो जाती हैं। फिर कई-कई बार समझाने के बाद अपनी आपबीती रिकॉर्ड करवाती हैं। आखिर तक साथ देने का वादा करती हैं। रिकॉर्डिंग के लिए हमने एक बढ़िया कैमरा भी खरीदा है।
मनू मैं अपने, हम सबके इस अभियान से देश के कोने-कोने तक की महिलाओं को हर हाल में जोड़ना चाहती हूं। इसलिए तुमसे रिक्वेस्ट है कि इससे जुड़ो। अपनी ‘आधी दुनिया’ की मदद करो। सदियों से इसके साथ हो रहे शोषण को खत्म करने के अभियान का एक हिस्सा बनो। जैसे मैं, मेरा परिवार मिलकर पीड़ित महिलाओं के बयान ले रहे हैं। वैसे ही तुम भी करो। पहले अपना करो। फिर वही दिखा कर तुम अन्य को आसानी से कन्विंस कर लोगी। प्लीज मनू अपनी सारी गंभीरता, अपनी सारी हिम्मत, साहस बटोर कर ‘आधी दुनिया’ की निर्णायक लड़ाई की जीत सुनिश्चित करने में मदद करो, इसका महत्वपूर्ण हिस्सा बनो।
क्योंकि हैशटैग ‘मी-टू’ रिच वूमेन वर्ल्ड की लड़ाई तक सिमटेगा। यह स्वीकार करने में हमें हिचक नहीं होनी चाहिए कि ‘आधी दुनिया’ की पूरी लड़ाई तो सड़क, फुटपाथों पर जीवन बिताने वाली महिलाओं तक को शोषण से मुक्ति के बाद ही सही मायने में जीती हुई कही जाएगी। ऐसा मौका बार-बार नहीं आएगा। तुम्हें एक और दिलचस्प बात बताउळं, मेरे हस्बैंड ने कहा कि इसमें शोषित पुरुषों को भी शामिल करो, उनको भी लो। कई पुरुष भी ऐसे हैं जो वर्कप्लेस पर कॅरियर बनाने के चक्कर में महिलाओं द्वारा सेक्सुअल हैरेसमेंट का शिकार हो रहे हैं।
लेकिन मनू मैं इस लड़ाई में पुरुषों को कतई शामिल नहीं करूंगी। क्योंकि तब यह लड़ाई भटक कर, अर्थहीन हो खत्म हो जाएगी। मनू हमें यह हर हाल में जीतनी है। सोचो मत बस क़दम आगे बढ़ाओ। मुझे कल तक अपना वीडियो मेल कर दो। मेरी प्यारी मनू, मेरा नहीं अपनी ‘आधी दुनिया’ का साथ दो। जानती हो मनू, हम उस देश की महिलाएं हैं जो अपने शोषण के खिलाफ़ हज़ारों साल से उठ खड़ी होती आ रही हैं।
पश्चिम का यह ‘मी-टू’ अभियान वास्तव में भारत के थेरिगाथा मूवमेंट का पश्चिमी संस्करण है। जब बुद्ध थे तभी बहुत सी महिलाएं जिसमें सेक्स वर्कर तक थीं, वो बौद्ध भिक्षुणी बन गईं। इनमें से तमाम महिलाओं का शोषण हुआ था। इन लोगों अपने शोषण की गाथा लिखी। जिनसे उनके शोषकों का चेहरा समाज में एक्सपोज़ हो गया। लोग शोषण करने से पहले सोचने को विवश हो गए।
मनू हमारा अभियान अपनी इन्हीं पूर्वजों की अगली कड़ी है। जिसके रास्ते पर चलकर हम कुछ नहीं सभी महिलाओं को यानी ‘आधी दुनिया’ को सुरक्षित कर सकेंगे। इसीलिए मनू ‘मी-टू’ नहीं ‘वी-टू’। आओ हम सब आगे बढ़ें। आज की थेरिगाथा लिखें।
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